Book Title: Gyananand Shravakachar
Author(s): Raimalla Bramhachari
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Digambar Jain Vidwat Parishad Trust
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________________ श्रावक-वर्णनाधिकार 59 देशव्रत के अतिचार देशव्रत के पांच अतिचार - (1) आनयन अर्थात मर्यादा किये गये क्षेत्र के बाहर से वस्तु मंगवा लेना (2) प्रेष्यप्रयोग अर्थात मर्यादा किये गये क्षेत्र के बाहर वस्तु भेजना (3) शब्दानुपात अर्थात मर्यादित क्षेत्र के बाहर से शब्द के द्वारा (आवाज आदि देकर) किसी को बुलाना (4) रूपानुपात अर्थात अपना रूप दिखाकर (अथवा इशारा करके) मर्यादित क्षेत्र के बाहर अपना अभिप्राय प्रकट कर देना (5) पुदग्लक्षेप अर्थात मर्यादित क्षेत्र के बाहर कंकर आदि कोई वस्तु फेंकना। अनर्थदण्ड व्रत के अतिचार अनर्थदण्ड के पांच अतिचार - (1) कंदर्प अर्थात काम को बढाने वाले भोजन आदि करना (2) कौत्कुच्य अर्थात मुख मोडना, आंख चलाना, भौंहें नचाना आदि (3) मौखर्य अर्थात व्यर्थ बकना (4) असमीक्ष्याधिकरण अर्थात बिना देखे वस्तु को उठाना रखना (5) भोगानर्थक्य अर्थात निषिद्ध भोगोपभोग का सेवन करना / सामायिक व्रत के अतिचार सामायिक व्रत के पांच अतिचार - (1) मनोयोगदुःप्राणिधान अर्थात मन की कुटिलता (2) वचनयोगदुःप्राणिधान अर्थात वचन की दुष्टता (3) काययोगदुःप्राणिधान अर्थात शरीर की दुष्टता (4) अनादर अर्थात सामायिक का निरादर (5) स्मृत्यनुपस्थान अर्थात पाठ को भूल जाना / प्रोषधोपवास के अतिचार प्रोषधोपवास के पांच अतिचार - (1) अप्रत्यवेक्षिता-प्रमार्जितोत्सर्ग अर्थात बिना देखे पोंछे वस्तु उठाना (2) अप्रत्यवेक्षिताप्रमार्जितादान अर्थात बिना देखे शोधे उपकरण उठाना (3) अप्रत्येक्षिताप्रमार्जित संस्तरोपक्रमण अर्थात बिना देखे पोंछे बिस्तर (बिछौना) बिछाना (4) अनादर अर्थात निरादर से प्रोषध करना (5) स्मृत्यानुपस्थान अर्थात प्रोषध के दिन की तिथियों (अर्थात अष्टमी चतुर्दशी) को भूल जाना /