Book Title: Gyananand Shravakachar
Author(s): Raimalla Bramhachari
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Digambar Jain Vidwat Parishad Trust
View full book text
________________ 310 ज्ञानानन्द श्रावकाचार औरंगाबाद से सौ कोस दूर एक मलयखेडा है / वहां भी तीनों सिद्धान्त ग्रन्थ हैं / इसलिये औरंगाबाद में बडे-बडे लक्षपति, विशेष पुण्यवान, जिनके जहाज चलते हैं तथा नवाब जिनका सहायक है ऐसे नेमीदास, अमृतराय, अमीचन्द, मजलसिराय, हुकुमचन्द, कौलापति आदि सौ-पचास पाणीपथ्या अग्रवाल जैन साधर्मी वहां हैं / उनके मलयखेडा से सिद्धान्त ग्रन्थ मंगवाने का उपाय वर्तता है (विचार है) / पर देखो, कार्य बनने में बहुत कठिनता है, ऐसा आप जानें। ___ हम मेवाड गये थे / वहां चितौडगढ है, उसके नीचे तलहटी में नगर बसा है / वहां तलहटी में हवेली (मकान) बनाने के लिये जमीन खोदते एक भैंहरा (बहरा) निकला है / उसमें स्फटिक मणि के सदृश्य महाविज्ञ, उपमा रहित पद्मासन विराजमान सोलह जिनबिम्ब पन्द्रह सोलह वर्ष के पुरुष के आकार के सदृश्य परिमाण (प्रमाण) के निकले हैं / उनमें से एक महाराज (जिनबिम्ब) बावन के वर्ष ( संवत बावन) में प्रतिष्ठित उस भोहरे में से अतिशय सहित निकले हैं तथा बहुत से जिनबिम्ब तथा धातु के उपकरण निकले हैं / उनमें से कुछ स्वर्ण पीतल के सदृश्य दिखते निकले हैं / धातु के जिनबिम्ब तो गढ के उपर भोहरे में विराजमान हैं / ऊपर किलेदार तथा जोगी रहते हैं जिनके पास भोहरे की चाबियां हैं / पाषाण के बिम्ब तलहटी के मंदिर में विराजमान हैं / वहां महाजनों के सौ घर हैं जिनमें आधे जैन हैं तथा आधे महेश्वरी है / वहां की यात्रा हम कर आये हैं / उनके दर्शन के लाभ की महिमा वचन अगोचर है / यह बात भी आप जानेंगे। आप लोगों के मन में कोई प्रश्न अथवा संदेह हो तो उसकी भी यहां शुद्धि (समाधान) होगी / गोम्मटसार आदि अनेक ग्रन्थों की अनेक अपूर्व चर्चा सुनने को मिलेगी / यहां बहुत भाईयों के गोम्मटसार आदि ग्रन्थों का ही अध्ययन है / बहुत सी स्त्रियों (महिलायें) को व्याकरण तथा