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रूपांतरण का आधार-निष्कंप चित्त और जागरूकता
सूफी फकीर कहते हैं कि अगर एक क्षण को भी कोई पूर्णता से | पानी तो मेरे भीतर भर गया, लेकिन मैं पहली दफा भीतर विचारों रुक जाए, तो उसी पूर्णता के रुकावट के क्षण में, ठहरे होने के क्षण | से खाली हो गया। बाहर से तो मेरे प्राण संकट में पड़ गए, लेकिन में, उस अगति में, उसे निश्चय का अनुभव हो जाएगा। पहली दफा मैंने भीतर उसके दर्शन कर लिए जिस पर कभी कोई
गुरजिएफ यह प्रयोग कर रहा था, तिफलिस, रूस के एक संकट नहीं पड़ सकता है। मैं मर भी जाता, तो अब कोई हर्ज न था, छोटे-से नगर में। एक नहर के पास पड़ाव डालकर अपने साधकों | क्योंकि मैंने उसकी झलक पा ली, जो कभी नहीं मरता है। के साथ पड़ा था। तंबू के भीतर बैठा था सुबह ही और पास में ही _ निश्चय का अर्थ है, ऐसी अवस्था, जहां मन का कोई कंपन न नहर थी। लेकिन नहर बंद थी, पानी उसमें था नहीं। अचानक उसने | | हो। चिल्लाकर तंबू के भीतर से कहा, स्टाप, रुक जाओ!
तो कृष्ण कहते हैं, निश्चय में मैं हूं, तत्वज्ञान में मैं हूं। तीन साधक नहर को पार कर रहे थे, सूखी नहर को, वे वहीं | तत्वज्ञान का अर्थ फिलासफी नहीं होता। तत्वज्ञान का अर्थ रुक गए। जो साधक ऊपर थे, वे ऊपर रुक गए। और तभी | | विचारशास्त्र, दर्शनशास्त्र नहीं होता। बड़ी भूल हुई है। पश्चिम में अचानक नहर किसी ने खोल दी। पानी आ गया।
एक चिंतना की धारा विकसित हुई है, जिसे फिलासफी कहते हैं। पानी को देखकर एक साधक ने सोचा कि गुरजिएफ तो भीतर | | उस अर्थ में भारत में फिलासफी जैसी कोई भी चीज कभी विकसित है तंबू के, उसे क्या पता कि हम कहां फंस गए हैं! अगर मैं रुका, | | नहीं हुई। भारत में जो विकसित हुआ, वह तत्वज्ञान है। तो जान को खतरा है। लेकिन फिर भी वह जब तक गले तक पानी जर्मनी के एक विचारशील आदमी हरमन हेस ने तत्वज्ञान के आया, तब तक रुका रहा। गले के ऊपर पानी जाने लगा, वह | | लिए एक नया शब्द प्रयोग किया है, फिलोसिया। वह ठीक है। छलांग लगाकर बाहर निकल गया। दूसरे साधक ने सोचा कि और | फिलासफी उसका अनुवाद नहीं है। फिलासफी का अर्थ होता है, थोड़ी देर रुकू; शायद गुरजिएफ आज्ञा दे दे। लेकिन जब नाक भी | | चिंतन, मनन, विचार। तत्वज्ञान का अर्थ होता है, दर्शन, पानी में डूबने लगी, तो उसने सोचा कि अब पागलपन है। हम यहां साक्षात्कार, अनुभूति। एक अंधा आदमी प्रकाश के संबंध में ध्यान सीखने आए हैं, कोई जान गंवाने नहीं। और वह पागल भीतर | | सोचता रहे, तो वह फिलासफी है; और अंधे आदमी की आंख बैठा हुआ है, उसे शायद पता भी नहीं है कि बाहर हम नहर में फंस | | खुल जाए और वह प्रकाश को देख ले, तो वह तत्वज्ञान है। गए हैं। वह भी छलांग लगाकर बाहर निकल गया। लेकिन तीसरे तत्वज्ञान का अर्थ है, अनुभूत। फिलासफी का अर्थ है, साधक ने सोचा कि जब तय ही कर लिया, तो अब कोई बदलाहट | मानसिक। तत्वज्ञान का अर्थ है, वास्तविक। फिलासफी का अर्थ नहीं। उसके सिर पर से पानी बहने लगा।
है, सोचा हुआ। तत्वज्ञान का अर्थ है, जाना हुआ। सोचना तो बहुत गुरजिएफ भागा हुआ तंबू के बाहर आया, छलांग लगाकर नहर | आसान है, जानना बहुत कठिन है। क्योंकि सोचने के लिए बदलने में कूदा। उस तीसरे साधक को बेहोश बाहर निकाला गया। बेहोश, की कोई भी जरूरत नहीं; जानने के लिए तो स्वयं को बदलना बाहर से। शरीर में पानी भर गया; शरीर से पानी निकाला गया। अनिवार्य है। लेकिन जैसे ही उसका शरीर होश में आया, उस व्यक्ति ने तो भारत का जोर तत्वज्ञान पर है, चिंतना पर नहीं, विचारणा पर गुरजिएफ के चरणों में सिर रख दिया; और उसने कहा कि अब मुझे नहीं। कोई कितना ही सोचे, सोचकर कहीं कोई पहुंचता नहीं। कोई सीखने को कुछ भी नहीं बचा, मैंने जान लिया। गुरजिएफ ने कहा | | कितना ही सोचे, हाथ में विचार की राख के सिवाय कछ भी लगता कि इन सबं शेष को भी कह दो कि तुमने क्या जाना।
नहीं। कोई कितना ही सोचे, खाली शब्द का संग्रह बढ़ जाता है। उसने कहा कि जिस क्षण मैं जान को भी खोने के लिए तैयार हो | | लेकिन प्रतीति, प्रत्यभिज्ञा नहीं होती, उसकी पहचान नहीं होती। गया, उसी क्षण मैंने जाना कि मन भी खो गया। जब तक मेरे मन | | उसे तो जानना पड़े आमने-सामने। उससे तो पहचान करनी पड़े, में जरा-सा भी द्वंद्व था कि निकल जाऊं या रुकुं, तब तक मन था; | | मुलाकात करनी पड़े। सोचने से नहीं होगा। तब तक भीतर कोई चीज चल रही थी; गति थी, विचार थे, | कोई आदमी प्रेम के संबंध में बहत सोचे. तो भी प्रेम का उसे हलन-चलन था। लेकिन जैसे ही मैंने तय किया कि ठीक है, जान पता नहीं चलता, जब तक कि वह प्रेम में डूब ही न जाए। प्रेम में बचे या जाए, लेकिन हटना नहीं है, वैसे ही सारे विचार खो गए। डूबना बिलकुल दूसरी बात है। और ऐसा भी हो सकता है कि जो
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