Book Title: Gita Darshan Part 05
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

View full book text
Previous | Next

Page 447
________________ ॐ मांग और प्रार्थना ध्यान करके पहुंचता है, तब बड़ा श्रम करना पड़ता है। कोई प्रेम न आती हो, तो मजे से पड़े रहें। और नींद न आने का मजा लेते करके पहुंच जाता है, तब श्रम नहीं करना पड़ता। रहें। नहीं आ रही, मजा है। नींद आ जाएगी। आप नींद के लिए लगेगा कि प्रेम बहुत आसान है। लेकिन इतना आसान नहीं है। सीधा कुछ मत करें। सीधी चेष्टा बाधा है। शायद ध्यान ही ज्यादा आसान है। अपने हाथ में है। कुछ कर सकते फ्रांस के एक बहुत बड़े विचारक, गहन अनुभवी, कुए ने एक हैं। प्रेम आपके हाथ में कहां? हो जाए, हो जाए; न हो जाए, न हो | | सूत्र विकसित किया है। वह सूत्र है, ला आफ रिवर्स इफेक्ट, जाए। लेकिन अगर छोड़ने की कला धीरे-धीरे आ जाए...।। | विपरीत परिणाम का नियम। कुछ चीजें हैं कि जिनमें आप अगर हमें पता नहीं कि जिंदगी में जो भी महत्वपूर्ण है, वह छोड़ने की | | प्रयास करें, तो उलटा परिणाम हाथ आता है। कला से मिलता है। कुछ लोगों को नींद नहीं आती, इन्सोमेनिया, | नींद वैसी ही चीज है, आपको उलटा परिणाम हाथ आएगा। अनिद्रा की बीमारी हो जाती है। तो हजार उपाय करने पड़ते हैं, फिर अगर आप लाने की कोशिश करेंगे, नींद नहीं आएगी। अगर आप भी नींद नहीं आती। जितना वे उपाय करते हैं, उतनी ही नींद | | सब कोशिश छोड़ देंगे, थक जाएंगे कोशिश कर-करके, छोड़ देंगे, मुश्किल हो जाती है। नींद आ जाएगी। उन्हें एक सूत्र का पता नहीं है कि नींद चेष्टा से नहीं आ सकती।। नींद गहन चीज है, आपके हाथ में नहीं है। परमात्मा और भी आपको अगर नींद न आती हो–यहां काफी लोग होंगे, जिनको | | गहन है। नींद तो प्रकृति है। परमात्मा और भी गहन है। वह आपके नहीं आती होगी। और अगर आपको अब भी नींद आती है, तो | हाथ में बिलकुल नहीं है। आप प्रिमिटिव हैं, थोड़े असभ्य हैं। सभ्य आदमी को कहां नींद! | यह समर्पण के सूत्र के कहने वालों का नियम है कि आप सभ्य आदमी तो इतना बेचैन हो जाता है कि नींद-वींद कहां! अगर परमात्मा को पकड़ने, खोजने की चेष्टा मत करें। आप सिर्फ अपने आपको नींद आती है, तो आपमें बुद्धि की कमी है। बुद्धिमान को उसमें छोड़ दें, जैसे नींद में छोड़ देते हैं। डूब जाएं। कह दें कि आदमी को कहां नींद! उसकी बुद्धि चलती ही रहती है। वह लाख | तू है और अब मैं नहीं हूं। अब तुझे जो करना हो, उसके लिए मैं कोशिश करता है सोने की, बुद्धि चलती चली जाती है। लोग चेष्टा | राजी हूं। नियति की बात इसमें सहयोगी होगी। केवल नियति को मानने आज अमेरिका में करीब-करीब पचास से साठ प्रतिशत लोग वाला ही पूरा समर्पण कर सकता है। जो मानता है कि मैं कछ कर बिना शामक दवा के नहीं सो सकते। और अमेरिकी मनस | | सकता हूं, वह समर्पण नहीं कर सकता। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस सदी के पूरे होते-होते ऐसा आदमी ___ मैं यह नहीं कह रहा हूं कि संकल्प से नहीं पहुंचा जा सकता। खोजना मुश्किल हो जाएगा अमेरिका में, जो बिना दवा के सोता | संकल्प से लोग पहुंचे हैं, संकल्प से पहुंचा जा सकता है। मगर है। वह अनूठी चीज हो जाएगा, कि कोई आदमी सिर रख लेता है | गीता का वह मार्ग नहीं है। और अर्जुन की वह पात्रता नहीं है। तकिए पर और सो जाता है! इसलिए अर्जुन ने कोई तप नहीं किया है। अगर आप प्रेम को ही ऐसे लोगों की तकलीफ है कि कैसे सोएं! तो कोई कहता है, | | तप कहें, तब बात दूसरी है। प्रेम भी तप है। क्योंकि जो करता है, गिनती करो एक से सौ तक, फिर सौ से वापस एक तक! कोई | | वह प्रेम में वैसे ही जलता है, जैसे कोई आग में जलता हो। और कहता है, मंत्र पढ़ो। कोई कहता है, राम-राम जपो। कोई कुछ | | शायद प्रेम की आग और भी गहन आग है। और शायद साधारण कहता है, कोई कुछ कहता है। लोग करते भी हैं। और जितना करते आग ऊपर-ऊपर जलाती होगी, प्रेम की आग भीतर तक राख कर हैं, उतना ही पाते हैं कि नींद और भाग गई। क्योंकि नींद के आने जाती है। अगर प्रेम को भी तप कहें, तब मुझे कोई अड़चन नहीं है। का एक ही सूत्र है कि आप कुछ मत करें। आप चुपचाप पड़ जाएं, | लेकिन तब भाषा को साफ समझ लेना जरूरी है। ताकि नींद आ सके। तप उनका मार्ग है, जो कहते हैं, हम कोशिश करके पा लेंगे। जब आप नहीं करते हैं कुछ, तब नींद आती है। नींद के लाने के प्रेम उनका मार्ग है, जो कहते हैं, हमारी कोशिश से क्या होगा! हम लिए कुछ करना नहीं पड़ता। कुछ भी करना बाधा है। नींद उतरती असहाय हैं। तुम उठा लो। है आपके ऊपर, जब आप कुछ भी नहीं करते। अगर आपको नींद | इसलिए तप के मार्ग पर ईश्वर को मानने की भी जरूरत नहीं है। 417]

Loading...

Page Navigation
1 ... 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478