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ॐ मांग और प्रार्थना
हो जाती है। हजारों मील के फासले पर! अगर बेटा मर जाए, तो | अस्तित्व हृदयहीन नहीं है। मां को तत्क्षण आघात पहुंचता है।
यही विज्ञान और धर्म की समझ का भेद है। विज्ञान कहता है, अभी रूस के कुछ वैज्ञानिक पशुओं के साथ प्रयोग कर रहे थे, | अस्तित्व है हृदयहीन, हार्टलेस। कुछ भी करो, अस्तित्व तुम्हारी तो बहुत चकित हुए। और पता चला कि पशुओं में मातृत्व शायद | सुनने वाला नहीं है। कुछ भी करो, अस्तित्व के पास कान नहीं हैं ज्यादा है मनुष्यों की बजाय! खरगोश पर वे प्रयोग कर रहे थे। तो | | कि तुम्हारी सुने। कुछ भी करो, अस्तित्व को पता भी नहीं चलेगा। खरगोश के बच्चों को रखा गया ऊपर और उनकी मां को वे ले गए | | यह विज्ञान की दृष्टि है। अस्तित्व है गहन उपेक्षा में। तुम क्या हो, नीचे समुद्र में एक पनडुब्बी में। और उन्होंने बच्चों को ऊपर सताना हो या नहीं हो, कोई प्रयोजन नहीं है। शुरू किया, जब मां पनडुब्बी में नीचे थी। जैसे ही उन्होंने बच्चों को ___धर्म कहता है, यह असंभव है। अगर हम अस्तित्व के ही हिस्से सताना शुरू किया, मां वहां बेचैन हो गई। उन्होंने सब यंत्र लगा| हैं, तो यह असंभव है कि अस्तित्व हमारे प्रति इतना उपेक्षा से भरा रखे थे, ताकि उसकी बेचैनी नापी जा सके कि वह कितनी परेशान | हो। अस्तित्व हमारे प्रति किसी गहरे लगाव में न हो, यह नहीं माना है। और जब उन्होंने बच्चों को मार डाला, तो उसकी परेशानी का जा सकता, क्योंकि हम अस्तित्व से पैदा हुए हैं। अगर हम अस्तित्व कोई अंत नहीं था, वह बेहोश हो गई परेशानी में।
से ही पैदा हुए हैं और उसी में लीन हो जाएंगे, तो हम उसी का खेल यह प्रयोग कोई सौ बार किया। और हर बार अनुभव हुआ कि | | हैं। तो अस्तित्व प्रतिपल हमारे प्रति सजग है, और अस्तित्व वह खरगोश और उसकी मां के बीच समय और स्थान का कोई हृदयपूर्ण है। फासला नहीं है। उनके भीतर कुछ अंतरंग वार्ता चल रही है। निरंतर | वह जो मुसलमान अपनी मस्जिद के मीनार पर खड़े होकर कोई अंतरंग संबंध चल रहा है। कोई ध्वनि-तरंगें उन दोनों को जोड़े | | अजान दे रहा है, कबीर ने उसकी खूब मजाक की है। वह मजाक हुए हैं।
एक अर्थ में सही और एक अर्थ में बिलकुल गलत है। कबीर ने तो मां और बेटे के बीच जैसा संबंध है, उससे भी गहन- कहा है कि क्या तेरा खुदा बहरा हो गया है, जो तू इतने जोर से उदाहरण के लिए कह रहा हूं मां और बेटे का अस्तित्व और चिल्ला रहा है! यह बात सच है। इतने जोर से चिल्लाने की कोई आपके बीच संबंध है। आप अस्तित्व के ही हिस्से हैं। अस्तित्व ही | जरूरत भी नहीं है। मौन में भी कहा जा सकता है, तो भी वह सुन आपमें फैल गया है और दूर तक। आप अस्तित्व हैं।
लेगा। यह मतलब है कबीर का। इसका क्या अर्थ है? इसका अर्थ यह है कि अस्तित्व आपको। लेकिन यह जो जोर से चिल्ला रहा है, इसकी भी एक सचाई है। दुख नहीं देना चाहता। अस्तित्व आपको भयभीत भी नहीं करना । यह असल में यह कह रहा है कि मैं तो बहुत कमजोर हूं, मेरी चाहता। क्यों करना चाहेगा? मां बेटे को क्यों दुख देना चाहेगी? | आवाज तुझ तक पहुंचे न पहुंचे, तो अपनी पूरी ताकत लगाकर • अस्तित्व आपको परेशान नहीं करना चाहता। और अगर आप चिल्ला रहा हूं। और यह भरोसा है मेरा कि तू बहरा नहीं है, सुन परेशान हैं, तो वह आप अपने ही कारण होंगे। अगर भयभीत हैं, | ही लेगा। जोर से इसलिए नहीं चिल्ला रहा हूं कि तू बहरा है, जोर तो अपने ही कारण होंगे। अगर दुखी हैं, तो अपने ही कारण होंगे। से इसलिए चिल्ला रहा हूं कि मैं कमजोर हूं। अस्तित्व आपको दुखी नहीं करना चाहता।
तो कबीर की बात एक अर्थ में ठीक है, खुदा बहरा नहीं है। जीवन तो आपको पूरे आनंद का मौका, सुविधा, अवसर, लेकिन दूसरी बात में गलत है। यह जो अजान देने वाला है, यह सामर्थ्य, सब देता है। आप ही कुछ गड़बड़ कर लेते हैं। आप ही कमजोर है। यह सिर्फ अपनी कमजोरी जाहिर कर रहा है। यह कह बीच में खड़े हो जाते हैं और अस्तित्व और अपने बीच बाधा बन | रहा है, मैं असहाय हैं। जाते हैं।
बच्चा देखता है कि मां नहीं है पास, तो जोर से चिल्लाने लगता . यह जो कृष्ण का कहना है कि मैं वापस लौट आता हूं। यह | है, रोने लगता है। इसलिए नहीं कि मां बहरी है, बल्कि सिर्फ इसका सूचक है कि अस्तित्व से आप जो भी गहन भाव से प्रार्थना इसलिए कि बच्चा कमजोर है। उसकी आवाज का उसे खुद ही करेंगे, अस्तित्व से जो भी गहन भाव से आप कहेंगे, प्रेमपूर्वक भरोसा नहीं है। इसलिए जोर से चिल्ला रहा है। अस्तित्व से जो भी आप निवेदन करेंगे, अस्तित्व बहरा नहीं है, यह जो सूत्र है, कृष्ण कहते हैं, मैं वापस लौट आता हूं, यह इस