Book Title: Gita Darshan Part 05
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 449
________________ 8 मांग और प्रार्थना की शक्ति ही उस प्रार्थना के कार्य को पूरा करवा देती है। | हैं, तो उसमें इंटरव्यू लेने वाले का तो थोड़ा हाथ है ही, आपका भी कोई आपकी प्रार्थना में आ नहीं रहा है। आप अकेले ही हैं। वह | | काफी हाथ है। ज्यादा आपका ही हाथ है। मोनोलाग है, एकालाप है; उसमें कोई दसरा उत्तर नहीं दे रहा है। __ आप जिस ढंग से प्रवेश करते हैं उसके दफ्तर में। आपकी लेकिन अगर आपने बलपूर्वक कोई प्रार्थना की है, तो उस प्रार्थना | शक्ल-सूरत आपने जैसी बना रखी है, कुटी-पिटी, हारी हुई। भीतर को बलपूर्वक करने में आप बलशाली हो गए। और वह जो | | से आप डरे हुए हैं और पहले ही सोच रहे हैं कि नौकरी तो मिलनी बलशाली हो जाना है आपके मन का, वही सूक्ष्म शक्तियों को | | नहीं है। ये वाइब्रेशंस आप लेकर उसके दफ्तर में प्रवेश करते हैं। विकीर्णित कर देता है और घटना घट जाती है। अगर संदेह से की | | वह आपकी तरफ देखकर ही निगेटिव हो जाता है। है, तो घटना नहीं घटती। क्योंकि संदेह अगर साथ मौजूद है, तो | | आप उसको निगेटिव कर रहे हैं। आप उसको नकार से भर देते आप बलशाली हो ही नहीं पाते। | हैं। आपको देखकर ही उसके मन में आकर्षण पैदा नहीं होता कि लेकिन प्रार्थना पूरा कर देगी। आप जो भी मांगेंगे, पूरा हो जाएगा। | खींच ले आपको पास या आपके पास खिंच जाए, ऐसा लगता है यह मेरा मतलब नहीं था। मेरा मतलब यह था कि जब आप | कि कब आदमी यह बाहर निकले। और जैसे ही आप उसके चेहरे मांगते हैं, तब वह प्रार्थना नहीं रही, मांग ही हो गई। | पर देखते हैं कि इसको लग रहा है कि कब यह आदमी बाहर प्रार्थना तो वह शुद्ध क्षण है, जब आपका और विराट का मिलन | | निकले, आप और कंप जाते हैं। आपको पक्का हो जाता है कि गई, होता है। वहां छोटी-छोटी मांगें बीच में खड़ी न करना। उन क्षुद्र | | यह नौकरी भी गई! यह आप ही कर रहे हैं। बातों के कारण आड पड जाएगी। और छोटी-छोटी चीजें इतनी | अगर आप प्रार्थना कर सकें किसी मंदिर में जाकर. चाहे वहां बड़ी आड़ बन जाती हैं, जिसका हिसाब नहीं है। कोई देवता हो या न हो, यह सवाल बड़ा नहीं है। असली हो देवता, 'कभी खयाल किया, आंख में एक छोटा-सा तिनका चला जाए, | | नकली हो, यह भी सवाल नहीं है। अगर आप किसी मंदिर में और सामने हिमालय भी खड़ा हो, तो फिर हिमालय भी दिखाई नहीं | | जाकर प्रार्थना कर सकें पूरे भरोसे के साथ; यह प्रार्थना किसी देवता पड़ता; आंख बंद हो जाती है। एक छोटा-सा तिनका पूरे हिमालय | | को नहीं बदलेगी, आपको बदल देगी। आप उस मंदिर से जब को ढंक देता है; आंख ही बंद हो जाती है। छोटी-सी मांग आंख - लौटेंगे, अब भरोसा होगा। आत्मविश्वास होगा। पैरों में ताकत को बंद कर देती है। फिर परमात्मा सामने भी खड़ा हो, तो दिखाई होगी। आंखों में रौनक होगी। नहीं पड़ता। और जब आप दफ्तर में प्रवेश करेंगे किसी नौकरी के, तो ___परमात्मा के पास मांगते हुए मत जाना। इसका यह मतलब नहीं | आपके भीतर एक यस मूड होगा, एक हां का भाव होगा कि नौकरी है कि आपके मन की ताकत नहीं है। आपके मन की बड़ी ताकत | मिलने वाली है, प्रार्थना पूरी होने वाली है। अब कोई रोक नहीं है। और अगर आप पूरे भरोसे से कोई बात को तय कर लें, वह हो | सकता; परमात्मा मेरे साथ है। यह जो आप भीतर प्रवेश कर रहे जाएगी। उसको कोई परमात्मा बीच में आपके पूरा करने नहीं | हैं, आपकी तरंगें अब दूसरी हैं, पाजिटिव हैं, विधायक हैं। जो भी आता। आप ही पूरा कर लेते हैं। इतने के लिए तो आप भी काफी आदमी आपको देखेगा, वह खिंचेगा, आकर्षित होगा। आप मैग्नेट परमात्मा हैं! बन गए। ये जो मन की क्षमताएं हैं—मन की क्षमताएं हैं, अगर आप कोई | प्रार्थना ने किसी परमात्मा के विचार को नहीं बदला; प्रार्थना ने विचार बहुत गहरे में मन में ले लेते हैं, तो आपका मन उस विचार | आपको बदल दिया। को पूरा करने में संलग्न हो जाता है। और आपके पास न मालूम | __ और आपकी प्रार्थनाएं परमात्मा के विचार को कैसे बदल कितनी सूक्ष्म शक्तियां हैं, जिनका आपको पता नहीं है, जिनका | | पाएंगी? इसका तो मतलब यही हुआ कि जब तक आपने प्रार्थना आपको खयाल नहीं है। नहीं की थी, परमात्मा कुछ गलती में था! आपने सलाह दी, तब समझें। आपको नौकरी नहीं मिल रही है। आप पच्चीस इंटरव्यू उनको अक्ल आई! अब तक नौकरी नहीं दिलवा रहे थे, अब दे आए। और जहां भी जाते हैं, वहीं से खाली हाथ लौट आते हैं। नौकरी दिलवा रहे हैं। कभी आपने सोचा कि जब आप इंटरव्यू देकर खाली हाथ लौटते - या तो इसका यह मतलब होता है, या इसका यह मतलब होता 1491

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