________________
शस्त्रधारियों में राम
तो वह कहे, हां। क्योंकि अगर वह जीत जाए, तो वह आधी फीस चुकानी पड़े।
जीनो बड़ी मुश्किल में पड़ गया। उसने कहा, यह तो लड़का कुछ ज्यादा चालबाज है! जीनो के शिष्य ने, अरिस्तोफेनीज ने कहा कि मैं फीस देने वाला नहीं हूं, जब तक मैं जीतूं न। और जीतने का कोई कारण नहीं, क्योंकि मैं हर हालत में सरेंडर कर देता हूं। कोई कुछ भी कहे, हां! मैं न कहता ही नहीं, विवाद होगा ही नहीं, जीत का सवाल नहीं है।
लेकिन गुरु भी ऐसे हार नहीं मान सकता था। उसने अदालत में मुकदमा चलाया। उसने अदालत में मुकदमा चलाया, और अपील की अदालत से कि यह मेरी आधी फीस नहीं चुकाया है, वह मुझे मिलनी चाहिए। इसकी शिक्षा पूरी हो गई ।
और उसकी तरकीब यह थी कि अदालत तो कहेगी कि यह अभी पैसा नहीं चुकाएगा, क्योंकि अभी शर्त पूरी नहीं हुई। यह अभी पहला विवाद नहीं जीता है। तो जीनो का खयाल था कि मैं अरिस्तोफेनीज से कहूंगा कि अदालत ने तुझे जिता दिया, तू पहला विवाद जीत गया। आधी फीस मुझे दे दे। अगर अदालत निर्णय देगी अरिस्तोफेनीज के पक्ष में कि अभी फीस नहीं दी जा सकती, तो भी मैं फीस ले लूंगा, क्योंकि वह जीत गया, पहला विवाद जीत गया।
लेकिन अरिस्तोफेनीज भी उसी का शिष्य था। उसने कहा, अगर अदालत कहेगी कि तुम जीत गए, तब तो मैं पैसा देने वाला नहीं हूं, क्योंकि मैं अदालत से प्रार्थना करूंगा कि इसमें अदालत का अपमान है। और अगर मैं हार गया, तब तो देने का सवाल ही नहीं है। क्योंकि पहला ही विवाद हार गया।
अदालत ने फैसला भी दे दिया कि अरिस्तोफेनीज को पैसा देने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अभी उसने कोई विवाद ही नहीं किया, जीत का कोई सवाल नहीं है।
बाहर आते ही जीनो ने कहा, अरिस्तोफेनीज, अब पैसा दे दो, क्योंकि तुम पहला विवाद अदालत में मुझसे जीत गए । अरिस्तोफेनीज ने कहा कि गुरु, मैं आपका ही शिष्य हूं। आप भूल जाते हैं। मैं अदालत का अपमान कभी भी नहीं कर सकता, चाहे मेरे प्राण चले जाएं!
यह सोफिस्ट्री है । सोफिस्ट्री का मतलब होता है, वितंडा । उसमें आप कुछ भी कर सकते हैं। और दोनों तरफ तर्क चल सकते हैं। कृष्ण कहते हैं, ऐसे तर्क नहीं, लेकिन वह तर्क जो सत्य की खोज के लिए किया जाता है। तो मैं वाद, सत्य के खोजियों के लिए
193
किया जाने वाला वाद हूं। आज इतना ही ।
पांच मिनट रुकें। प्रभु नाम लें और फिर जाएं।