Book Title: Gita Darshan Part 05
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 227
________________ - मैं शाश्वत समय हूं सूरज भी ऐसा ही बदल रहा है। छोटा-सा दीया बदल रहा है हमारी भाषा हमें बहुत-सी भूलों में ले जाती है, क्योंकि भाषा इतनी तेजी से। उतना बड़ा सूरज और भी बड़ी तेजी से बदल रहा | | एक तरह का फिक्सेशन का खयाल देती है कि चीजें ठहरी हुई हैं। है। सुबह रोज वही सूरज नहीं उगता। और आप सोचते हों, सुबह हम कहते हैं, वृक्ष है। कहना चाहिए, वृक्ष हो रहा है। हम कहते हैं, रोज वही पृथ्वी दिखाई पड़ती है, तो भी गलती में हैं। और आप नदी है। कहना चाहिए, नदी हो रही है। हम कहते हैं, बच्चा है। सोचते हों कि रोज उन्हीं वृक्षों के पास से आप गुजरते हैं, तो भी कहना चाहिए, बच्चा हो रहा है। हम कहते हैं, मृत्यु आएगी। कहना आप भूल में हैं। सब बदल रहा है। बदलाहट इतनी तीव्र है कि चाहिए, मृत्यु आ रही है। आपको दिखाई नहीं पड़ती। ___ सब कुछ हो रहा है। प्रत्येक वस्तु एक घटना है, वस्तु नहीं। कोई जैसे बहुत तेजी से बिजली का पंखा चल रहा हो, तो उसकी | वस्तु वस्तु नहीं है, घटना है। घटना का अर्थ है, प्रक्रिया है। इस पंखुड़ियां दिखाई नहीं पड़ती। वैज्ञानिक कहते हैं कि इतनी तेजी से जगत में प्रक्रियाएं हैं, वस्तुएं नहीं। घटनाएं हैं, वस्तुएं नहीं। सब बिजली का पंखा चलाया जा सकता है कि आप अगर गोली भी | | कुछ हो रहा है। प्रवाह है। इस प्रवाह के बीच में अगर कोई एक मारें, तो बीच की जगह से नहीं निकले, पंखड़ी में ही लगे। चीज अक्षय है, तो वह समय है, काल है। वैज्ञानिक कहते हैं, इतनी तेजी से भी बिजली का पंखा चलाया जा यह बहुत मजे की बात है। अगर इस परिवर्तन के बीच में कोई सकता है कि आप उस पर बैठ जाएं और आपको पता न चले कि | चीज थिर है, तो वह परिवर्तन है। यह उलटा मालूम पड़ेगा। लेकिन पंखा चल रहा है। जीवन के गहरे सत्य सभी पैराडाक्सिकल हैं, उलटे होते हैं। ऐसा ___ सब कुछ इतनी ही तेजी से चल रहा है। आप जिस जमीन पर | | हम कहें तो समझ में आ जाएगा, इस जगत में अगर कोई चीज नहीं बैठे हैं, वह भी तेजी से, जमीन का एक-एक टुकड़ा भाग रहा है। | मरती है, तो वह मृत्यु है। बाकी सब चीजें मरती हैं। और इस जगत आपके मकान की दीवाल की ईंट का एक-एक अणु तीव्रता से | । में एक ही चीज अक्षय है, जो क्षीण नहीं होती, वह समय है। सब गतिमान है। कोई भी चीज ठहरी हुई नहीं है। सब चीजें चल रही बदलता रहता है। हैं। तेजी इतनी ज्यादा है कि आपको दिखाई नहीं पड़ती। । लेकिन ध्यान रहे, बदलने की प्रक्रिया समय में घटती है। समय सब बदल रहा होता. तब भी ठीक था। सबहन हो. तो बदलाहट नहीं हो सकती। आप अपने घर से यहां तक सूरज तो दूसरा होता ही है, जमीन दूसरी होती है, वृक्ष दूसरे होते आए, आने में घंटाभर लगा। अगर समय न हो, तो आप यहां नहीं हैं, आकाश दूसरा होता है, आप भी दूसरे होते हैं। रात जो सोया | पहुंच सकते। एक घंटा चाहिए, तब आप यहां पहुंच सकते हैं। था, वही आदमी सुबह नहीं जगता। आपकी जीवन धारा भी बह| समझ लें कि समय समाप्त हो गया, तो फिर आप यहां से हिल भी रही है। प्रतिपल बह रही है। आपमें भी सब बदल जाता है। न सकेंगे। क्योंकि हिलने में भी समय लगेगा। फिर आप श्वास भी . आप कभी खयाल किए हैं कि अगर मां के पेट में जो आपकी न ले सकेंगे, क्योंकि श्वास लेने में भी समय की जरूरत है। तस्वीर थी, पहले दिन मां के पेट में जो अणु निर्मित हुआ था, जो इस जगत में जो कुछ हो रहा है, उस सबके लिए समय अनिवार्य कि आप आज हो गए हैं, अगर वह आपके सामने रख दिया जाए, है। सब चीजें समय के भीतर हो रही हैं। सभी के होने में समय तो आप इन आंखों से उसे देख भी न सकेंगे। बड़ी खुर्दबीन की | | छिपा हुआ है। अस्तित्व समय के साथ एक है। सब चीजें बदल जरूरत पड़ेगी। और फिर भी कोई उपाय नहीं है कि आप पहचान रही हैं, बदलाहट समय के भीतर हो रही है। समय भर नहीं लें कि कभी मैं यह रहा होऊंगा। लेकिन कभी आप वही थे। | बदलता, क्योंकि समय किसके भीतर बदलेगा! समय को बदलने और फिर एक दिन आप जल जाएंगे और राख का एक ढेर रह | | के लिए फिर एक और समय चाहिए। जाएगा। अगर आज वह ढेर आपके सामने रख दिया जाए, तो भी गणितज्ञ उस पर विचार करते हैं, तो वे कहते हैं, टाइम ए को आप मानने को राजी न होंगे कि यही मैं हो जाऊंगा। आपको भरोसा | अगर बदलना हो, तो फिर टाइम बी चाहिए। अगर टाइम बी को न होगा कि यह और मैं। लेकिन वही आप हो जाएंगे। और हो | बदलना हो. तो फिर टाइम सी चाहिए। समय एक को बदलना हो. जाएंगे जब मैं कह रहा हूं, तो आप ऐसा मत सोचना कि यह कल तो समय दो चाहिए। समय दो को बदलना हो, तो समय तीन होने वाली बात है, वही आप हो रहे हैं। | चाहिए। यह तो फिजूल की बात हो जाएगी। और समय को हम [1971

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