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तो जगत
आलस्य छा जाएगा।
गीता दर्शन भाग-5
तो
छा जाने दें। ऐसे आपको क्या तकलीफ हो रही है ? आपको पता है, आलसियों ने क्या बुरा किया है जगत का? हिटलर कोई आलसी नहीं है, चंगेज खां कोई आलसी नहीं है, तैमूरलंग कोई आलसी नहीं है। दुनिया के जितने उपद्रवी हैं, कोई भी आलसी नहीं है। आप एकाध आलसी का नाम बता सकते हैं, जिसने दुनिया को कोई नुकसान पहुंचाया हो ? नुकसान पहुंचाने के लिए भी तो आलस्य नहीं चाहिए न !
दुनिया के पूरे इतिहास में एक आदमी नहीं है, जिसको हम दोष दे सकें, जो आलसी रहा हो, जिसने किसी को कोई हानि पहुंचाई हो। आलसी न चोर हो सकता है, न राजनीतिज्ञ हो सकता है। न गुंडा हो सकता है, न हत्यारा हो सकता है।
आलसी से क्या तकलीफ है आपको ? आलसी के ऊपर दोष ही क्या हैं? सब दोष तो कर्मठ लोगों के ऊपर हैं। सब उपद्रव का जाल तो कर्मठ लोगों के ऊपर है। दुनिया में थोड़ा कर्म कम हो, तो हानि नहीं होगी।
फिर आपको पता नहीं है । जो आलसी हो सकता है, वह आलसी होता ही है। जो नहीं हो सकता, उसके होने का कोई उपाय नहीं है। नियति का अर्थ यह है कि जो जो हो सकता है, वही हो सकता है। जो कर्मठ हो सकता है, वह कर्मठ रहेगा ही । उसको आप अगर कोठरी में भी बंद कर दें, तो भी वह कुछ न कुछ कर्म करेगा। वह बच नहीं सकता।
तिलक, लोकमान्य तिलक बंद थे कारागृह में। तो लिखने का कोई सामान नहीं था, तो कोयले से दीवाल पर लिखते रहते थे। गीता रहस्य उन्होंने कोयले से लिख-लिखकर शुरू किया। आपके सामने कोई सब कलम - कागज, एयरकंडीशंड दफ्तर भी रख दे, तो भी आप कुछ लिखेंगे जरूरी नहीं है। जो लिख सकता है, वह जेलखाने में कोयले से भी लिखेगा। जो नहीं लिख सकता है, उसको लिखने का सब सामान भी हो, तो सामान ही देखकर उनके प्राण और शांत हो जाएंगे। वह कुछ नहीं लिख सकेगा।
आप जो कर सकते हैं, वह करते हैं। आपको एक कहानी कहूं। जापान के एक राजा को मौज थी। वह आलसियों का बड़ा प्रेमी था। वह कहता था, आलसी बड़ा अनूठा आदमी है। और फिर आलसी का कोई कसूर नहीं है। भगवान ने किसी को आलसी पैदा
किया, तो उसका क्या कसूर है ! वह राजा खुद भी आलसी था । | आलसियों का बड़ा प्रेमी था । उसने सारे जापान में एक डुंडी पिटवाई। और उसने कहा कि जितने भी आलसी हों, उनको सरकार की तरफ से पेंशन मिलेगी। क्योंकि भगवान ने उनको आलसी | बनाया, वे कर भी क्या सकते हैं! और भगवान की वजह से वे परेशान हों !
उसके मंत्री बहुत हैरान हुए कि यह तो बड़ा उपद्रव का काम है। | इसमें तो पूरा मुल्क आलसी हो जाएगा और यह खजाना लुट जाएगा अलग। खजाना आलसी तो भरते नहीं, कर्मठ भरते हैं। और आलसी पेंशन पाने लगें मुफ्त, तो सभी आलसी हो जाएंगे। पर राजा का हुक्म था, तो उन्होंने कोई तरकीब निकाली फिर ।
उन्होंने राजा से कहा, यह तो ठीक है। लेकिन असली आलसी | कौन है, इसका कैसे पता चलेगा? राजा ने कहा, यह भी कोई पता | लगाना है! यह तो पता चल जाएगा। तुम खबर कर दो कि जो लोग भी पेंशन लेने को उत्सुक हैं, राजमहल में इकट्ठे हो जाएं।
राजधानी से कोई दस हजार आदमी इकट्ठे हो गए। सम्राट ने सबके लिए घास की झोपड़ियां बनवाई थीं । उन सबको ठहरा दिया। रात सम्राट ने कहा, झोपड़ियों में आग लगा दो। जो आदमी झोपड़ी से बाहर न भागें, उनको पेंशन देंगे।
चार आदमी नहीं भागे। जब झोपड़ी में आग लग गई तो उन्होंने अपने कंबल ओढ़ लिए। उनके पड़ोस के लोगों ने कहा भी कि आग लगी है। उन्होंने कहा कि अगर कोई हमें ले जाए बाहर, तो ले जाए। बाकी यह अपने बस बात नहीं है।
जो आलसी है, उसको आप कर्मठ बना भी कहां पाते हैं! जो कर्मठ है, उसे आलसी बनाने का कोई उपाय नहीं है। जिंदगी में हर आदमी जैसा है, वैसा है, यह नियति की धारणा है। इससे आप परेशान न हों कि लोग आलसी हो जाएंगे।
जिन मित्र ने पूछा है, लगता है, आलसी टाइप हैं। लोग हो जाएंगे, इसका तो क्या डर है। उनको डर होगा अपना । वे होंगे आलसी । समझा-बुझाकर कर्म में लगे होंगे। धक्का दे रहा होगा पिता, पत्नी, कोई धक्का दे रहा होगा कि लगो कर्म में। तो वे लगे होंगे अपने को समझाकर । सुनकर उन्हें घबड़ाहट हुई होगी कि यह तो बात गड़बड़ है। संसार आलसी हो जाएगा! संसार नहीं हो जाएगा।
लेकिन अगर आप आलसी हो सकते हैं, तो देर मत करें, हो जाएं। किसी की मत सुनें, चुपचाप हो जाएं। क्योंकि वही आपका
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