Book Title: Gita Darshan Part 05
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

View full book text
Previous | Next

Page 426
________________ ॐ गीता दर्शन भाग-58 नहीं है। शरीर का जन्म है, शरीर की मृत्यु है। जो आपको मां-बाप | | करके देख लेता है। से मिला है शरीर, वह मरेगा। लेकिन जो आप हैं, उसके मरने का | | कठिन नहीं है। अगर प्रयोग करें, तो सरल है। अगर मानते ही कोई उपाय नहीं है। रहें, तो बहुत कठिन है। अगर प्रयोग करें, तो बहुत सरल है। लेकिन ऐसा विश्वास करके मत बैठे रहना। विश्वास करने की क्योंकि आप अलग हैं ही। सिर्फ थोड़े से होश को बढ़ाने की जरूरत हमारी बड़ी जल्दी होती है। और मतलब की बात हो, इच्छा के है भीतर। आंख बंद करके भीतर देखने की क्षमता विकसित करने अनुकूल हो, हम जल्दी विश्वास कर लेते हैं। हम सब चाहते हैं कि की जरूरत है। न मरें, इसलिए आत्मा अमर है, इसमें विश्वास करने के लिए हमें लेकिन मौत तो बहुत दूर है। आप अपनी नींद को भी नहीं देख बहुत तर्क की जरूरत नहीं पड़ती। हमारा भय ही काफी तर्क हो पाते, तो मौत को कैसे देख पाएंगे? आप रोज सोते हैं शाम। जिंदगी जाता है। कोई भी हमसे कहे, आत्मा अमर है, हमारा दिल बड़ा | में साठ साल जीएंगे, तो बीस साल सोने में बिताएंगे। छोटा-मोटा खुश होता है कि चलो, मरेंगे नहीं। इस पर विश्वास कर लेने में | काम नहीं है नींद, एक तिहाई जिंदगी उसमें जाती है। बीस साल आप जल्दी कर देते हैं लोग। जल्दी मत करना। विश्वास से कुछ हल न | सोते हैं, अगर साठ साल जिंदा रहते हैं। लेकिन आपको पता है कि होगा। अनुभव ही एकमात्र हल है। | नींद क्या है? कभी आपने होशपूर्वक नींद को देखा है ? कि नींद उतर मैं कहता हूं, इससे मान मत लेना। कृष्ण कहते हैं, इससे मत रही मेरे ऊपर। छा रही। सब तरफ से मुझे घेर रही। शरीर सुस्त हुआ मान लेना। बुद्ध कहते हैं, इससे मत मान लेना। उनके कहने से | | जा रहा। नींद प्रवेश करती जा रही है और मैं देख रहा हूं। ' सिर्फ प्रयोग करने के लिए तैयार होना है, मान मत लेना। इतना ही आप नींद को भी नहीं देख पाते, तो मौत को कैसे देखिएगा? समझना कि कहते हैं ये लोग, प्रयोग करके हम भी देख लें। और मौत तो बहुत गहरी मूर्छा है। नींद तो बहुत छोटी मूर्छा है। अगर अनुभव मिल जाए, तो ही मानना, अन्यथा मत मानना। | जरा-सा कोई बर्तन गिर जाए, तो खुल जाती है। इससे ज्यादा नहीं तो हमारी हालत ऐसी है कि बिना अनुभव के हम माने चले| गहराई नहीं है। एक मच्छड़ काट जाए, तो खुल जाती है। बहुत जाते हैं। बिना अनुभव के जो मान्यता है, वह ऊपर-ऊपर होगी, गहरी नहीं है। लेकिन इतनी उथली चीज में भी आप होश नहीं रख थोथी होगी, कागजी होगी, जरा-सी वर्षा होगी और बह जाएगी, | पाते, तो मौत में कैसे रख पाएंगे? टिकने वाली नहीं है। ऊपर-ऊपर की जो मान्यता है, वह मृत्यु में| प्रयोग अगर करेंगे, तो जिसको भी मृत्यु के संबंध में जागना है, आपको सजग न रख पाएगी, आप बेहोश हो जाएंगे। उसे नींद से प्रयोग शुरू करना चाहिए। रात जब बिस्तर पर पड़ें, तो डाक्टर तो अब एनेस्थेसिया का प्रयोग करते हैं बड़ा आपरेशन आंख बंद करके एक ही खयाल रखें कि मैं जागा रहूं। शरीर को करना हो तो। लेकिन मृत्यु सबसे बड़ा आपरेशन है। क्योंकि | ढीला होने दें, होश को सजग रखें। और खयाल रखें कि मैं देख आपका समस्त शरीर-संस्थान आपसे अलग किया जाता है। लं, नींद कब आती है? कब मेरा शरीर जागने से नींद में प्रवेश इसलिए प्रकृति भी उसे होश में नहीं कर सकती। प्रकृति भी आपको | | करता है? कब गियर बदलता है? कब मैं नींद की दुनिया में प्रवेश बेहोश कर देती है, मरने के पहले आप बेहोश हो जाते हैं। | करता हूं? उसे देख लूं! बस, चुपचाप देखते रहें। वह इतना बड़ा आपरेशन है, उससे बड़ा कोई आपरेशन नहीं है। पता नहीं चलेगा कब नींद लग गई, और देखने का खयाल भूल कोई डाक्टर एक हड्डी अलग करता है, कोई डाक्टर दो हड्डी अलग | जाएगा! सुबह होश आएगा कि देखने की कोशिश की थी, लेकिन करता है, कोई हृदय को बदलता है। लेकिन पूरा संस्थान, आपका | | देख नहीं पाए; नींद आ गई और देखना खो गया। लेकिन सतत पूरा शरीर मृत्यु अलग करती है आपसे। वह गहरे से गहरी सर्जरी लगे रहें। अगर तीन महीने निरंतर बिना किसी विघ्न-बाधा के आप है। उसमें आपको बेहोश कर देना एकदम जरूरी है। इसलिए मौत नींद के साथ जागने की कोशिश करते रहे, तो किसी भी दिन यह के पहले आप बेहोश हो जाते हैं। अगर मौत में होश रख पाएं, तो घटना घट जाएगी कि नींद उतरेगी आपके ऊपर, जैसे सांझ उतरती आपको पता चल जाएगा कि आपकी कोई मृत्यु नहीं है। है, अंधेरा छा जाता है, और आप भीतर जागे रहेंगे; आप देख ध्यान जो साधता है, वह धीरे-धीरे मौत में भी होश रख पाता है। पाएंगे कि नींद यह है। क्योंकि मरने के पहले बहुत बार वह अपने को शरीर से अलग जिस दिन आपने नींद देख ली, उस दिन आपने एक बहुत बड़ा 396

Loading...

Page Navigation
1 ... 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478