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ॐ गीता दर्शन भाग-500
हैरान हुआ। सीधे-सादे ग्रामीण देहाती मालूम पड़ते थे। वह जाकर | उन्होंने कहा, एक दफा और। कहीं भूल न जाएं। उसने कहा, तुम जब खड़ा हुआ, तो उन तीनों ने झुककर नमस्कार किया, उसके चरण | आदमी कैसे हो? तुम संत हो? तो उन्होंने कहा, नहीं, हम कोशिश छुए। उसने कहा कि बिलकुल नासमझ हैं। इनकी क्या हैसियत! तो पूरी याद करने की करेंगे, एक दफा आप और दोहरा दें! उसने
उसने बहुत डांटा-डपटा, फटकारा कि तुम यह क्यों भीड़-भाड़ दोहरा दी। यहां इकट्ठी करते हो? उन्होंने कहा, हम नहीं करते। लोग आ जाते | फिर पादरी वापस लौटा। जब वह आधी झील में था, तब उसने हैं। आप उनको समझा दें। पूछा कि तुमको किसने कहा कि तुम देखा कि पीछे वे तीनों पानी पर भागते चले आ रहे हैं। तब उसके संत हो? लोग कहने लगे। हमको कुछ पता नहीं है। तुम्हारी प्रार्थना प्राण घबड़ा गए। उसने अपने माझी से कहा कि यह क्या मामला क्या है ? बाइबिल पढ़ते हो? उन्होंने कहा, हम बिलकुल पढ़े-लिखे है ? ये तीनों पानी पर कैसे चले आ रहे हैं? उस माझी ने कहा कि नहीं हैं। तुम प्रार्थना क्या करते हो? क्योंकि चर्च की तो निश्चित मेरे हाथ-पैर खुद ही कंप रहे हैं। यह मामला क्या है! वे तीनों पास प्रार्थना है। तो उन्होंने कहा, हमको तो प्रार्थना कुछ पता नहीं। हम आ गए। उन्होंने कहा, जरा रुकना। वह प्रार्थना हम भूल गए; एक तीनों ने मिलकर एक बना ली है। तुम कौन हो बनाने वाले प्रार्थना? बार और बता दो! उस पादरी ने कहा कि तुम अपनी ही प्रार्थना जारी प्रार्थना तो तय होती है पोप के द्वारा। बिशप्स की बड़ी एसेंबली रखो। हमारी प्रार्थना तो कर-करके हम मर गए, पानी पर चल नहीं इकटी होती है. तब एक-एक शब्द का निर्णय होता है। तम कौन सकते। तम्हारी प्रार्थना ही ठीक है। तम वही जारी रखो। वे तीनों हो प्रार्थना बनाने वाले? तुमने अपनी निजी प्रार्थना बना ली है! | हाथ जोड़कर कहने लगे कि नहीं, वह प्रार्थना ठीक नहीं। मगर भगवान तक जाना हो, तो बंधे हुए रास्तों से जाना पड़ता है! क्या आपने जो बताई थी, बड़ी लंबी है और शब्द जरा कठिन हैं। और है तुम्हारी प्रार्थना?
| हम भूल गए। हम बेपढ़े-लिखे लोग हैं। वे तीनों बहुत घबड़ा गए। कंपने लगे। सीधे-सादे लोग थे। तो | यह घटना टाल्सटाय ने लिखी है। ये तीन आदमी बिलकुल उन्होंने कहा, हमने तो एक छोटी प्रार्थना बना ली है। आप माफ पंडित नहीं हैं, विनम्र भोले-भाले लोग हैं। लेकिन एक निजी करें, तो हम बता दें। ज्यादा बड़ी नहीं है, बहुत छोटी-सी है। अनुभव घटित हुआ है। और निजी अनुभव के लिए कोई अधिकृत
ईसाइयत मानती है कि परमात्मा के तीन रूप हैं, ट्रिनिटी। त्रिमूर्ति प्रार्थनाओं की जरूरत नहीं है। और निजी अनुभव के लिए कोई परमात्मा है। परमात्मा है, उसका बेटा है, होली घोस्ट है। ये तीन लाइसेंस्ड शास्त्रों की जरूरत नहीं है। और निजी अनुभव का किसी रूप हैं परमात्मा के।
ने कोई ठेका नहीं लिया हुआ है। हर आदमी हकदार है पैदा होने के तो उन्होंने कहा कि हमने तो एक छोटी-सी प्रार्थना बना ली। यू साथ ही परमात्मा को जानने का। वह उसका स्वरूपसिद्ध अधिकार आर थ्री, वी आर थ्री, हैव मर्सी आन अस। तुम भी तीन हो, हम है। वह मैं हूं, यही काफी है, मेरे परमात्मा से संबंधित होने के लिए। भी तीन हैं, हम पर कृपा करो। यही हमारी प्रार्थना है। उस पादरी ने और कुछ भी जरूरी नहीं है। बाकी सब गैर-अनिवार्य है। कहा, नासमझो, बंद करो यह बकवास। यह कोई प्रार्थना है ? सुनी लेकिन जो जानकारी हम इकट्ठी कर लेते हैं, वह जानकारी हमारे है कभी? और तुम मजाक करते हो भगवान का कि तुम भी तीन | सिर पर बोझ हो जाती है। वह जो भीतर की सरलता है, वह भी खो और हम भी तीन हैं?
जाती है। पंडित भी उसे पा सकते हैं, लेकिन पांडित्य को उतारकर उन्होंने कहा, नहीं, मजाक नहीं करते। हम भी तीन हैं। और रख दें तो ही। हमने सुना है कि वह भी तीन है। उसका तो हमें पता नहीं। बाकी | ___ और तत्व-ज्ञान मैं हूं। ज्ञान नहीं, जानकारी नहीं, सूचना नहीं, हम तीन हैं। और हम ज्यादा कुछ जानते नहीं। हमने सोचा, हम तीन | शास्त्रीयता नहीं, आत्मिक अनुभव। और निश्चित ही, उस हैं, वे भी तीन हैं, तो हम तीनों पर कृपा कर। उसने कहा कि यह | आत्मिक अनुभव में, जहां एक भी शब्द नहीं होता, व्यक्ति होता है प्रार्थना नहीं चलेगी। आइंदा करोगे, तो तुम नरक जाओगे। तो मैं | और अस्तित्व होता है और दोनों के बीच की सब दीवालें गिर गई तुम्हें प्रार्थना बताता हूं आथराइज्ड, जो अधिकृत है। | होती हैं, वहां जो होता है, वही परमात्मा है।
उसने प्रार्थना बताई। उन तीनों को कहलवाई। उन्होंने कहा, एक इसे हम ऐसा कहें, परमात्मा का अनुभव नहीं होता; एक दफा और कह दें, कहीं हम भूल न जाएं। फिर एक दफा कही। फिर अनुभव है, जिसका नाम परमात्मा है। परमात्मा का कोई अनुभव
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