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ॐ गीता दर्शन भाग-58
जैसा जैनों ने प्रयोग किया है पार्श्वनाथ हिल्स पर, ठीक वैसा ही अगर कोई फिजिक्स का जानकार हो जाए, कोई केमिस्ट्री का प्रयोग हिंदुओं ने गंगा के किनारे किया है।
जानकार हो जाए, कोई गणित को जान ले, कोई ज्योतिष को जान अरब में एक गांव है, कुफा। उस गांव में अब तक मुसलमान ले, कोई संगीत को जाने-हजार विद्याएं हैं-कोई किसी भी विद्या के अतिरिक्त कोई भी प्रवेश नहीं पा सका, सिर्फ एक आदमी को में कितना ही पारंगत हो जाए, स्वयं तो अंधेरे में ही खड़ा रहता है। छोड़कर, पूरे इतिहास में चौदह सौ साल के। मुसलमान के कितना ही बड़ा संगीतज्ञ हो और कितना ही संगीत जान ले, लेकिन अतिरिक्त उस गांव में प्रवेश नहीं हो सकता, और साधारण खुद के स्वरों से अपरिचित होता है। सब स्वरों को साध ले, खुद मुसलमान भी प्रवेश नहीं पा सकता है। असाधारण रूप से, वस्तुतः की आत्मा अनसधी रह जाती है। सब वाद्यों को बजा ले, एक भीतर जो मुसलमान हो, सच में जिसका हृदय रूपांतरित हुआ हो और | की वीणा सूनी ही पड़ी रह जाती है। कोई कितना ही बड़ा गणितज्ञ परमात्मा के लिए समर्पित हो गया हो, और जिसने जाना हो कि एक | हो, और कितनी ही संख्याओं को जान ले, अनंत संख्याओं का ही अल्लाह है, वही प्रवेश पा सकता है।
हिसाब उसके मन में सरलता से हल होने लगे, लेकिन एक संख्या सिर्फ एक आदमी, एक अंग्रेज खोजी बर्टन उसमें प्रवेश पा सका स्वयं की, वह अनगिनी रह जाती है। है गैर-मुसलमान। लेकिन उसको भी गैर-मुसलमान कहना ठीक सुना होगा आपने कि दस अंधों ने एक बार नदी पार की थी। नहीं है। क्योंकि बीस साल उसने मुसलमान साधना की, सिर्फ उस बाढ़ आई नदी थी बरसा की। पार तो वे कर गए, फिर उन्हें खयाल गांव में प्रवेश पाने के लिए। और जब वह बिलकुल मुसलमान हो | आया कि कोई अंधा रास्ते में बह न गया हो! तो उन्होंने गिनती की गया, नाममात्र को ही बर्टन रह गया, चमड़ी भर अंग्रेज की रह गई। | थी। लेकिन कठिनाई वही हुई, जो सभी आदमियों के साथ होती
और सब तरह से वह मुसलमान हो गया, तब उसे प्रवेश मिला। । है। गिनती नौ होती थी, क्योंकि हर गिनने वाला अपने को छोड़ ___ मुसलमानों ने इस गांव को प्रयोग किया है चार्ज करने का। इन जाता था। गिनता था एक से नौ तक। और जब सभी ने गिनकर चौदह सौ वर्षों में उन्होंने एक अनूठी छोटी-सी जगह निर्मित की है। | देख लिया और सभी ने पाया कि संख्या नौ होती है, तो निर्णय हो उसमें प्रवेश पाते ही कोई आदमी रूपांतरित हो जाए, ऐसी व्यवस्था गया कि एक आदमी खो गया है। की है। उसमें वे ही लोग प्रवेश पा सकते हैं, जो बहुत गहन प्रार्थना हम सब निर्णय इसी तरह तो लेते हैं! डेमोक्रेटिक निर्णय इसी में उतर गए हैं। वह सारा वातावरण उससे प्रभावित हो जाता है। | तरह तो होते हैं! जब दस आदमी सभी के सब कह रहे हों कि नौ कण-कण उनके प्रभाव को पी लेता है, आत्मसात कर लेता है। हैं, तो अब कोई उपाय न रहा। वे छाती पीटकर रोने लगे थे कि कष्ण कहते हैं. मैं नदियों में गंगा है।
उनका साथी कोई खो गया। गंगा साधारण नदी नहीं है, एक आध्यात्मिक यात्रा है, और एक ___ पास से कोई गुजरा है और उसने पूछा कि क्या कारण है तुम्हारे आध्यात्मिक प्रयोग। लाखों वर्षों तक लाखों लोगों का उसके | इस तरह जार-जार रोने का? तो उन अंधों ने कहा, हम दस निकले निकट मुक्ति को पाना, परमात्मा के दर्शन को उपलब्ध होना, थे उस पार से, एक साथी खो गया। हम नौ हैं! उस आदमी ने आंख आत्म-साक्षात्कार को पाना! लाखों लोगों का उसके किनारे आकर डाली। देखा, वे दस थे। उसने कहा, जरा देखें, तुम्हारी गिनती अंतिम घटना को उपलब्ध होना! वे सारे लोग अपनी जीवन-ऊर्जा | करने में कोई भूल तो नहीं? उन्होंने गिनती करके बताई, तो वह को गंगा के पानी पर उसके किनारों पर छोड़ गए हैं।
समझ गया भूल। भूल वही है, जो सब आदमियों की भूल है। हर इसलिए कृष्ण कहते हैं कि मैं नदियों में गंगा हूं।
एक अपने को गिनना छोड़ जाता है। और हे अर्जुन, सृष्टियों का आदि, अंत और मध्य मैं ही हूं। तथा | __ तो उस आदमी ने कहा कि एक तरकीब का मैं उपयोग करता हूं, विद्याओं में अध्यात्म-विद्या अर्थात ब्रह्म-विद्या, और परस्पर | इससे चमत्कार घटित होगा और दसवां आदमी मौजूद हो जाएगा। विवाद करने वालों में तत्व-निर्णय के लिए किया जाने वाला वाद, | मैं हर एक को चांटा मारूंगा जोर से। जिसको मैं चांटा मारूं, वह तर्क मैं ही हूं, न्याय मैं ही हूं।
बोले एक। जब मैं दूसरे को चांटा मारूं दो, तो वह बोले दो। जब ये दो बातें बहुत बहुमूल्य हैं। विद्याओं में अध्यात्म-विद्या। अनंत मैं तीसरे को चांटा मारूं तीन, तो वह बोले तीन। और ऐसे मैं दसवें विद्याएं हैं, लेकिन अध्यात्म-विद्या गुणात्मक रूप से भिन्न है। को मौजूद कर दूंगा।
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