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ॐ शास्त्र इशारे हैं 8
लगीं। बुद्ध भागे। उनके भागने का बुनियादी कारण उस ज्योतिषी जहर जैसी हो ही जाएगी। की सलाह थी।
__इस जगत में कुछ भी ऐसा नहीं है, जिससे हम ऊब न जाएं। अगर सब मिल जाए, तो ऊब पैदा होती है। इसलिए आज | और अगर इस जगत में आपको कोई ऐसी चीज मिल जाए, जिससे अमेरिका में जितनी ऊब है, उतनी दुनिया की किसी कौम में नहीं आप न ऊबें, तो आप समझना कि आप धर्म के रास्ते पर आ गए। है। अगर अमेरिका के मनसविद से हम पूछे, तो वह कहता है कि अगर इस जगत में आपको किसी ऐसी चीज की झलक मिल जाए, अमेरिका की बीमारी इस समय बोर्डम है, ऊब है। और उसको जिससे ऊब पैदा न हो, तो आप समझना कि प्रभु बहुत निकट है, तोड़ने के लिए सब उपाय किए जा रहे हैं। लेकिन वह टूटती नहीं। आप कहीं पास ही हैं। हर आदमी ऊबा हुआ मालूम पड़ता है।
मेरे जानने में, जब तक आपको ध्यान की कोई झलक न मिले, अगर आपकी किसी चीज से तृप्ति हो जाए, तो आप ऊब | आपको वैसी चीज नहीं मिलेगी इस जगत में, जिसके अनुभव से जाएंगे। इस जगत में ऐसी कोई भी चीज नहीं है, कोई भी चीज नहीं ऊब पैदा नहीं होती। है, जिसको पाकर आप ऊब न जाएंगे। हां, तभी तक रस रह सकता | बुद्ध को ज्ञान हुआ, उसके बाद चालीस साल तक वे शांत, है, जब तक वह मिले न। जब तक दूर रहे, जब तक पाने के लिए मौन, ध्यान में जीए। कोई एक आदमी ने बुद्ध से पूछा है कि हाथ फैला हो और हाथ में आ न गई हो कोई चीज, तभी तक आप | चालीस साल से आप ध्यान में ही रह रहे हैं, ऊब पैदा नहीं होती? रसपूर्ण हो सकते हैं। मिलते ही ऊब पैदा हो जाती है। इस जगत में बड रसेल जैसे बुद्धिमान आदमी ने सवाल उठाया है! बट्रेंड सभी चीजें ऐसी हैं कि रोज-रोज उनका स्वाद लिया जाए, तो | | रसेल ने अपने संस्मरणों में कहीं लिखा है कि मुझे हिंदुओं के मोक्ष घबड़ाहट हो जाती है।
से बड़ा डर लगता है, क्योंकि वहां से वापसी नहीं हो सकती। सुना है मैंने, मुल्ला नसरुद्दीन को उसके देश के सम्राट ने उसकी | लौटने का कोई उपाय नहीं है मोक्ष से। तो बड रसेल कहता है कि बातें, उसके व्यंग्य का मजा लेने के लिए अपने पास रख लिया था। अगर यह भी मान लिया जाए कि जैसा हिंद कहते हैं कि वहां परम पहले ही दिन सम्राट भोजन के लिए बैठा. तो नसरुद्दीन को भी साथ शांति है, और परम आनंद है: कोई दख नहीं, कोई पीड़ा नहीं, कोई बिठाया था। कोई सब्जी सम्राट को बहुत पसंद आई। तो नसरुद्दीन तनाव नहीं। लेकिन बड रसेल ने कहा है कि यह कब तक बर्दाश्त ने कहा, आएगी ही पसंद, यह सब्जी नहीं, अमृत है। और उसने होगा, कितने समय तक? कोई अशांति नहीं, सुख ही सुख, शांति उसके गुणों की ऐसी महिमा बखान की कि सम्राट ने अपने रसोइए | ही शांति। लेकिन अनंत काल में तो यह भी घबड़ा देगा। फिर लौट को कहा कि रोज यह सब्जी तो बनाना ही।
भी नहीं सकते, यह भी एक तकलीफ है। दूसरे दिन भी वह सब्जी बनी, लेकिन वैसा रस न आया। तीसरे बड रसेल ने कहा है, इससे तो संसार ही बेहतर। इसमें कुछ दिन भी बनी। चौथे दिन भी बनी। और नसरुद्दीन था कि वह रोज | बदलाहट, कोई चेंज का उपाय है। इससे तो नरक भी बेहतर, वहां उसकी प्रशंसा करता चला गया कि यह अमृत है। इसका कोई से कम से कम वापस तो आ सकते हैं। लेकिन यह मोक्ष? यह तो मुकाबला नहीं। यह बेजोड़ है जगत में। इसके स्वाद का संबंध स्वर्ग | परम कारागृह हो जाएगा। और माना कि आनंद रहेगा, लेकिन से है, पृथ्वी से नहीं।
आनंद भी कितनी देर तक रहेगा? आनंद ही आनंद, आनंद ही सातवें दिन सम्राट ने थाली उठाकर फेंक दी और कहा कि आनंद, आनंद ही आनंद! आखिर ऊब पैदा हो जाएगी और प्राण नसरुद्दीन, बंद करो यह बकवास! यह सब्जी मेरी जान ले लेगी। छटपटाने लगेंगे। नसरुद्दीन ने कहा कि मालिक, यह जहर है। और इसका संबंध नर्क बर्दैड रसेल को आनंद का कोई पता नहीं है, इसलिए उसे यह से है! उस सम्राट ने कहा, नसरुद्दीन, तुम आदमी कैसे हो? कल सवाल उठा है। उसे पता नहीं है आनंद का, इसलिए उसे सवाल तक तुम इसे स्वर्ग बताते रहे, आज यह नर्क हो गई! नसरुद्दीन ने | | उठा है। उसका सवाल बिलकुल संगत है, क्योंकि उसे कोई कहा कि हुजूर, मैं नौकर आपका हूं, इस सब्जी का नहीं। तनख्वाह | | अनुभव ही नहीं है कि आनंद हम कहते ही उस स्थिति को हैं, आपसे पाता हूं, इस सब्जी से नहीं।
| जिससे कोई ऊब पैदा नहीं होती। सुख हम कहते हैं उस स्थिति को, लेकिन सात दिन में, जो बहुत अमृत जैसी मालूम पड़ी थी, वह जिससे ऊब पैदा हो जाती है। दुख हम कहते हैं उस स्थिति को, कि
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