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83 गीता दर्शन भाग-50
अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारदः। | रासायनिक प्रक्रिया की जरूरत है और जिन रासायनिक तत्वों की गन्धर्वाणां चित्ररथः सिद्धानां कपिलो मुनिः । । २६ ।। । मस्तिष्क में जरूरत है, उनकी सर्वाधिक मात्रा पीपल में उपलब्ध है।
उच्चैःश्रवसमश्वानां विद्धि माममृतोद्भवम् । कॉलिन विल्सन ने मजाक में ही लिखा है, लेकिन विचारपूर्ण है ऐरावतं गजेन्द्राणां नराणां च नराधिपम् ।। २७ ।। | बात। उसने लिखा है कि बुद्ध का बुद्धत्व जिस वृक्ष के नीचे और सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष और देवर्षियों में नारद मुनि | हुआ–वट-वृक्ष, वह पीपल की जाति का ही वृक्ष है-उस वृक्ष तथा गंधवों में चित्ररथ और सिद्धों में कपिल मुनि हूं। | के नीचे बुद्ध का बुद्धत्व घटित होना, किसी गहरे अर्थ में वृक्ष से
और हे अर्जुन, तू घोड़ों में अमृत से उत्पन्न होने वाला | भी संबंधित हो सकता है। क्योंकि चैतन्य की प्रक्रिया जिस उच्चैःश्रवा नामक घोड़ा और हाथियों में ऐरावत नामक हाथी रासायनिक संभावना से बढ़ती है, वह वट या पीपल, उस तरह के तथा मनुष्यों में राजा मेरे को ही जान । वृक्षों में सर्वाधिक है।
तो बोधि-वृक्ष, सिर्फ बुद्ध के नीचे बैठने से बोधि-वृक्ष
| कहलाए, ऐसा नहीं। बोधि-वृक्ष सारे वृक्षों में सर्वाधिक बुद्धि की भो र सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष, देवर्षियों में नारद मुनि संभावना वाला वृक्ष भी है। 11 तथा गंधर्वो में चित्ररथ और सिद्धों में कपिल हूं। कृष्ण कहते हैं, वृक्षों में मैं पीपल हैं।
___ एक तीसरे द्वार से कृष्ण और प्रतीकों का भी उपयोग | इसका अर्थ यह हुआ कि अगर हम परमात्मा की खोज करने जाएं करते हैं, वृक्षों में पीपल!
| वृक्षों में भी, तो जहां भी बुद्धिमत्ता की छोटी-सी किरण हो, उसी से पीपल बहुत विशेष वृक्ष है। हिंदुओं की मान्यता के अनुसार ही हमें खोज करनी पड़ेगी। जहां भी बुद्धिमत्ता है, वहीं ईश्वर है। अगर नहीं, वनस्पतिशास्त्र के अनुसार भी। और वनस्पतिशास्त्र के | | वृक्ष में भी बुद्धिमत्ता की कोई किरण है, तो वहीं ईश्वर है। . अनुसार ही नहीं, अब तो मनोविज्ञान के अनुसार भी। सारे वृक्ष रात्रि | वर्षों तक विज्ञान ऐसा सोचता था कि बुद्धि केवल आदमी में है, में कार्बन डाइआक्साइड छोड़ते हैं, सिर्फ पीपल को छोड़कर। लेकिन वह बात भ्रांत सिद्ध हुई। बुद्धि पशुओं में भी है। उसकी पीपल भर रात में कार्बन डाइआक्साइड नहीं छोड़ता है। मात्रा भिन्न होगी, उसका ढंग और होगा। उसे हम न समझ पाते हों,
इसलिए किसी भी वृक्ष के नीचे रात रुकना हानिकर है, सिर्फ | यह भी हो सकता है, क्योंकि हमसे पशुओं की बुद्धि का कोई संवाद पीपल को छोड़कर। किसी भी वृक्ष के नीचे रात रुकने का अर्थ | | नहीं है। लेकिन अब तो विज्ञान यह भी स्वीकार करता है कि पौधों घातक हो सकता है। कार्बन डाइआक्साइड की मात्रा बढ़ जाए, तो | | में भी बुद्धि है। और पौधों के पास भी स्मृति है, मेमोरी है। और मत्य भी घटित हो सकती है। इसलिए रात्रि वक्षों के नीचे रहने की पौधे भी स्मति को संरक्षित रखते हैं। शायद शीघ्र ही हम ये सारे मनाही है। लेकिन पीपल के वृक्ष के नीचे रात भी रहा जा सकता रास्ते खोज लेंगे, जिनसे पौधों की स्मृति को भी खोला जा सके। है। पीपल इस अर्थ में अनूठा है। चौबीस घंटे उससे जीवन निःसृत ___ तो बोधि-वृक्ष के नीचे अगर बुद्ध को ज्ञान उत्पन्न हुआ हो, तो होता है।
इस बोधि-वृक्ष को बुद्ध के इस ज्ञान के होने की घटना की भी स्मृति मनोविज्ञान के हिसाब से अब एक बहुत अनूठी बात का पता | है। और वह वृक्ष तो अब तक बचाया जा सका है। बोधि-वृक्ष, चला है। मनसविद और शरीरशास्त्री दोनों ही निरंतर इस खोज में | | जिसके नीच बुद्ध को ज्ञान हुआ, अब तक सुरक्षित है। क्या उस रहे हैं कि मनुष्य की चेतना का केंद्र कहां है। शरीर में सारी ग्रंथियों | वृक्ष के अंतस्तल में, बुद्ध के जीवन में जो घटना घटी उस वृक्ष के की खोज-बीन की गई है। मस्तिष्क में जिन ग्रंथियों के पास चेतना | नीचे, वह जो महाप्रकाश हुआ, उसकी कोई स्मृति संरक्षित है? की निकटता मालूम पड़ती है, उन ग्रंथियों में जो रसस्राव है, बहुत __अब वैज्ञानिक कहते हैं कि वृक्षों की भी, पौधों की भी स्मृति है। चकित करने वाली बात है कि मस्तिष्क में जिस कारण बोध और | उनका भी बोध है और उनकी भी संवेदनशीलता है। इतना ही नहीं, चेतना निर्मित होती है, या जिसके अभाव में आदमी बेहोश हो जाता | वे कहते हैं...। और इस पर अब काफी प्रयोग किए जा चुके हैं, है, उस रासायनिक तत्व की सर्वाधिक उपलब्धि पीपल वृक्ष में है। रूस में, अमेरिका में, दोनों जगह। अब ऐसे यंत्र भी निर्मित हुए हैं, मनुष्य के भीतर जो बुद्धि है, उस बुद्धि के प्रकट होने के लिए जिस जो यह बता सकें कि वृक्ष की भावदशा क्या है।
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