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गीता दर्शन भाग-53
होकर गालियां किस प्रयोजन से दी थीं? उस आदमी ने कहा कि जवाब मत देना। उससे कह देना कि मैं आऊंगा। चौबीस घंटे का क्षमा करें, जिसने गालियां दी थीं, वह अब मैं नहीं हूं। खलीफा ने मुझे मौका दें, ताकि मैं सोचूं, विचारूं। मैं चौबीस घंटेभर बाद कहा कि तुम वह नहीं हो? शक्ल मैं तुम्हारी ठीक से पहचानता हूं। | आकर जवाब दे दूंगा।
और सिपाहियों ने कहा कि यही आदमी है। लेकिन उस आदमी ने | गुरजिएफ ने अपने संस्मरणों में लिखा है कि मुझे जवाब देने का कहा कि और सब ठीक है। शक्ल भी वही है। आदमी भी वही है | | मौका कभी नहीं आया। चौबीस घंटे बहुत लंबा वक्त था, इतनी देर एक अर्थ में। लेकिन फिर भी मैं कहता हूं, वह मैं नहीं हूं, क्योंकि | | जहर टिकता नहीं। वह तत्काल हो जाए, तो हो जाए। कल मैंने शराब पी रखी थी। और जब सुबह मैं होश में आया, तो मगर हम बड़े होशियार लोग हैं। अगर कोई भला काम करना मैंने सोचा, अरे, यह मैंने क्या किया!
| हो, तो हम कहते हैं, जरा सोचेंगे। बुरा काम करना हो, तो हम बड़े खलीफा ने उसे मुक्त कर दिया।
तत्काल! फिर हम कभी नहीं कहते कि सोचेंगे। अगर कोई कहे कि लेकिन आपको पता है कि जब आप क्रोध में होते हैं, तब भी एक दो पैसे दान कर दो, तो हम कहेंगे, सोचेंगे। और कोई एक शराब आपके रग-रग रेशे-रेशे में दौड़ जाती है! अब तो वैज्ञानिक | गाली दे, तो हम कभी नहीं कहते कि जरा सोचेंगे। फिर सोचने का कहते हैं कि आपके शरीर के भीतर ग्रंथियां हैं जहर की। जब आप | कोई सवाल नहीं है। फिर हम तत्काल! फिर हमसे ज्यादा त्वरा और क्रोध में होते हैं, तो वे ग्रंथियां जहर को छोड़ देती हैं और आप तीव्रता में और जल्दी में कोई नहीं होता। बेहोश हो जाते हैं; केमिकली आप बेहोश हो जाते हैं। ___ यह जल्दी क्या है, आपको पता नहीं। यह जल्दी केमिकल है,
तो आपने क्रोध को कभी जाना नहीं। क्योंकि जब क्रोध होता है, यह जल्दी रासायनिक है। वह जहर जो आपके खून में छूटा है, वह तब आप नहीं होते। और जब आप लौटते हैं, तब तक क्रोध जा कहता है, जल्दी करो! क्योंकि अगर दो क्षण भी चूक गए, तो वह चका होता है। आपकी मुलाकात नहीं हुई है क्रोध से अभी। क्रोध जहर तब तक खून में विलीन हो जाएगा। वह जहर जो आपकी नसों को जानने का, या और वासनाओं को जानने का एक ही उपाय है | में फैलकर अकड़ गया है, वह कहता है, उठाओ घुसा और मारो! कि जब क्रोध मौजूद हो, तब आप आंख बंद करें और क्रोध पर क्योंकि अगर नहीं मारा, तो यह जहर तो बेकार चला जाएगा। ध्यान करें कि यह क्या है? कैसे उठ रहा है? कहां से आया है? | क्रोध जब हो, तब ध्यान का क्षण समझें। आंख बंद कर लें। । कहां जा रहा है? क्या प्रयोजन है? यह क्या है शक्ति? इसका क्या | बीच सड़क पर भी हों, तो वहीं आंख बंद कर, एक किनारे पर है रूप? यह क्या करना चाहता है?
बैठकर ध्यान कर लें कि भीतर क्या हो रहा है! लोग शायद आपको लेकिन जब आप क्रोध में होते हैं, तो आपकी नजर दूसरे पर | पागल समझें, लेकिन आप पागल नहीं हैं। क्योंकि क्रोध को जो होती है, जिसने क्रोध करवाया। उसी में आप चूक जाते हैं। जब | जान लेगा, वह सब पागलपन के ऊपर उठ जाता है। जब
आप क्रोध में हों, तो नजर अपने पर रखें। दूसरे को भूल जाएं, | कामवासना आपको पकड़े, तब रुक जाएं। ध्यान करें उस पर। उस जिसने गाली दी। उससे तो घड़ीभर बाद भी मुलाकात हो सकती है। | वासना को पहचानें भीतर से, क्या है? कौन-सी ऊर्जा भीतर उठकर लेकिन यह क्रोध जो आपके भीतर है, यह घड़ीभर बाद नहीं होगा; | | इतना धक्का दे रही है कि आप पागल हए जा रहे हैं? यह बह गया होगा। फिर इससे मुलाकात नहीं होगी। इस मौके को | | तो आप बहुत शीघ्र उस ज्ञान को उपलब्ध हो जाएंगे, जिस ज्ञान मत चूकें।
| में ये इंद्रिय-निग्रह, मनो-निग्रह सरलता से फलित हो जाते हैं। गुरजिएफ ने लिखा है अपने संस्मरणों में कि मेरे पिता ने मरते कृष्ण कहते हैं, वह भी मैं ही हूं। वक्त मुझसे कहा था-एक छोटी-सी बात, वही मेरे जीवन में वे कहते हैं, सुख और दुख, उत्पत्ति और प्रलय, भय और अभय बदलाहट बन गई–उन्होंने मरते वक्त मुझसे कहा था कि मेरे पास भी मैं ही हूं। देने को तुझे कुछ भी नहीं है, सिर्फ एक छोटी-सी सलाह है, जिसने इन तीन द्वंद्वों को एक साथ उपयोग करने का प्रयोजन है। हम मेरी जिंदगी को सोना बना दिया, वह मैं तुझे देता हूं। और वह | | सब सोचते हैं, हम सबने सोचा है बहुत बार कि परमात्मा आनंद सलाह यह थी कि जब तुझे कभी कोई गाली दे, तो तू चौबीस | है। लेकिन कभी सोचा है कि परमात्मा दुख भी है? यह सूत्र बहुत घंटेभर बाद जवाब देना; चौबीस घंटे बाद जवाब देना, इसके पहले खतरनाक है।
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