Book Title: Dravya Gun Paryayno Ras Dravyanuyog Paramarsh Part 04
Author(s): Yashovijay
Publisher: Shreyaskar Andheri Gujarati Jain Sangh
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•विषयमाशिst.
વિષય
વિષય
પૃષ્ઠ
११५४
.........११६८
ओहसूसथी अपेक्षालो५ .... ............ ११५३ | आर्यस्वभावमेह १२५ मेहनो सा५ ............. ११६६ अनेन्तवाहपरिशीलनप्रभाव....... ११५३ | | पर्यायार्थिनयन विषय- समर्थन .............. ११६६ एवकारार्थविमर्शः...................
..........११५४ सुवद्रिव्यमा पूर्वोत्त२.१ले मेसिद्धि ............. ११६६ '४' (२॥ त्रिवि५ प्रयो४न....
अनेककार्यजननैकशक्तिपदेन स्याद्वादसिद्धिः .........११६७ स्यात्कारैवकारयोः सार्वत्रिकत्वम् ................... ११५५ | | द्रव्यमा स्वत: ५२त: Gue.... त्रिपामर्थनी मीमांसा .......................११५५ । सङ्क्रमकरणसिद्धान्तविचारः सम्पूर्णतत्त्वपदार्थप्रकाशनम् .......................... ११५६ | मापन। पछी विराधनाम मा न ४ ...... ११६८ "कृष्णः सर्प" इति वाक्यविमर्शः ............... ११५७ तुलानमनोन्नमनविमर्शः . त्रिपक्षीय ........ .........११५७ | संस्४२ अर्यमे : बौद्ध .......
११६९ सौqियप्रयोगमा ‘स्यात्' श०६प्रयोग।
ननुपदार्थप्रकाशनम् ................................. ११७० मावश्य: ........ ........११५७ | पूर्व५६ यादु ..................... ११७० कृष्णसर्पस्थलेऽयोगव्यवच्छेदमीमांसा ..................११५८ | बौद्धसम्मतवासनानिरासः ...........
११७१ अभिप्रेत '४'१२ वियार ......... ११५८ | तु विना सं२७।२६ असंभव : हैन ........ ११७१ અત્યંતાયોગની બાદબાકી નિરર્થક ...........११५८ | वासना स्वाभाविछ: बौद्ध......... ....... ११७१ सर्प सर्वात्मना कृष्णत्वं बाधितम् .. ... ११५९ / बौद्धसंमत सं२७१२७८५ना व्यर्थ .
.....११७१ अयोगव्यवच्छे विपदयपराहत.... ११५९ बौद्धमते ध्रौव्यस्य माध्यस्थ्याऽजनकत्वम् ............११७२ सपत्वावन शापित ................११५९ | वासना मिथ्या छ : हैन..
........११७२ शेषनागना प्रा२ ... ..........११५९ | अपना दृष्टानुसारे थाय......... ......... ११७२ एकपर्यायग्रहेऽपि सम्यग्दृशो ज्ञानम् ..................११६० |
પ્રબુદ્ધસંસ્કાર માટે બાહ્ય કારણ અયોગવ્યવચ્છેદ વિચારણા ............११६०
अवश्य स्वीकार्य : हैन...............११७२ त्रिपदी स्यात्पदगर्भिता ..
ध्रौव्यस्वीकारस्य ध्रौव्यम् ..........
११७३ सौ3-मोत्तरवाश्य ‘स्यात्'५६गमत. .........११६१
निरंश पहार्थ भयात्मन संभवे ..............११७३ प्रगटोमा ४ परस्पर समेह ................११६१
मनस्कारमीमांसा ........
११७४ एकोनविंशतिरूपेण सिद्धस्वरूपवर्णनम् ..............११६२
संस्कार प्रत्येबाब निमित्त ५९२५॥ ........... ११७४ मन्वय-व्यति२४था सिद्धस्व३५ने सभमे ........ ११६२ મનસ્કારસ્વરૂપની વિચારણા पर्यायमिथ्यात्वशङ्का ...................................११६३
अनेककार्यजनकैकशक्तितः स्याद्वादसिद्धिः ............११७५ सुवाद्रिव्य ४ पारमार्थि : पूर्वपक्ष ..............११६३
स्याद्वाहनी सार्वत्रिsता.........................११७५ द्रव्यार्थिकनयमते कार्यभेदोच्छेदापत्तिः ...............११६४
शोनि संसानिमित्त हा-हा ............११७५ એક સ્વભાવથી અનેકકાર્યજન્મ વિચાર
स्याद्वादकल्पलतासंवादः ............ ................११७६ પર્યાય પણ પારમાર્થિક : ઉત્તરપક્ષ
मेनिमित्त भने आर्यन्मनीविया२५॥........११७६ दृष्टानुसारेण शक्तिकल्पना ............... ......११६५
समनन्तरप्रत्यय१२९तानी विया२९॥ ............ ११७६ दृष्टानुसार उत्पना मात्र ....... ......११६५ 3ाहान-निमित्त ॥२९॥(मेह भा१श्य ............. ११७६ कार्यभेदे कारणभेदकल्पनम् .......
अनेकजननेऽनेकात्मकतासिद्धिः ....................... ११७७
... ११७४
.......११६४
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