Book Title: Dictionary of Prakrit for Jain Literature Vol 01 Fasc 02
Author(s): A M Ghatage
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 28
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अच्चेपण अच्छ - आभरणारुणं करेति Jivabhi. 3.457; अच्चेत्ता विउलाई भोगभोगाई भुंज- अच्छेज वा चिट्ठेज्ज वा निसीएज्ज वा तुयट्टेज वा viy. 1. 7. 21 माणा विहरंति Jambuddi. 2.120. अच्चेयण (a-cceyanaa-cetana ) adj. non-eentient, inanimate, JS. णियदेहसरिस्सं पिच्छिऊण पर विग्गहं पयतेण । अचेयणं पि गहियं झाइजर परमभाषण MokPs. 9; अच्चेयणं पि चेदा जो मण्णइ सो इवेश अण्णाणी Mok Pa. 58; Apu. पवण-जणणि मुच्छाविय थिय अचेयणा PaumCa.(S.) 19.15.1. अच्चेर (accera <aścarya) adj. wonderful, M. रण्णे सुमज्जं - अह तत्थ गीअं अचेरसुंदेर अवलिरुक्खे SMKav. 1.8 (comm. आश्चर्यभूतं सौन्दर्य वा वाहीनाम् ) अच्चेरं (acceram < āścaryam) intj. oh wonder!, S. ( शाण्डिल्य ) अचेरं अचेरं । अकुविदो णाम ताडेदि किल भभवो Bhagajju. 11.9. (1.357); तं नो खलु जाया अम्हे इच्छामो तुब्भं खणमवि विप्पओगं, तं अच्छाहि ताव जाया जाव (ताव) अम्हे जीवामो viy. 9. 33.35 (9.169) ; तए णं जियसत्तू राया सुबुद्धि एवं वयासी अच्छसु ताव देवाणुपिया कहपव्वसामो Naya. वयाई वासाई भोगभोगाई भुंजमाणा तओ पच्छा 1.13.40; असमिक्खियभासिणो उवदिसंति सहसा कम्मकरा किंकरा य एए सयणपरियणो य कीस अच्छंति Papha. 2.13; तण्हाछुहाविमुक्को अच्छेज जहा अभियतित्तो Uvav. 185; Pannav. 2211: ते पच्छा दुक्खमच्छंति गलुच्छिन्ना झसा जहा IaiBhas. 15.16; जे भिक्खू संभई निचं से न अच्छर मंडले Utt. 31.3; कस्स अट्ठा इमे पाणा वाडेहिं पंजरेहिं च संनिरुद्धा य अच्छहिं Utt. 22.16; रोसेण सूसयंतो सो कइ वि दिणे तद्देव अच्छीही Tittho. 655; एयाइ गुणेमाणा अच्छंति गिरिं पलोपंता Sara Pa. 32; JM अह नाह को वि पुरिसो 1 अच्छर लीलायंतो सुरो व्व मंदाइणीसलिले PaumCa. (V.) 10.50 तदंसणूसुयमणा अच्छइ मग्गं पलोयंती PrumCa. (v.) 11.14; पत्ता नरिंदभवणं जत्थच्छ वसुमहाराया PaumCa. (V) 11.30 ताव तुमं वीसत्थो अच्छसु PiummCa. (v) 12.43 अच्छ पहू वीसत्थो जावेए रणमुहे विवाडेमि PamCn.(V.) 12.101; कीरंति इमाई वणे अच्छउ पासत्थउल्लावो KuvMAKA. 198.15; अच्छउ ता श्यरजणो अंगे च्चिय जान पंच भूयाई । ताहं चिय लज्जिज्जइ VajLag. 93; अच्छंतु पेम्मनि भरतरुणीसंबंधबंधुरा भोगा MAVIC. (G.) 16b.5 (2) ; ता अच्छंतु जमभडा सुरासुराणं पि दप्पदलणा जे Kuma Prn. 383.28; (राया) अत्थाणमंडवम्मी आसीणो अच्छई जाव SurSuCa. 1.120: मम पत्ती एएण सह अच्छर Brz. 1.25; भोगाण कज्जे किलिस्सर त्ति अम्हे जाणंता कीस अच्छामो त्ति पब्बः मां Erz. 29.36 सुपुरिस गरुया रयणी अच्छामो एत्थ उज्जाणे Erz. 75.12; अच्छए देवदत्तो तीए सह Era 64.2; अच्छउ अण्णं पंचाणणस्स मग्गो वि दुब्बिसहो GaRa Ko. 735; ता अच्छर (१उ) इयरजणो हरेण देहट्ठयं दिनं VijKeCh 3.99; 75. णिद्दं पि अलहमाणो अच्छा विरहेण संतती SraĀ. (V. ) 115; अच्छर अनंतकालं हिंडतो जोणिलक्खेसु SraĀ (V.) 177; लोयमाणो जीवो देहपमाणो वि अच्छदे खेत्ते KattiAyu. 176 वियलिदिएसु जायदि तत्थ वि अच्छेदि पुव्व कोडीओ KattiAyu. 286; M. अच्छउ दाव मणहरं पिला मुहदंसणं अश्महग्धं GaSaSa 2.68; अच्छर ता जणवाओ हिअअं चिय अत्तणो तुह पमाणं Ga5a8a. 3. 1; दुक्खं असमत्तमणोरहाई अच्छंति मिहुणाई GaSaSa 4.42; (pass. ) पोट्टुपडिएहिं दुक्खं अच्छिजह उण्णरहि होऊण । इअ चितआण मण्णे थणाणं कसणं मुहं जाअं GASS. 1.83; अंतोचिअ णिहुअं विहसिऊण अच्छंति विम्हिया ताहे । इअरसुलहं पि जाहे गरुआ ण किंपि संपes Gand Va. 915; अच्छउ ता विहलुद्धरणगावं GaudVa. 955; विजयाणंदागमणं झायंतो अच्छर दिणम्मि Lila 942; संजमिओ दुट्ठभुयंगमेहिं अच्छर महापुरिसो L11. 1036; भणियं ता किं अच्छर अज वि मलयाणिलस्स सुभ L118. 1227; अच्छंतु के वि इह समयवारणा के वि वधंतु Lila 1067; अच्छउ सा नियच्छेत्तं L11s 51; किं अच्छह बीसत्था ChnGa. 18; S. (देवी) कप्पहुमस्स अच्छउ निश्च तुह संगमसणादा Ram Man. 3.14; ( धात्री) तहिं पि को वि जणो अहिअरं जोअं चिंतयंतो अच्छदि AviM&. 2.6.20; Apa. लोयालोउ वि सयलु इहु अच्छहिँ विमलु णियंत Paramappa. 1.5; जिह दूरीहोर ण मुहकमलु । तिह अच्छहुँ PaumCa. (S.) 6.4.3-4; सेरउ अच्छहि काइँ रणे PaumC. (S.) 6.12.9; कि अच्छहु आगच्छहु जाहुँ भडारज वंदहुँ PanmCs. (8.) 3.4.10; देव देव किउ जेण महारउ, मच्छर मत्तहत्थि अइरावड PaumCa. (S.) 11.3.4; अच्छउ तहों घरे णियलई वहंतु PaumCa. ( S) 10.8.6; मउलियणयणुलउ विंभियउ जामच्छमि कामग्गहिं लियउ JasCa. 2.6.5; अच्छ पुहवीपियभोयरउ NayCa. (P.) 2.7.3; अच्छउ भोयणु ताहं घरि सिट्ठहं वयणु ग जुत्तु SaDhaDo. 30; अच्छहि एत्थ काइँ णिचित PAN&Ca. (P.) 5.5.7; 127 अच्चेल (accela <a-cela) absence of a garment, Apa. ठिदिभोयणु अण्णु वि एय-भत्तु अबेलु लुंचु अण्हाण बुत्तु PANACa. (P.) 4.8.9. अच्चेलक (a-ccelakka <a-celakya=a-cela-tva) n. the state of being without garments, (one of the ten श्रमणकल्पs ), JS. अचेलकं लोचो वोसट्टसरीरदा य पडिलिहणं । एसो लिंगकप्पो चदुहु विहो होदि उस्सगे Bhaārā 80; M011. 910 (10) ; णिन्भूसणं णिग्गंथं अचेलकं जगदि पुज्जं MOIA. 39 (1) ; अचेलक्कुदेसिय... समणकप्पो Mala. 911(10) अच्चेलत्त (a-ccela-tta<acela-tva) n. garmentlessness, the state of being without garments, Apa. अचेलन्तहु ण वि मणु चालह CandappaCs. (Y.) 10.1.3. अच्चोदग (accodaga <aty - udaka) adj. [ also अचोयग ] having excessive water, AMr. से दिव्वे अग्भवद्दलए खिप्पामेव नचोदगं नातिमट्टियं ...सलिलोदगं वासं वासंति Viy. 15.1.46 (15.59); तणं ... अप्पेगइया देवा विजयं रायहाणि णच्चोदगं णातिमट्टियं ... दिव्वं सुरभिं गंधोदगवासं वासंति Jivabhi. 3.447 ( सूरिया देवे ) आभिभो गिए देवे एवं वयासी – णच्चोदगं णाइमट्टियं सुरभिगंधोदयवासं वासह RayPa. 9; 12; 281. - अच्चोरहरण (a-ccora harana which cannot be taken away by a चिय अचोरहरणं तु मंडणयं Ba BhaKs. 11. अच्छ (accha < ? ) . (8.) ; Mark. (Gr.) अस्तेरच्छ: 7.116 4.215; Lakgm1. (Gr.) 2.4.50; अच्छोsन्यत्र 4.10; Purus. (Gr.) grammarians and commentators use for 3- the roots as- and As indiscriminately. Semantically covers the meanings of both as- and as-; Tur. traces it to askşeti on purely phonetic grounds. In Skt. as has only the conjugational tenses but an_auxiliary, it has all forms of both P and Ā Pkt. acora harana) adj. thief, JM पुरिसाणं विज्ज [Vara (Gr. ) अस्तेरच्छ 12. 19 Hem. (Gr.) गमिष्यमासाम् छः Krama. (Gr. ) ( अस्ते: स्थाने) अस्तेरच्छ 7.3; In practice aecha is available in all forms and can be translated as 'to be ', ' to remain ' ete. ] to be, to exist, to remain, (in imperative) let alone, let it be, let it remain, AMg. 3741वई य गिम्हाणं अच्छर उक्कुडए अभिवाते Āyar. 1.9.4.4; से णं परो णेत्ता बज्जा - आउसंतो समणा, मुहुत्तगं मुहुत्तगं अच्छाहि āyār. 2.6.26 (598); तए णं से पोक्खली समणोवास ते समणोवासए एवं वयासीअच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया सुनिब्बुयवीसत्या Viy. 12.1.14 ( 12.8 ); जीवे णं भंते गन्भगए समाणे उत्ताण वा पासिलए वा अंबखुज्जए वा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only

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