Book Title: Dictionary of Prakrit for Jain Literature Vol 01 Fasc 02
Author(s): A M Ghatage
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 80
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 179 भट्ट meditation, Uvas. p. 127 (P. L. Vaidya); Uvav. 56. wish, AMg. तेसिं णं देवाणं दोहिं वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पज्जा अट्र (attha<artha) m. (n.) [older form of attha = artha Samav. 2.22; तर णं ते समणा णिग्गंथा जामालिस्स भणगारस्स एयमदूं of. Hem.(Gr.)2.33 अट्ठो प्रयोजनम् , अत्थो धनम् ] 1 meaning of a विणएणं पडिसुणेति viy. 9.33.94 (9.226); तए णं से केसी राया ... word, sentence or utteranee, AMg. तत्थ णं जे से चउत्थे अंगे समवाए उद्दायणं रायं एवं वयासी-भण सामी, कि देमो किणा वा ते भट्ठो Viy. त्ति आहिए । तस्स णं अयमढे Samav. 1. 33; एए णं भंते नव पदा कि एगट्ठा 13.6.29 ( 13. 114); पुच्छंति ... अट्ठाई परियादियंति Viy. 12.1.9 नाणाघोसा नाणावंजणा उदाहु नाणट्ठा नाणाघोसा नाणावंजणा Viy. 1.1.5 (12.3); अयमाउसो आजीवियसमए अट्टे अयं परमटे सेसे अणट्रे viy. 15.4 (1.12): थेरा सामाइयं न जाणंति, थेरा सामाइयस्स अटुं न याणंति Viy. (16.1); तए णं पुंडरीए, कंडरीयं एवं वदासि, अट्ठो भंते भोगेहिं Naya. 1.9.21 (1.423); जाव च णं समणे भगवं महावीरे भगवओ गोयमस्स 1.19. 363 एवं जहा जीवाभिगमे जाव अट्ठो जाव धुवा णियया सासया एयमद्रं परिकहेइ Vis.2.1. 19 (2.35); एगस्स वि आरियस्स ... सुवयणस्स Jambuddi. 1. 11; एयमटुं सपेहाए पासे समितदंसणे Utt.6.4; 7 wealth, सवणयाए किमंग पुण विउलस्त अट्ठस्स गहणयाए Viy. 9.33.5 (9.139); profit, AMg. अप्पेगे अट्ठाए वहति Ayar. 1.1.6.5%; आयटुं सम्मं समणुसुए. नाम परिव्वायए होत्था ... संखसमए लद्ध? Naya. 1.5.52%; तए णं सा वासेज्जासि Ayar. 1.2.1.5; आसेवित्ता एयमटुं Ayar. 1.3.2.35 अट्ठाए उज्झिया एयमटुं धणस्स सत्यवाहस्स पडिसुणेइ Naya. 1.7.233; तएणं जेट्टपुत्ते अणट्ठाए एएसु चेव विप्परामुसंति Ayar. 1.5.1.1; JM. धायारोग्गं सद्धा आणंदस्स समणोवासगस्स 'तह ' त्ति एयमटुं विणएणं पडिसुणेइ Uvas. 67; गाहग उवओग अट्ठो य AvNi. 831.1 (अन्यदीया) (comm, अट्ठो त्ति उबंगाणं भंते समणेण जाव संपत्तेग के अट्रे पण्णत्ते Niraya. 3: से कि संगइस्स अथित्वं च AvTI.(F.) 3413.6), JS. लयणसयणासणं भत्तपाण-काम?हेऊ अणोवणि हिया दवाणुपुवी । पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा - अटुपयपरूवणया वा।... झाणमिणमप्पसत्थं Mala. 683(7) ... अणुगमे Anuog. 115 अट्ठजुत्ताणि सिक्खिज्जा निरठ्ठाणि उ वज्जए Utt. अट्ठ (attha<astan) m. eight, AMg. एयाणि तिण्णि पडिसेवे अटू1.8 एयम, निसामेत्ता Utt. 9.8 एएणण्णेण अट्रेण परो जेणुवहम्मई मासे य जावए भयवं Ayar. 1.9.4.5% अट्ठ मयट्ठाणा पण्णत्ता Samav. 8.1; Dasave. 7. 13; अण्णपगडं लणं भएज सयणासणं Dasave. 8.51; गिहिणो तए णं तं मेहं कुमारं अम्मापियरो साइरेगट्ठवासजायगं चेव ... कलायरियस्स उपभोगट्ठा Dasave. 9.2.133; तए णं से उसमदत्ते माहणे देवाणंदाए माहणीए उवगेंति Naya. 1. 1.84; अट्ठ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ, अटू वड़िअंतिए एयं अटुं सोच्चा निसम्म Kapp.(J.) 83; JS. समणमुहुग्गदम्टुं चतुग्गदि- पउत्ताओ अट्ठ पवित्थरपउत्ताओ अट्ट वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं Uvas. णिवारणं सन्निवाणं । समयमियं सुणह Paficatthi. 21%; मुणिऊण एतदटुं 1273; 2323; अटुण्डं रायवरकन्नगाणं एगदिवसेणं पाणि गेण्हावेंति Antar.s: तदणुगमणुज्जदो मिदमोहो। पसमियरागद्दोसो हवदि Pafieatthi. 104; सत्तटुपयाई भणुगच्छइ RayPa.8; मज्झे अटु जोयणाई विक्खंभेणं Jambuddr. 2fset, material object, topie, AMg. दोसिणा इ य चंदलेस्सा 1.8; से णं तत्थ ... अट्ठण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं ... आहे वच्चं ... इ यफ अट्रेकि लक्खणे SuraP. 16.25 न निविजंति संसारे सब्बट्रेस व कुणमाणे विहरह Pannav. 2.50 (197[2]); एगा य होइ रयणी अट्रेव य खत्तिया Utt. 3.58 तम्हा सुयमहि द्विज्जा उत्तमट्ठगवेसए Utt. 11.32%; तहे- अंगुलाई साहीया। एसा खलु सिद्धार्ण जहण्णमोगाहणा भणिया Pannar. 2.67 वाणागतं अटू Dagave. 7.8: भगवओ महावीरस्स ... महापडिरूवं उग्गहं (211ga. 165); से णं अंगठ्ठयाए अट्ठमे अंगे, एगे सुयक्खंघे, अट्र वग्गा अट्र अणुजाणेत्ता सेणियस्स रणो बभसारस्स एयमद्वं पियं णिवेण्ह Dasa. 10.4; उद्देसणकाला अटु समुद्देसणकाला Nandi. 943; छ दोसे अटू गुणे तिणि य सप्पुरिसा साहिति अप्पणो अटुं Mahapace. 80; परमनिट्ठियट्टा सिद्धा वित्ताणि दोणि भणितीओ। जो णाही सो गाहिइ सुसिक्खितो रंगमज्झम्मि सिद्धिं मम दिसंतु Av. 57; JM. तओ से उदायणे अणगारे तमढे पत्ते ... Anuog. 260.ga. 46 पडिकमामि सत्तहि भयट्ठाणेहि अट्ठहिं मयट्ठाणे हिं दुक्खपहीणे त्ति Erz. 34.5: JS. उप्पज्जदि जदि णाणं कमसो अटे पडुच्च नवहिं बंभचेरगुत्तीहि Av. 26; इच्छामि पडिक्कभिउं जो मे देवसिओ अइयारो प्राणिस्स Pavsa. 1.50; एगम्मि संति समए संभवठि दिणाससविणदा अट्रा कओ ... अट्ठण्इं पवयणमाऊणं Av. 15; उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए अट्र महासPavsh.2.51: अट्ठासओणवट्ठो जीवो दसट्ठाणगो भणिदो Paficatthi. 723 णाई ... रयावेइ Kapp.(J.) 63; वासावासं पज्जोसवियाणं इह खलु निग्गठाणं जीवाजीवा भावा पुण्णं पावं च आसवं तेसि । संवरणिज्जरबंधो मोक्खो य हवंति ते वा निग्गंठीणं वा, इमाई अट्ट सुहुमाई ... पडिलेहियब्वाई भवंति Kapp.(S.) 44%; अट्ठा Paficatthi 108; उत्तमअटुं आदा तम्हि ठिदा हणदि मुणिवरा कम्मं अट्ठ कुक्कुडिअंडप्पमाणमेत्ते कवले आहारं आहारेमाणे निग्गंथे अप्पाहारे NI SR.OR: 3matter. desired thing, AMgणो खलु वयं देवाणुप्पिया Vars. 8.16%3 JM. केवलनाणं तओ समुप्पन्न । चोत्तीसं च अइसया अट्र महाएयमद्रं जाणामो पासामो वा Thana. 3. 336 (174):से तेणटेणं गोयमा एवं बुच्चद पाडिहेरा य PuumCs.(V.) 5.60; अट्ठहि पत्थावेहि सिद्धंताओ तह कडे मि Viy. 1.2.11 (1.47); अस्ति च णं अतु णो पमाएयव्वं Naya. 1.5. 333; MaVICh.(G.) 20.5(1); अठेव मुणह मासे हिअयपरिवज्जिएण दिट्रेण नो इणट्रे समटे Anuog. 366; 4 purpose, reason, cause, AMg. से RitSamu. 1033; उयरविणासे दिढे पडिमाए अट्ठमासे य (आउ) RitSamu. केणं खाइ अटेणं भंते एवं बुच्चति, समंड अणुगवेसइ, नो परायगं भंडं अणु- 119; सच्चमसर्च उभयं असञ्चमोस मणी वई मट्ठ PaiSain.(C.) 1.4 (p. 3)3; गवेसइ viy. 8.5.3 (8.232); इमाई च णं एयारूवाई अट्ठाई हेऊहिं पसि- चत्तारि अट्ठ दोन्नि य कायवईमाणसेसु कमा Paisam.(C.) 1.23 (p. 10); णाइं कारणाई बागरणाई पुच्छित्तए Viy. 2.1.17 (2.31): 5.4.32 दिन्नाओ अट्ठ धूयाओ कुमारस्स Erz. 16. 355 JS. तत्थ इमाणि भट्ट अणियोग(5.113); तए णं से दढपइण्णे केवली सहि भत्ताई अणसणाए छेदित्ता जस्स- द्दाराणि णायवाणि भवंति stAg. 1.1.5 (Dhavala अनुयोगो नियोगो भाषा ट्ठाए कीरइ नग्गभावे तमÉ भाराहित्था Uvav. 116; 127; 128; से केण?णं विभाषा वार्तिकेत्यर्थः । उक्तं च - अणियोगो य गियोगो भासविभासा य वट्टिया भंते एवं बुच्चति -तेजनो संखेजा नो असंखेज्जा, अणंता Anuog. 4033; चेव 1.154.1; ot. AVNI. 131); अट्ठ दुगतिगचउक्के (संकमो) RasAPa. JM. कामठुत्थो सुमो चउत्थपुरिसत्थगाणं पि KumaCa.(H.) 3.73; रइणा- 37; चउतीसअइसयगुणा होति हु तस्स?पडिहारा BodPs. 32; णाणावरणाहरइमरचउट्रो। कामटूत्थो (मलयाणिलो) (comm. कामस्य अर्थः प्रयोजनं दीहि य अट्ठ वि कम्मे हि वेदिओ य अहं BhaPA. 17: जीवाजीवसमत्थे अर्थों धनं यस्य) KumaCs.(H.) 3.73; अयमेव निग्गंथे पावयणे अटे सेसे कक्कडमउगाहि अट्ठभेदजुदे । फासे सुहे य असुहे फासणिरोहो असंमोहो Mola. अणटे त्ति भावणाभावियमई KaKoPra. 12.3; 5 aim, intention, 21(1); णिस्संकिद-णिक्खंकिद-णिविदिगिंछा अमूढदिट्ठी य। उवगृहणठिदिकरणं goal, AMg. गोयमा सुभे रिए, सुभे सूरियस्स अट्टे Viy. 14.9. 13 वच्छलपभावणा य ते भट्ठ (सुद्धी) Mala. 201(5); CuriPa. T; M. गअस्स (14.132); से केणटेणं भंते एवं बुच्चइ --सिय सासया, सिय असासया कंसपासं । बावीसादहणवअट्ठवासवासो SriKav. 11.38; Apa. अट्ठ वि कम्म Jivabhi. 3.700; M. मणियं च राइणा पियवयंस सोच्य तत्थ पत्तट्ठो Lila. बहुविहइँ Parmapp. 1.55; अणुरायपरंपर परमसुहिण तें दीसहि रयणिहिं मट्ठ 110; सब्वकलापत्तट्टो चाई सूरो सुहाराहो Mla. 845; 6 need, desire, सुविण PANACa.(P.) 6.1.9; मंगलदब्बठ्ठ पवित्त दित्त Sudca.(N.) 1.9.63 For Private and Personal Use Only

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