Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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लेपकरणम् ] पञ्चमो भागः
७९ इसे पानीमें पीस कर मन्दोष्ण करके गाढ़ा (७४६९) शिरीषवल्कलादिलेपः गाढ़ा लेप करनेसे वातज विद्रधि नष्ट होती है ।
(वृ. मा. । विस्फो.) (७४६७) शिरीषबीजादिलेपः
शुफतरुनतमांसी रजनी पद्मं च तुल्यानि । (ग. नि. । अर्शो. ४) | पिष्टानि शोततोयेन स्याल्लेपः सर्वविस्फोटे ॥ शिरीषबीजसम्मिश्री लागली परिपेषिताम् । सिरसकी छाल, तगर, जटामांसी, हल्दी सम्यगालेपने दयादर्शसामुपघातिनीम् ॥ और कमल समान भाग ले कर बारीक चूर्ण
सिरसके बीज और कलियारीकी जड़को बनावे । पानीके साथ पीस कर लेप करनेसे अर्श का नाश
इसे ठण्डे पानी में पीस कर लेप करनेसे होता है।
समस्त विस्फोटक नष्ट होते हैं। (७४६८) शिरीषवीजायं लेपत्रयम् । (७४७०) शिरीषादिलेपः (१) (ग. नि. । अर्शो. ४)
( यो. र. । विषा.) शिरीषबीजकुष्ठाकक्षीरपिप्पलिसैन्धवैः।
मूलत्वपत्रपुष्पाणि बीजं चेति शिरीषतः । लालीमूलगोमूत्रस्वर्जिकादन्तिचित्रकैः॥ गवां मूत्रेण सम्पिष्टं लेपाद्विषहरं परम् ।। चरणायुधविशआनिशाकृष्णाभिरुत्तमम् ।
सिरसकी जड़, छाल, पत्र, पुष्प और बीजोंको लेपत्रयमिदं योज्यं शीघ्रमविनाशकृत् ॥
| गोमूत्र में पीस कर लेप करनेसे विष नष्ट (१) सिरसके बीज, कठ, आकका दूध, होता है । पीपल और सेंधा नमक समान भाग ले कर, सबको एकत्र पीस लें।
___ (७४७१) शिरीषादिलेपः (२) (२) कलियारीकी जड़, सजी, दन्तीमूल (वृ. मा. ; व. से. । विस्फोटा.) और चीता समान भाग ले कर सबको गोमूत्रके शिरीषोदम्बरी जम्बूः सेकालेपनयोहिताः। साथ पीस लें।
| लेष्मातकत्वचो वाऽपि प्रलेपाश्च्योतने हिता। (३) मुरगेकी बीट (विष्टा), गुञ्जा (चौंटली) सिरसकी छाल, गूलरकी छाल और जामनकी हल्दी और पीपल समान भाग ले कर सबको पानीके छालका लेप करने तथा इनके काथका अवसेक साथ बारीक पीस कर लेप बनावें।
(सिचन) करनेसे या लिहसौड़ेकी छालका लेप । ये तीनों लेप अर्शको शीघ्र ही नष्ट कर करने और उसके काथको आंखमें डालनेसे
विस्फोटक में लाभ होता है।
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