Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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५६८
भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[कास, श्वास, हिका
८५८१ हिग्यादि . : ५ प्रकारकी हिका को ७६९४ स्वादु ठारसः हर प्रकार का श्वास . नष्ट करता है ।। ७६९५ ,,, पश्चकास, कफ, श्वास
और शिरोरोगों को नस्य-प्रकरणम्
अत्यन्त शीघ्र नष्ट करता है। ९५१३ शर्करादि नस्यम् हिका
७६९६ श्वा पहरवटकः श्वास, कास, ज्वर अग्नि८११८ सैंधवादि ,
मांद्य, अरुचि ८५९४ हिकाहरयोगः
७६९७ ३वासहेमाद्रि महारवास
७६९.८ वा सान्त कासः श्वास, कास, शूल, पांडु रस-प्रकरणम्
७६९९ श्वासारिरसः श्वासको शीघ्र नष्ट क७५२९ शंखचूलरसः मुमुधु की हिक्का भी तुरन्ता
नष्ट होती है।
। ८१५१ समशर्क लौहम् सर्वदोषज क्षयज कास, ७५८६ शिखिपिच्छभस्मयोगः प्रबलहिक्का, श्वास,
श्वास, रक्तपित्त दुस्साध्यठर्दि
८१९६ सर्वेश्वर रसः कास, श्वास, क्षय
८२१३ सार्वभौमरसः कास श्वासादि ७६१३ शिलातालो रसः श्वास, कास
८२८३ सूर्य रसः कासादि ७६१५ शिलाद्यवलेहः कास, श्वास, हिक्का
८२८४ ,,, कास, श्वास, हिका ७६१६ ,, कास, उदास, कफ
। ८२८८ सूर्यावर्त रसः स्वास ७६१७ शिलाातरसः हिक्का
८३२९ स्वर्णपर्पटीरसः कास, क्षय, मूत्राघात, ७६५० शुल्वतालेश्वरः कास, श्वास, पीनस,
मूत्रकृच्छ ज्वरादि
८६१८ हरीतक्याबवलेहः कास, श्वास ७६६८ श्रृंगाराभ्रम् कास, हृच्छूल, पार्श्वशल,
८६२० हिक्कानाशनरस: हिक्का, कास, स्वरभेद शिरशूल, स्वरभेदादि
८६२१ हिक्कान्तक रसः १ मात्रासे भयंकर हिक्का ७६७८ श्रीडामगनन्दा- कास, ज्वर, स्वरभंग,
नष्ट होती है। भ्रम् हिचकी, क्षय, कफ, दाह, ८६६३ हेमगर्भरसः कास, श्वास, शूल
८६६४ , ,
श्वास कासादि अनेक ७६९१ ३वासकालेश्वर पञ्च श्वास, कास, क्षय
रोग ७६९२ श्वासगजकेसरिः श्वास, कास
कास क्षयाद ७६९३ श्वासकासपिता
८८६७३ हेमादिपर्पटीरसः कास, श्वास मणिरस
पीनस
८६६५
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