Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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८२९१ सोमनाथ रसः
७७७२ सप्तपर्णयोगः
८ २९२ सोमनाथ रस:
८३०१ सौभाग्य शुंठी
सूतिका रोग, अतिसार, ग्रहणी
८३०२ सौभाग्यण्टिपाकः सूतिका रोग, दुग्ध
७३२० शुण्ण्याचं चूर्णम् ७८५८ सूक्ष्मैलादि,” ८४६७ हरीतक्यादि,
८४८२ हारहूरादि
८४८५ ह ८५१३ हिवा
७९०१ सुधावटी
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कषाय-प्रकरणम्
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भारत - भैषज्य रत्नाकरः
अनेक प्रकारके सोम । ८३०४ सौभाग्यशुण्ट्य
रोग, कष्ट साव्यप्रदर,
चलेहः
पुराना योनिशूल, कष्ट
साध्य बहुमूत्रको अवश्य
नष्ट करता है ।
सोमरोग, मधुमेह
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कषाय-प्रकरणम्
८४३७ हृद्यो दशको महाकषायः हृद्य
चूर्ण-प्रकरणम् हृद्रोग, श्वास कफज हृद्रोग
हृद्रोग
पित्तज होग
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क्षय, ज्वर, रक्त गुल्म, प्रदर, सोमरोम
(६०) स्नायुकरोगाधिकारः
हृद्रोग, श्वास
शूल
बहुमूत्र
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गुटिका-प्रकरणम्
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हृद्रोग, प्रतिश्याय, श्वास, कास
८४०७ स्नुक्क्षीर योगः ८३८८ सर्प कंचुकी योगः
लेप-प्रकरणम् नहरुवा ( स्नायुक ) ७४६३ शिथ्रुमूलादिलेपः स्नायुक नाशक सरलयोग
(६९) हृद्रोगाधिकारः
मिश्र-प्रकरणम्
७७१० शरपुंखामूलयोगः सुखप्रसव कारक
७७२१ शीत जल कुंभ
धारणम्
७५२७ शंकर वटी
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सूतिका रोग,मकल शूल, निर्बलता
"
[ स्त्रीरोग
घृत-प्रकरणम्
७३९३ श्रेयस्याद्य घृतम् पित्तज हृद्रोग
७९७३ स्थिराधं
"
८५२९ हरीतक्यादि, वातज हृद्रोग, पार्श्वशूल
८६५४ हृदयार्णव रसः ८६५५ हृद्रोग हर रसः
रक्त प्रदर में तुरन्त
लाभ पहुंचाता है ।
मूढ गर्भ
"
रस-प्रकरणम्
"
हृद्रोग, फुफ्फुस रोग, जीर्णज्वर, प्रमेह, श्वास,
आमवात
कफज हृद्रोग
प्रवृद्ध हृद्रोग, अग्निमांद्य.
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