Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 626
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ६१४ ८२९१ सोमनाथ रसः ७७७२ सप्तपर्णयोगः ८ २९२ सोमनाथ रस: ८३०१ सौभाग्य शुंठी सूतिका रोग, अतिसार, ग्रहणी ८३०२ सौभाग्यण्टिपाकः सूतिका रोग, दुग्ध ७३२० शुण्ण्याचं चूर्णम् ७८५८ सूक्ष्मैलादि,” ८४६७ हरीतक्यादि, ८४८२ हारहूरादि ८४८५ ह ८५१३ हिवा ७९०१ सुधावटी 13 कषाय-प्रकरणम् ܙܕ भारत - भैषज्य रत्नाकरः अनेक प्रकारके सोम । ८३०४ सौभाग्यशुण्ट्य रोग, कष्ट साव्यप्रदर, चलेहः पुराना योनिशूल, कष्ट साध्य बहुमूत्रको अवश्य नष्ट करता है । सोमरोग, मधुमेह 91 कषाय-प्रकरणम् ८४३७ हृद्यो दशको महाकषायः हृद्य चूर्ण-प्रकरणम् हृद्रोग, श्वास कफज हृद्रोग हृद्रोग पित्तज होग www. kobatirth.org क्षय, ज्वर, रक्त गुल्म, प्रदर, सोमरोम (६०) स्नायुकरोगाधिकारः हृद्रोग, श्वास शूल बहुमूत्र 97 गुटिका-प्रकरणम् Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हृद्रोग, प्रतिश्याय, श्वास, कास ८४०७ स्नुक्क्षीर योगः ८३८८ सर्प कंचुकी योगः लेप-प्रकरणम् नहरुवा ( स्नायुक ) ७४६३ शिथ्रुमूलादिलेपः स्नायुक नाशक सरलयोग (६९) हृद्रोगाधिकारः मिश्र-प्रकरणम् ७७१० शरपुंखामूलयोगः सुखप्रसव कारक ७७२१ शीत जल कुंभ धारणम् ७५२७ शंकर वटी For Private And Personal Use Only सूतिका रोग,मकल शूल, निर्बलता " [ स्त्रीरोग घृत-प्रकरणम् ७३९३ श्रेयस्याद्य घृतम् पित्तज हृद्रोग ७९७३ स्थिराधं " ८५२९ हरीतक्यादि, वातज हृद्रोग, पार्श्वशूल ८६५४ हृदयार्णव रसः ८६५५ हृद्रोग हर रसः रक्त प्रदर में तुरन्त लाभ पहुंचाता है । मूढ गर्भ " रस-प्रकरणम् " हृद्रोग, फुफ्फुस रोग, जीर्णज्वर, प्रमेह, श्वास, आमवात कफज हृद्रोग प्रवृद्ध हृद्रोग, अग्निमांद्य.

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