Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 624
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारत-भैषज्य रत्नाकरः [स्त्री रोग - (५९) स्त्रीरोगाधिकारः कपाय-प्रकरणम् चूर्ण-प्रकरणम् ७१८९ शतावरीकल्कः स्तन्यवर्द्धक ७२९५ शर्करादियोगः गर्भपात ७२०४ शताहादिकल्कः रक्तगुल्म ७३१५ शुण्ठयादिचू० प्रबल प्रदर नाशक, ७२१५ शालिपिष्टयागः गर्भपात सरलयोग ७२ ३७ शुण्ठयादिकषायः गर्भिणीकी छर्दि, अनि ! ७३२३ शूकरशिम्बीमूल योगः पुत्रोत्पादक सार ७७७४ समङ्गादिकल्कः रक्तप्रदर । ८५०६ हिङ्वादि चूर्णम् योनिदोष, योनिशूल योनि को मृदु करता है। ७७८१ सहचरादि सूतिका ज्वरको शीघा नष्ट करता है। गुटिका-प्रकरणम् ७७८४ " " प्रसूत ज्वर, शूल ७७८५ , , प्रसूतरोग, आमश्वर, ७३४२ श्रीफलकुसुमव० दुःसाध्य सूतिका रोग : (दीपन है) ७८०५ सुदर्शनामूलयोगः प्रदरनाशक सरल योग अवलेह-प्रकरणम् ७८११ सूतिकादशमूलम् ज्वर दाह युक्त सूतिका ७९४१ सौभाग्यशुण्ठिपाकः सूतिका रोग, छर्दि, दाह, ज्वर, दाह, श्वास, कास, प्लीहा ७८१६ स्तन्यजननो दशको महाकषायः स्तन्यवर्द्धक ७९४२ सौभाग्य शुण्ठिः समस्त स्त्रीरोग, कास, श्वास, अम्लपित्त (स्त७८१७ स्तन्यशोधनो दश नोंको दृढ करता है।) को महाकषायः स्तन्यशोधक ७९४३ , , सूतिका रोगमें विशेष ८४३८ होवेरादिकषायः गर्भिणी और प्रसूताका गुणकारी, योनि रोग, पीडायुक्त और नाना प्रदर, आर्तवदोष, शिरो वर्ण वाला अतिसार, वेदना, कटि शूल. रक्तस्राव, ज्वर ८४४२ होवेरादिक्वाथः गर्भचलन, कुक्षि शूल, घृत-प्रकरणम् ७३६१ शतावरी घृतम् रक्तप्रदर, दाह, मूत्रकृच्छ् | ७३६२ , , रक्तप्रदर, क्षय इत्याद रोग प्रदर For Private And Personal Use Only

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