Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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बोय]
पञ्चमो भागः (चि. प. प्र.)
-
७६७० शोथकालानलो शोथको अवश्य नष्ट ७६७७ गोथोदरारिलौहम् हर प्रकारके कष्टसाध्य करता है। ज्वर, श्वास,
पुराने शोथमें उत्तम. कासादि
शोथोदरमें श्रेष्ठ, उदर७६७१ शोथभस्मलौहः उदरशोथ, समस्त श
रोग, कामला अर्श और रीरगतशोथ, संग्रहणी
ज्वरनाशक ७६७२ शोथाङ्कुशो सर्वाङ्गशोथ, ज्वर, पाण्डु ७६७३ शोथारिमं० सर्वदोषज सर्वाङ्ग शोथ
७६९० श्वयघातारि रसः शोथोदर ७६७४ , रसः शोथनाशक, मूत्रल
८२३९ सुधानिधिरसः शोथ, संग्रहणी, पाण्डु ७६७५ , रसः समस्त शोथ
८२४९ सुवर्चलाध लौ० शोथ, पाण्डु, कास ७६७६ , लौ० शोथको शीघा नष्ट क- ८७५४ क्षेत्रपाल रसः शोथ, दुस्तर संग्रहणी, रता है।
घर, अग्निमांद्य
(५८) श्लीपदाधिकारः
घृत-प्रकरणम् चूर्ण-प्रकरणम्
७९६७ सौ रेश्वरघृतम् रक्त मांस और मेदमें ८४५३ हरिदाचं चूर्णम् १ वर्ष पुराना श्लीपद
स्थित कफ वातज श्लो. (सरलयोग)
पदको अवश्य नष्ट कर
देता है। ८४७३ हरीतक्यादि, स्लीपदको ७ दिनमें |
रस-प्रकरणम् नष्ट करता है। ७६८१ श्लीपदगजकेसरी कष्टसाध्य स्लीपद, (सरलयोग)
प्लीहावृद्धि १ ७६८२ श्लीपदारि लौहम् स्लीपद
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