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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बोय] पञ्चमो भागः (चि. प. प्र.) - ७६७० शोथकालानलो शोथको अवश्य नष्ट ७६७७ गोथोदरारिलौहम् हर प्रकारके कष्टसाध्य करता है। ज्वर, श्वास, पुराने शोथमें उत्तम. कासादि शोथोदरमें श्रेष्ठ, उदर७६७१ शोथभस्मलौहः उदरशोथ, समस्त श रोग, कामला अर्श और रीरगतशोथ, संग्रहणी ज्वरनाशक ७६७२ शोथाङ्कुशो सर्वाङ्गशोथ, ज्वर, पाण्डु ७६७३ शोथारिमं० सर्वदोषज सर्वाङ्ग शोथ ७६९० श्वयघातारि रसः शोथोदर ७६७४ , रसः शोथनाशक, मूत्रल ८२३९ सुधानिधिरसः शोथ, संग्रहणी, पाण्डु ७६७५ , रसः समस्त शोथ ८२४९ सुवर्चलाध लौ० शोथ, पाण्डु, कास ७६७६ , लौ० शोथको शीघा नष्ट क- ८७५४ क्षेत्रपाल रसः शोथ, दुस्तर संग्रहणी, रता है। घर, अग्निमांद्य (५८) श्लीपदाधिकारः घृत-प्रकरणम् चूर्ण-प्रकरणम् ७९६७ सौ रेश्वरघृतम् रक्त मांस और मेदमें ८४५३ हरिदाचं चूर्णम् १ वर्ष पुराना श्लीपद स्थित कफ वातज श्लो. (सरलयोग) पदको अवश्य नष्ट कर देता है। ८४७३ हरीतक्यादि, स्लीपदको ७ दिनमें | रस-प्रकरणम् नष्ट करता है। ७६८१ श्लीपदगजकेसरी कष्टसाध्य स्लीपद, (सरलयोग) प्लीहावृद्धि १ ७६८२ श्लीपदारि लौहम् स्लीपद For Private And Personal Use Only
SR No.020118
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages633
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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