Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 622
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ६१० कषाय-प्रकरणम् ७२४५ शुण्ठ्चादिकाथः वातज शोथ ७२६२ शोधन्यादिकाथः शोथ ७२६३ शोथहरो दशको www. kobatirth.org भारत - मैषज्य रत्नाकरः (५७) शोथाधिकारः महाकषायः शोथ ७७८० सरलादिकल्कः कफ वातज शोध ७७९९ सिंहास्यादिका० शोथ, कास, श्वास, ७८८६ स्तुक् क्षारभावित वर सर्वाङ्गशोध, लोहा ७८१८ स्थलपद्मकल्कः ८४३१ हरीतक्यादि यो ० ज्वरजनित शोध चूर्ण-प्रकरणम् ७३२९ शोधारिचूर्णम् दारुण शोथ, और पाण्डु शीघ्र नष्ट होता है । " ७८५७ सुवर्ण समकं, सर्व शरीरगत शोथ, ज्वर, पांडु, उदररोग पिप्पली तथा हर्र कफज शोध गुटिका-प्रकरणम् ८७१५ क्षार गुटिका शोथ, प्लीहा, उदररोग, पाण्डु, वास कासादि अवलेह - प्रकरणम् ८५२७ हरीतक्यवलेहः प्रवृद्ध शोध, ज्वर, अम्लपित्त, मूत्रदोष, श्वास, कास, गरदोष घृत-प्रकरणम् ७९६९ सौवर्चलादिघृतम् शोथ, अर्श, गुल्म, प्रमेह ७९७० स्थल पद्मक दारुण शोथ, वसी ७४१९ तैल-प्रकरणम् ७४१६ शुष्कमूला तै० शोथ, शूल ७४१८ " " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 99 " "1 ७४२२ शैलेयतैलम् ७४२३ शोथशार्दूलते ० For Private And Personal Use Only "" 97 [ शोध वातजशोथ सर्व देहगत भयंकर शोध, श्लीपद, अवर ७९७९ समुद्रशोषणतै ० कफपित्तज शोथ, शि दुष्ट विकार जनित तथा मलजनित अनेक शोथ विरुद्ध भेषज जनितशोथ व्रणशोथ लेप-प्रकरणम् ७४६१ शित्वगादिलेपः कफजशोथ ८०२३ समुद्रफेनजशो थन लेपः रकी सूजन, कर्णशोथ, दन्तवेशोथ, हनुमूल शोथ, नेत्रशोथ, श्लीपद समुद्रफेनके घर्षण से उत्पन्न मण्डल आदि रस-प्रकरणम् ७५९५ शिलाजतुयोगः त्रिदोषज शोथ

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