Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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कषाय-प्रकरणम्
७२४५ शुण्ठ्चादिकाथः वातज शोथ ७२६२ शोधन्यादिकाथः
शोथ
७२६३ शोथहरो दशको
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भारत
- मैषज्य रत्नाकरः
(५७) शोथाधिकारः
महाकषायः
शोथ ७७८० सरलादिकल्कः कफ वातज शोध ७७९९ सिंहास्यादिका० शोथ, कास,
श्वास,
७८८६ स्तुक् क्षारभावित
वर
सर्वाङ्गशोध, लोहा
७८१८ स्थलपद्मकल्कः ८४३१ हरीतक्यादि यो ० ज्वरजनित शोध
चूर्ण-प्रकरणम्
७३२९ शोधारिचूर्णम् दारुण शोथ, और पाण्डु शीघ्र नष्ट होता है ।
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७८५७ सुवर्ण समकं, सर्व शरीरगत शोथ, ज्वर, पांडु, उदररोग
पिप्पली तथा हर्र कफज शोध
गुटिका-प्रकरणम् ८७१५ क्षार गुटिका शोथ, प्लीहा, उदररोग,
पाण्डु, वास कासादि
अवलेह - प्रकरणम्
८५२७ हरीतक्यवलेहः प्रवृद्ध शोध, ज्वर,
अम्लपित्त, मूत्रदोष, श्वास, कास, गरदोष
घृत-प्रकरणम्
७९६९ सौवर्चलादिघृतम् शोथ, अर्श, गुल्म, प्रमेह
७९७० स्थल पद्मक दारुण शोथ, वसी
७४१९
तैल-प्रकरणम्
७४१६ शुष्कमूला तै० शोथ, शूल
७४१८
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७४२२ शैलेयतैलम् ७४२३ शोथशार्दूलते ०
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[ शोध
वातजशोथ
सर्व देहगत भयंकर शोध, श्लीपद, अवर
७९७९ समुद्रशोषणतै ० कफपित्तज शोथ, शि
दुष्ट विकार जनित तथा मलजनित अनेक शोथ
विरुद्ध भेषज जनितशोथ व्रणशोथ
लेप-प्रकरणम्
७४६१ शित्वगादिलेपः कफजशोथ ८०२३ समुद्रफेनजशो
थन लेपः
रकी सूजन, कर्णशोथ, दन्तवेशोथ, हनुमूल शोथ, नेत्रशोथ, श्लीपद
समुद्रफेनके घर्षण से उत्पन्न मण्डल आदि
रस-प्रकरणम्
७५९५ शिलाजतुयोगः त्रिदोषज शोथ
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