Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 587
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ५७२ ८१३१ सन्निपातकुष्ठ हर रस: ८२०२ सर्वेश्वर रसः ८२१७ सिद्धतालेश्वरः www. kobatirth.org ७७०५ श्वेतकुष्ठारिरस : छाले पड़कर ३ सप्ताह चित्र नष्ट होता है। ७७०६ श्वेतारि रसः श्वेत कुष्ठ ७७०७ श्वेतारि रसः श्वेत कुष्ठ ७७६४ षडाननगुटिका कुष्ठ, आमाशयका तीव्र शूल, रेचक ८१२० संकोचगोलरसः कुष्ठ, विसर्प, विष ८१२२ संकोच रसः उदुम्बर कुष्ठ ७१९८१ राज्यादिक्वाथः भारत-‍ - भैषज्य रत्नाकरः सन्निपातज कुष्ठ सुप्ति कुष्ठ, मण्डल कुष्ठ कुष्ठ कषाय-प्रकरणम् कृमिरोग, ज्वर चूर्ण-प्रकरणम् ७३३० शोभा• दिचू० कृमिरोग (१८) कृमिरोगाधिकारः रस-प्रकरणम् ८२४७ सुरेन्द्राभ्रवटी समस्त क्लोम रोग ८२१८ सिद्ध तालेश्वर रस: Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१९) क्लोमरोगाधिकारः ८२१९ सिद्ध पंचानन रसः ८२७६ सूर्यकान्तरसः ८२८१ सूर्य गुटिका कुष्ठ, शोथ, शूलादि ऋष्यजिह्नक कुष्ठ वातरक्त, वातरोग समरत कुष्ठ कपाल कुष्ठ ८२९५ सोमानल रसः ८२९७ सोमेश्वर रसः ८३१९ स्वच्छन्दभै(वरसः वातरक्त, वातरोग ८३२६ स्वर्णक्षीरीरस : सुप्ति कुष्ठ ८६०४ हरिद्रादिवटिका भयंकर कुष्ठ ८६०६ हरिबोलांकुशर० समस्त कुष्ठ [ कुष्ठ, रक्तविकार. For Private And Personal Use Only १ मासमें कुष्ठको नष्ट करता है । | ७८५६ सुवर्चिकाद्यं चू० कृमिरोग लेष-प्रकरणम् ७४५५ शरपुङ्खायोगः कृमियों को निकाल देता है।

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