Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
View full book text ________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
ज्वर]
पञ्चमो भागः (चि. प. प्र.)
५८१
-
८०५६ सुवर्णादि लेपः सन्निपात के उपाय ८५७३ हिग्वादि , कर्णनूल
८११५ सैन्धवादि नभ्यम् ८५९५ हिंग्यादि ,
तन्द्रा । चातुर्थिक ज्वर ।
ज्वर
. रस-प्रकरणम् धूप-प्रकरणम्
७५८५ शाङ्करीअराङ्कुशः शीतज्वर ८०७९ सर्पत्वगादिधूपः विषमयरमें रोगीकी ग्रह ७६२२ शीबवरारिरसः नवीन ज्वरनाशक, और राक्षसोंसे रक्षा क
रेचक रता है।
७६२४ गीतकेसरी रसः घोर शीतज्वर • - ८०८१ सहदेव्यादि ,, विषमञ्चर ७६२५ शीतज्वरहर रसः शीतञ्चर अञ्जन-प्रकरणम्
७६२६ शीतञ्चगदि रसः घोरशीतज्वर " ७५०६ शिरीपाद्यञ्जनम् सन्निपातकी मळ ७६२७ शीतचरारि रसः शीतपूर्व तथा दाहपूर्व ८०८३ संज्ञा प्रबोधन सन्निपात ८०८४ सन्निपाताञ्जन सन्निपातको शीघ्र नष्ट ।
निपाको गीत ७६२८ शीतज्वरारि रसः शीतज्वर करता है।
७६२९ शीतभञ्जी रसः शीतचर ८०८६ सर्ववरहराञ्जनम् सर्वञ्चर
७६३० शीतभञ्जी रसः शीतज्वर ८०९५ सुप्रचेतना गु० मेलेरिया ज्वर, सन्नि. ७६३१ शीतभञ्जी रसः
पातकी मूर्छा
७६३२ शीतभञ्जी रसः विषमज्वर (मेलेरिया) ८१०४ सैन्धवाद्यञ्जनम् सन्निपातकी मूर्छा
७६३३ शीतभञ्जी रसः ८१०५ , , विषमञ्चर
७६३४ शीतभञ्जी रसः ७६३५ शीतभञ्जी रसः
७६३६ शीतभञ्जी रसः महाघोर नवीन ज्वरको नस्य-प्रकरणम्
१ पहरमें नष्ट करता है। ७५१६ शिग्रुमूलाधनस्यम् सन्निपातकी मूछो ७६३७ शीताकशरसः बारीसे आने वाले ज्वर ७५१८ शिरीषपुष्पादि , चातुर्थिक वर ७६३८ शीताार रसः वातकफ ज्वर ७५१९ शिरीपादिनस्यम् ग्रहभूत, पिशाच, राक्ष- ७६३९ शीतारि रसः ३ मात्रा में तीब्र शीत सों के उपद्रव, ज्वर
ज्वरको अवश्य नष्ट ८११५ सर्ववरहर ,, जिस ओरके नासापुट
करता है। में नस्य दीजाती है ७६४० शीतारि रसः बारीके ज्वर उसी ओरका ज्वर नष्ट ७६४१ शीतारि रसः शीतपूर्व तथा दाहपूर्व हो जाता है।
विषमज्वर
For Private And Personal Use Only
Loading... Page Navigation 1 ... 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633