Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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बालरोग]
पञ्चमो भागः (चि. प. प्र.)
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रस-प्रकरणम्
मिश्र-प्रकरणम् ७५५९ शंखादिचूर्णम् गुदपाक
८३८५ समंगादि क्वाथः बालातिसार ८२२९ सिन्दूरादि लेहः बालकोंका पश्चाद् रुज
___ रोग ८३८६ सर्जकायो योगः विच्छिन रोग ८६३८ हिरण्याख्यवलेहः बालककी आयु, कान्ति. / ८४०१ सैन्धवादि योगः नवजात शिशुका दूध और बलवर्द्धक
न पीना
(३५) भगन्दराधिकारः गुग्गुलु-प्रकरणम्
तैल-प्रकरणम् ७९१७ सप्तविंशतिको
८००० सैन्धवायतैलम् कृमियुक्त असाध्य भगंदर गुग्गुलुः भगंदर, बस्तिशूल, अर्श, ८०१३ स्यन्दन , भगंदरको शुद्ध करके अन्त्रवृद्धि, कास, श्वा
भरता और त्वचाको सादि अनेक रोग
सवर्ण करता है। - and_ (३६) मदात्ययाधिकारः घृत-प्रकरणम्
रस-प्रकरणम् ७३६४ शतावरीघृतम् पानात्यय
८२६३ सूतादियोगः पानात्यय
आसव-प्रकरणम्
मिश्र-प्रकरणम् ७४४० श्रीखण्डासवः पानात्यय, परमद, पाना
जीर्ण, अत्युग्र पानविभ्रक ७७२३ शीतजलपानयोगः सुपारीका नशा, छर्दि,
अतिसार
MEAKE(३७) मसूरिकाविस्फोटकाधिकारः
कषाय-प्रव.रणम् | ७८१० सुषव्यादिस्वरसः विस्फोटक, मसूरिका, ७२७६ श्वेतचन्दनादियोगः मसूरिकाके आरम्भमें
ज्वर (सरलयोग) उपयोगी
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