Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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ज्वर]
पञ्चमो भागः (चि. प.प्र.)
५७६
७२३२ शुण्ठीक्वाथः जीर्णज्वर, अरुचि, अ- ७७९२ सारिवादिगणः पित्तज्वर, दाह, पिपासा, ग्निमांद्य, काा, जल
रक्तपित्त विकार। सरल योग ७७९५ सितादिक्वाथः अन्तर्दाह तथा पित्तज्वर ७२३३ शुण्ठयादिकल्कः सन्निपात, श्वास, भ्रम,
को शीघ्र नष्ट करता है। अरुचि, हृदयकी नि
अति सरल योग र्बलता
७७९६ सिन्धुवार , कफज्वर, जंघाबलहास, ७२३५ , , तीब्र शीतज्वर
कानोंका बन्द होना। ७२३८ , क. कफवर
सरल योग ७२४७ , क्वा० वातज्वर । ७७९७ सिंहास्यादि सन्निपात, शूल, श्वास, ७२४८ , , दाहज्वर, शीतज्वर,
अरुचि, अतिसार ७२४९ , , तृतीय जीर्णज्वर, कास, । ७७९८ सिंहास्यादि पित्त कफवर, खांसी, ७२५६ शृङ्गवेरादि ज्वर, विस्फोटक, दाह,
श्वास वमन, खुजली ७८०० सिंहिकादि कफवातज्वर, श्वास, ७२५७ शृङ्गया दिक्वा० अभिन्यास सन्निपात,
कास, शूल, पीनस
(सरल योग) ७२५८ , , कण्ठकुब्ज सन्निपात ७८०२ सिंह्यादिकषायः सन्निपात ज्वरान्तर्गत ७२५९ , , अभिन्यास सन्निपात,
श्वास तन्द्रा, हिक्का, कर्णशूल
७८०४ सिंह्यादिक्वाथः जिह्वक सन्निपात ७२६७ श्रीखण्डादिक० पित्तज्वर ७८०६ सुनिषण्णादि ३ दिनमें तीब्र ज्वरको ७२६९ श्रीपादि क्वाथः ।
नष्ट करता है ७२७० श्रीपादिपाचन वातज्वर | ७८०७ सुरभ्यादिक० अभिन्यास सन्निपात, ७७४० पडङ्गपानीयम् ज्वर, दाह, पिपासा
शूल ७७४१ षोडशाः उग्र सन्निपात ७८०८ सुरसादिक्वाथः वातज्वर ७७६९ सप्तच्छदादि कफज्वर
७८१९ स्थिरादिक्वाथः तीव्र चातुर्थिक ज्वर, ७७७३ सप्तमुष्टिक यूपः कफ, वायु, सन्निपात
अग्निमांद्य नाशक, हृदय, मुख ८४१६ हारद्रादिकपायः मुखप्रसेक, सन्निपात, शोधक
अग्निमांद्य, अरुचि, शोप, ७७९१ सारिवादिगणः ज्वर, दाह, पिपासा,
कास रक्तपित्त ८४२० हरिद्रादिक्वाथः कफ ज्वर
कफ
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