Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[ ज्वर
योगः
८६३३ हिंगुलेश्वरम् सः ज्वरनाशक, रेचक ८३९२ सहदेवीमूल. - ८६४८ हीराबेध्यो रसः तालुमें मलने से मूर्छा
बंधनम् चातुर्थिक ज्वर. नष्ट होती है। ८३९६ सिंहिकादि। ज्वर, हिक्का, कासादि
नाशक, मलमूत्र प्रवर्तक ८६५० हुताशनरसः ज्वर,
पेया.
। ८४४७ हरिद्रक वृक्ष मिश्र-प्रकरणम्
योगः नानादेशज वारिदोष ८३८३ सक्तुयोगः दाह, तृषा, पित्तवर,
नाशक। (ज्वरवेगको घटाता है।) ८७६८ क्षीरयागः जीर्णज्वर. ८३९१ सहदेवीमूल
८७६९ ,
क्षीणकफ जीर्ण वर. योगः भूतज्वर,
८७७३ । विषमज्वर, हृद्रोग, कास.
(२७) छर्यधिकारः । कषाय-प्रकरणम्
। ७८७२ सैन्धवादियो० वातठर्दि नाशक ७१७३ शङ्खपुष्पीरस
सरल योग योगः छर्दि
७८८० सौवर्चलादि ७२५१ शुण्ठ्यादि
वातछर्दि पाचनम् छर्दि, अरुचि, । ८५०९ हिंग्वादियोगः वमन
ज्वरातिसार ७२७१ श्रीफलगुडू.
अवलेह-प्रकरणम् च्यादिक्वाथः सर्वदोषज छर्दि । ७९३५ सितादि लेहः सोपद्रव पित्तजछर्दि ७७९० शारिवादि
( सरलयोग) क्वाथः छर्दि.
७९४४ सौवर्चलाद्यलेहः छर्दिनाशक उत्तमयोग.
घृत-प्रकरणम् चूर्ण-प्रकरणम्
७९६१ सूर्योदयघृतम् घोर छर्दि, श्वास, क्षय. ७२८४ शट्यादिचू० त्रिदोषज छर्दि ७८२८ समशर्करचू० वमन, अरुचि, गुल्म,
लेप-प्रकरणम् श्वास.
८०४४ सिद्धार्थादि वमननाशक
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