Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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५७८
भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[ ग्रहणीरोग
८३२० स्वच्छन्द भैरव रसः ग्रहणी, कास, श्वास, ज्वर,
निद्राकी कमी ८३२८ स्वर्णपर्पटी ग्रहणी, कास, श्वास,
क्षय, पाण्डु ८६३२ हिंगुलेश्वर रसः ग्रहणी, प्रवाहिका, अग्नि० ८६३५ हिरण्यगर्भ पो- ग्रहणी, शोथ, जीर्ण
टली रसः ज्वरादि
८६७६ हंसपोटली रसः संग्रहणी
ग्रहणी, कास, हिका
निर्बलता ८६७८ ,, , , ग्रहणी, पाण्डु, कृशता ८७४३ क्षारताम्र रसः ग्रहणी, प्रतिश्याय, श्वास,
कास, जार्णज्वर
(२५) ज्वरातिसाराधिकारः कषाय-प्रकरणम्
८२२० सिद्धप्राणेश्वरो घार त्रिदोषज ज्वराति ७२५० शुण्ठ्यादिक्वाथः ज्वरातिसार
सार, शूलादि चूर्ण-प्रकरणम्
। ८२४२ सुधासार रसः ज्वरातिसार, आमरक्त, ७८२६ समझादि चूर्णम् ज्वरातिसार
आनाह, हिक्का रस-प्रकरणम् ८१५९ स्वर्जिक्षारादि
८६७१ हेमसुन्दररसः ज्वरातिसार, संग्रहणी योगः ज्वरातिसार, शोथ, शूल । ८७७७ ज्ञानोदय रसः ज्वरातिसार, जलदोष
(२६) ज्वराधिकारः कषाय-प्रकरणम्
| ७१८३ शठ्यादि गणः सन्निपात, कास, हृद्७१७१ शक्राहादिक्वा यः पित्तज्वर
प्रह, पार्श्वपीड़ा ७१७२ , , शीतञ्चर
७१८४ , पाचनम् ज्वरकी तन्द्रा, श्वास, ७१७५ शठ्यादिकषायः सन्निपात, विषमञ्चर,
शिरपीड़ा, जड़ता आदि जीर्णज्वर
उपद्रव ७१७७ शठ्यादिक्वाथः कफजज्वर । ७१८५ शतपुष्पादिक० वातजज्वर ७१७९ , , समस्त वर । ७२०२ शतावर्यादि स्व० ,, (सरलयोग) ७१८० . , ,
सन्निपातज ज्वरमें । ७२१३ शालिपदि तीव्र वातज्वर - - दोषोंको पचाता है । ७२२८ शिशिरादिकषायः तृतीयक ज्वर
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