Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 581
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ५६६ कषाय-प्रकरणम् ७८१४ सौभाञ्जनस्वरसयोगः कर्णशूल ७४२१ शृङ्गवेरादि ७४२५ इयोनाक ७९९९ सैन्धवाद्य ८०१४ स्योनाक चूर्ण-प्रकरणम् ७८३० समुद्रफेनचूर्णम् कर्णस्राव, कर्णत्रण ७८३१ सर्जत्वक्चूर्णम् कर्णस्राव 35 17 तैल-प्रकरणम् ७४०५ शतावर्यादितैलम् कर्णेपालीको पुष्ट करता है ७४१७ शुष्कमूलार्थतैलम् कर्णशूल, बधिरता, कर्ण नाद, कर्णस्राव, कर्ण कृमि "" 33 www. kobatirth.org भारत (१५) कर्णरोगाधिकारः महाकषायः ७८०९ सिंहीकषायः ७८०३ सिंहचादिक्वाथः - भैषज्य रत्नाकरः कर्णपीड़ा त्रिदोषज कर्णशूल कषाय-प्रकरणम् ७१७६ शठयादिकषायः पित्तकास ७१८६ शतमूली क्वाथः खांसी, शूल ७२४४ शुण्ड्यादिक्वाथः श्वास ७२५५ शृङ्गवेररसयोगः ७२७५ श्वासहरो दशको स्मरत कर्णरोग त्रिदोषज कण को तुरन्त नष्ट करता है । कफ, प्रतिश्याय, कास ८०१५ स्वर्जिकाद्यं तै० कर्णनाद, कर्णशूल, बधि रता, कर्णस्रावको शीघ्र करता है । ८५४८ हिंग्वादि ८७३० क्षार तैलम् ८७३१ "" (१६) कासश्वासहिकाधिकारः Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 29 99 रस-प्रकरण ८२१२ सारिवादिवटी समस्त कर्णरोग. क्षयादि 22 मिश्र-प्रकरणम् ८४१४ स्वर्जिकादियोगः कर्णस्राव, कर्णपीड़ा, दाह For Private And Personal Use Only [ कर्णरोग कर्णशूल कर्णशूल, कर्णनाद, बधि रता, कर्णस्राव, कर्णकृमि आदि ऊपरके समान ८४३२ हरेणुकादिक्वाथः पांच प्रकारकी हिचकी ८४३३ हिकानिग्रहण दशको महाकषायः ८७०४ क्षुद्रादि क्वाथः ८७०६ क्षुद्रारस योगः " हिचकी श्वास कास, श्वास चूर्ण-प्रकरणम् कास नाशक सरलयोग ७२८१ शय्यादि चूर्णम् श्वास और खांसी दवास ७२८२ दवास और हिचकी , क्षय (सरलयोग) " ""

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