Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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उदावर्ताध्मान]
पश्चमो भागः (चि. प. प्र.)
५६५
-
धृत-प्रकरणम्
मिश्र-प्रकरणम्
७७३२ श्यामादिगणः उदावर्त, आनाह, उदर रोग ७३८४ शुष्कमूलाचं
७७३३ , वतिः उदावर्त घृतम् उदावतको अवश्य नष्ट करता है ८४०५ सौवर्चलादियो० मूत्रावरोध जनित उदर रोग ७९२२ स्थिराधं घृतम् वातावरोध, आनाह ८६९८ हिंग्वादिवर्तिः उदावर्त
(१२) उपदंशाधिकारः गुटिका-प्रकरणम्
लेप-प्रकरणम् ८०८२ सम्प्रसारिणीगुटिका फिरंगरोगको अवश्य ८०३० सर्जिकादिलेपः उपदंशबण, विसर्प
____ नष्ट कर देती है ८०३१ सर्जिकाद्य , मांसाङ्कुर
अवलेह-प्रकरणम् ७९३२ सारिवाधवलेहः उपदंश, पारदविकार,
-प्रकरणम् रक्तदोष, प्रमेह, प्रमेहपि- ८१४७ सप्तशालिवटी फिरंग रोग डिका, मूत्रकृच्छ । ८२६४ सूतादिवटी समस्त प्रकारका उपदंश
(१३) कण्ठरोगाधिकारः घृत-प्रकरणम्
रस-प्रकरणम् ७३८० शुङ्गाद्यवृतम् स्वरभंग ७९५२ सारस्वत , एतत्प्राशितमात्रेण किन्नरैः ८२११ सारस्वतरसः स्वरभंग
सह गीयते ।
८३०५ सौभाग्यसुन्दर
टंकणरसः स्वरभेदादि तैल-प्रकरणम्
| ८३२५ स्वरप्रसादको र० स्वरभेदमें उत्तम ७४३६ श्वेतादितैलम् कफज गलशुण्डिका
(१४) कफरोगाधिकारः रस-प्रकरणम्
। ७६८५ श्लेष्मकुठाररसः ७६८४ श्लेष्मकालानलोरसः समस्त कफरोग
कफविकार
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