Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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५५६
भारत-भेषज्य-रत्नाकरः
अग्निमांद्य
332
७५५१ ," | ७५५२ , ,
• गुटिका-प्रकरणम्
७५५० शंखवटी अत्यन्त पाचक ७३४० शुण्ठ्यादिगुटी अग्निमांध
अजीर्ण, शूल, विसूचिका ७९०७ सैन्धवादिगुटि० अत्यन्त पाचक .
अजीर्ण, शूल, आम,
अग्निमांद्य अवलेह-प्रकरणम्
७५५३
अजीर्ण, विसूची, शूल, ८७२१ क्षारगुडः अजीर्ण, अग्निमांद्य, शो
अफारा , थादि अनेक रोग ७५५४ ,, ,, (महा) भस्मक, अग्निमांद्य,
शूलादि अनेकरोग लेप-प्रकरणम्
७५५५ ,,, अजीर्ण, शूल, विषूचिका ८५७५ हिङग्वादिलेपः अजीर्ण
७५५६ ,, ,, (महा) अत्यन्त पाचक, दीपन
७५७४ शम्भुरसः अग्निमांद्य, अजीर्ण अञ्जन-प्रकरणम्
८१२५ संजीवनीवटी अजीर्ण, गुल्म । विपू. ७५०९ शिवावर्तिः विषूचिकाके वेगको शीघ्र
चिकामें अत्यन्त गुणकारी शान्त करती है।
८१७५ सर्वरोगान्तकवटी अग्निमांद्य
८२३२ सुकुमारमोदकः वातज अजीर्ण, उदावर्त, रस-प्रकरणम्
आनाह । विष्ठम्भको पर७५३२ शंखद्रावकः अग्निवर्धक
मौषध ७५३३ शंखदावः अजीर्ण, गुल्म, अग्नि
८२७९ सूर्यप्रभा गु० अग्नि दीपक मांच, प्लीहादि, यकृत्
८३२३ स्वयमग्निरसः समस्त प्रकारके अजीर्ण । शूलादि.
८६५१ हुताशन रसः अग्निमांद्य, शिरकी जडता, ७५३४ शंखद्रायः अजीर्ण, शूलादि
गुल्म
८६५२ हुताशन रसः अग्निवर्द्धक, कफनाशक ७५३८ , "
अजीर्ण, ऊर्बवायु,
८६५३ , , अग्निमांध, अजीर्ण, अग्निमांद्यादि
शूलादि । ७५४० शंखद्रावको रस आहारको तुरन्त पचा
| ८७४६ क्षारयोगः भोजन के बाद खानेसे
१ पहरमें पुनः भूख लग ७५४८ शंखवटी अजीर्ण, शूल, विसू
आती है। चिका, अलसक
८७४९ क्षुद्बोधक रसः क्षुधावर्द्धक ७५४९ ,, शूल, अजीर्ण,अग्निमांध,
माघ, ८७५३ क्षुधासागरो रसः , , अरुचि
देता है
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