Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
View full book text ________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
अर्बुद ]
७४४३ शंखादिलेप: ७४५४ शरपुंखायोगः
लेपप्रकरणम्
"
कषाय-प्रकरणम्
७८३९ सितासितादि
चूर्णम्
७८४४ सिंहनपुरी,
७८६० सूरणादि
७८६२
19
७२२६ शिरीषमूलादि.
कल्कः
रक्तार्श
७७७८ समंगादिक्षीरम् रक्तार्शके रक्तको बन्द करता है
७८१२ सूरणपुटपाकः अर्श
८४१५ हरिद्रादिकषायः पित्तज और रक्तज अर्श
चूर्ण-प्रकरणम्
कफज अर्बुद
अर्बुद, अपची
39
योगः
७८६३
"
७८६४ सूरणायं चू०
७८७० सैन्धवादिप्रति
सारणम्
www. kobatirth.org
पञ्चमो भागः ( चि. प. प्र. )
(६) अर्बुदाधिकारः
99
(७) अर्शोधिकारः
वातकफज अश
अर्श, अफारा, वायु
अर्शनाशक | सरलयोग
अर्श
वातविकार
" शूल, कृमि, अग्निमांद्य
कान, गला, नाभि, नासा,
लिंग और गुदा के मस्से |
८४५५ हरीतकीयोगः अनुलोमन, मलसारक, अग्निवर्द्धक, अनाशक
७४६२ शिग्रुमूलादिलेपः अर्बुदादि ८०७६ स्वर्जिकादिलेपः अर्बुद, ग्रन्थि मेदन अर्बुद
८५६० हरिद्रादि
७९०४
८५१६ हुताशनं चूर्णम् अर्श के मस्सोंको नष्ट करता है । पाचक, रेचक, रोचक, दीपक
७९०५
७९०६
गुटिका-प्रकरणम्
७९०३ सूरणमोदकः अर्श, अतिसार, वायु,
गुल, अग्निमांद्य, । बल
वर्द्धक, बालकों और वृद्धों.
के लिये विशेष उपयोगी ।
""
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
21
79
19
For Private And Personal Use Only
"
11
८७१६ क्षारगुटिका
५६१
वटक: अर्श
अर्श में अत्युपयोगी, अ
त्यन्त अग्निवर्द्धक, श्वास,
कास नाशक
अर्शन..क, उत्तम अग्निवर्द्धक, वातकफज ग्रहणी
तथा कासादि नाशक अर्श, श्वास, कास । पाचक
अवलेह - प्रकरणम्
७९३९ सैन्धवाद्यवलेहः वातवर्चोनुलोमक सरल
योग
Loading... Page Navigation 1 ... 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633