Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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रसपकरणम् ]
पत्रमो भागः
१२९
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(७६१७) शिलापूतरसः | खरल करें और फिर उसका गोला बनाकर मूषामें __(र. चं.। हिक्का. )
बन्द करके उसे थोड़ी देर मन्दाधिमें रख कर चर्ण पाठेन्टवायोटे तलाशी धमावें । तदनन्तर मूषाके स्वांग शीतल होने पर तत्पृष्ठे शुद्धमूतं च कुनटयशं प्रदापयेत् ॥
| उसमेंसे रसको निकाल लें। मृताधै कुनटीचूर्ण तस्यार्धे पूर्वमूलिकाः । मात्रा-१ रती चूणे दत्वा पचेच्चुल्यां यामाष्टं मृदुवह्निना ॥ यह रस पित्त शूलको नष्ट करता है। शिलापूतो रसो नाम हन्ति हिक्कां त्रिगुञ्जकः। अनुपान-हींग १ भाग, हर्र १०० भाग,
कपडमिट्टी की हुई हाण्डीमें पाठा और इन्द्रा- सेठ ३ भाग और सज्जीखार २ भाग ले कर चूर्ण यगको जड़का समान भाग मिश्रित चूर्ण रख कर बनावे । उपरोक्त रस खानेके बाद । तोला (व्यव. उसके ऊपर उसके बगवर शुद्ध मनसिलका चूर्ण मा. ३-४ माशे ) यह चूर्ण (पानीके साथ) बिछा दें और फिर उस पर मनसिलके बराबर शुद्ध खाना चाहिये। पारद स्वखें, पारदके ऊपर उससे आधा मनसिलका (७६१९) शिलावीररसः चूर्ण बिछावें और इसके ऊपर इससे आधा पाठा (र. र. रसा. । उप. २) और इन्द्रायणकी जड़का चूर्ण बिछा दें । तदनन्तर रसभस्म समं गन्धं शिलाजत्वम्लवेवसम् । उसके मुखको बन्द करके आठ पहर मन्दाग्नि पर यामैकं मर्दयेत्सर्वे मधुसर्पिर्युतं लिहेत् ॥ पकावें और फिर स्वांगशीतल होने पर तैयार निष्कैकैक वर्षमात्र शिलावीरो महारसः । रसको निकाल लें।
जराकालं निहन्त्याशु जीवेद्वर्षशतत्रयम् ॥ यह रस हिचकीको नष्ट करता है। पलाधै मशलीचूर्ण भृराजरसैः पिवेत् । मात्रा-३ रत्ती।
धात्रीफलरसर्वाऽथ कामकं बनुपानकम् ॥ (७६१८) शिलाबद्धरसः ___ पारद भस्म, शुद्ध गन्धक, शिलाजीत और (र. र..। शूला.)
अम्लवेत समान भाग ले कर १ पहर खरल करके मृतमतस्य भागैकं भागेकं शोधितां शिलाम। रखें । दिनं जम्बीरजैविमेघे रुद्धवा धमेल्लघु ॥
इसमेंसे १-१ निष्क रस शहद और पीके शिलाबद्धो रसो नाम गुजै पित्तशलजित | साथ निरन्तर १ वर्ष तक सेवन करनेसे वृद्धावस्था एक हि शतं पथ्या त्रिशुण्ठी दि सुवर्चला॥ रहित ३०० वर्षकी आयु प्राप्त होती है । एतच्चूर्ण ककमनुस्याच्छलशान्तये। अनुपान-औषध खानेके पश्चात् २॥
१-१ भाग पारद भस्म और शुद्ध मनसि- तोले मूसलीका चूर्ण भंगरेके रस या आमलेके रसके लको एकत्र घोटकर १ दिन जम्बीरी नीबूके रसमें साथ पीना चाहिये।
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