Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 05
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
View full book text ________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
तैलप्रकरणम् ]
पञ्चमो भागः
५३३
अथ क्षकारादितैलप्रकरणम् (८७३०) क्षारतलम् (१) (लघु) (८७३१) क्षारतैलम् (२) (ग. नि.! । तैला. २; यो. त.२ । त. ७०) । (शा. सं. । खं २ अ. ९, १. यो. त. । त. शुष्कमूलकशुण्ठीनां क्षारो हिङ्गु महौषधम् । १२९; वृ. मा. ; व. से. ; र. र.; च. द.; भै. र.; शतपुष्पा वचा कुष्ठं दारु शिनु रसाधनम् ॥
यो. र. ; वृ. नि. र. । कर्णरोगा. ; यो. त. । त. मातुलुङ्गरसश्चैव कदल्या रस एव च ।
| ७०; वा. भ. । उ. अ. १८; च. सं. । अ. २६ तैलमेभिर्विपक्तव्यं कर्णशूलारं परम् ||
त्रिमपीयचिकित्सा.) बाधिर्य कर्णनादश्च पूयास्रावश्च दारुणः।
बालमूलकशुण्ठीनां क्षारः क्षारयुगं तथा । कुमयश्च विनश्यन्ति तैलस्यास्य प्रपूरणात् ।।
| लवणानि च पञ्चव हिमु शिग्रु महौषधम् ।। कल्क-सूखी मूलीका क्षार, हींग, सेांठ, | देवदारु वचा कुष्ठं शतपुष्पा रसाअनम् । सोया, बच, कूठ, देवदारु, सहजनेकी छाल और प्रन्थिकं भद्रमुस्तं च कल्कैः कर्षमितै पृथक् ।। रसौत समान भाग मिलित २० तोले लेकर कल्क तैलमस्थं च विपचेत् कदलीवीजपूरयोः। बनावें।
रसाभ्यां मधुसूक्तेन चातुर्गुण्यमितेन च ॥ द्रव पदार्थ-बिजौरे नीबूका रस ४ सेर पूयस्रावं कर्णनादं शूलं बधिरतां कृमीन् । और केलेका रस ४ सेर ।
अन्यांश्च कर्णजान् रोगान् मुखरोगांश्च ना.
शयेत् ॥ २ सेर तेलमें उपरोक्त समस्त औषधियां
जम्बीराणां फलरसः प्रस्थैकः कुडवोन्मितम् । मिलाकर पकावे और पानी जल जाने पर तेलको
| माक्षिकं तत्र दातव्यं पलैका पिप्पली स्मृता ॥ छान लें।
एतदेकीकृतं सर्वं मृद्भाण्डे च निधापयेत् ॥ इसे कानमें डालने से कर्णशूल, कर्णनाद,
कच्ची मूलियांका क्षारे, जवाखार, सज्जीखार, . बधिरता, पीप निकलना और कर्ण कृमि आदि कर्ण
पांचों नमक, (सेंधा, काला नमक, बिड नमक, रोगांका नाश होता है।
सामुद्रलवण, काच लवण), हींग, सहजने की छाल, १ ग. नि. में इसी पाठको पुनः उदृत करके | सेठ, देवदारु, बच, कूठ, सोया, रसौत, पीपलामूल, उसका नाम वृहत्क्षार तैल दिया है,
और नागरमोथा १०-११ तोला लेकर कल्क बनावें। २ यो. त. में केवल मूलीक्षार, हींग और तदनन्तर २ सेर तेलमें यह कल्क तथा सेांठ तथा शुस्तके सांय तेल पाक करने को लिखा है।। ८-८ सेर केलेका रस, बिजौरे नीबूका रस और
For Private And Personal Use Only
Loading... Page Navigation 1 ... 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633