________________
तीर्थंकर
[ २५ द्वारा उक्त बात की सूचना देने के साथ अपने मङ्गल जीवन की महत्ता को पहले से ही प्रगट कर दिया ।
स्वप्न-दर्शन
प्रत्येक जिनेन्द्र-जननी सोलह स्वप्नों को रात्रि के अन्तिम प्रहर में दर्शन के पश्चात् अपने पतिदेव से उनका फल पूछती है, जिससे माता को अपार प्रानन्द प्राप्त होता है, कारण वे स्वप्न भगवान के गर्भ में प्रागमन की सूचना देते हैं। माता अपने पतिदेव से स्वप्नों का वर्णन करती हुई उनका फल पूछती है; तब भगवान के पिता कहते हैं
नागेन तुंगचरितो वृषतो वृषात्मा सिंहन विक्रमधनो रमयाऽधि कश्रीः । स्राभ्यां धृतश्च शिरसा शशिना क्लमच्छित् सर्येण दीप्तिमहितो झषतः सुरुपः ॥२८॥ कल्याणभाक्कलशतः सरसः सरस्तो गम्भोरधोरदधिनासनतस्तदीशः । देवाहिवास-मणिराश्यनलेः प्रतीतदेवोरगागमगुणोद्गम-कर्मदाहः ॥२६--३॥मुनिसुव्रतकाव्य
हे देवि ! गजेन्द्र दर्शन से सूचित होता है, कि तुम्हारा पुत्र उच्च चरित्रवाला होगा । वृषभदर्शन से धर्मात्मा, सिंहदर्शन से पराक्रमी, लक्ष्मी से अधिक श्री सम्पन्न, माला से सबके द्वारा शिरोधार्य, चन्द्रमा से संसार के सन्ताप को दूर करनेवाला, सूर्यदर्शन से अधिक तेजस्वी, मत्स्यदर्शन से रूप सम्पन्न, कलश से कल्याण को प्राप्त, सरोवर से वात्सल्यभाव युक्त, समुद्र से गम्भीर बुद्धिवाला, सिंहासन से सिंहासन का स्वामी, देवविमान से देवों का आगमन, नागभवन से नागकुमार देवों का आगमन, रत्नराशि से गुणों का स्वामी तथा अग्निदर्शन से सूचित होता है कि वह पुत्र कर्मों को भस्म करके मोक्ष को प्राप्त करेगा।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org