Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि
अपूर्व बल है, जो भी आपके संपर्क में आता है प्रभावित | अनुभव कर रहा है। श्रीसंघ में आपके वर्षावास से भारी हुए बिना नहीं रहता। अंग्रेजी की एक कहावत है - उत्साह है। सभी श्रोतागण आपनी के मुखारविन्द से "The Finest Eloquence is that which
'आचारांग सूत्र' के माध्यम से भगवान महावीर की वाणी gets things done." आपश्री जी के जीवन से पूर्ण को श्रवण करने का लाभ उठा रहे हैं। माम्बलम श्री संघ चरितार्थ होती है। आप श्री की प्रवचन शैली श्रोताओं इसके लिए आपका आभार व्यक्त करता है। को मंत्र मुग्ध कर देती है। स्पष्ट वक्ता होने के नाते सत्य हम दीक्षा स्वर्ण जयन्ति के मंगलमय अवसर पर बात को जनता के समक्ष प्रगट करने में आप हिचकिचाते आपश्री के स्वास्थ्य की मंगल कामना करते हुए आपश्री नहीं। आपश्री भक्तों को सुधारने के लिए कभी-कभी
के पावन पवित्र चरण सरोजों कोटिशः- कोटिशः वन्दन कठोर शब्दों का प्रयोग भी करते हैं, परन्तु उसका प्रभाव
नमस्कार करते हुए हार्दिक अभिनन्दन के साथ भावाजलि! श्रोतों पर अमृत के समान होता है। यही नहीं आप आने
विनयाञ्जलि ! वाले भक्तों की इच्छाओं को समझ कर यथा-विधि व्यवहार
___ हम यही सत्कामना करते हैं कि आप सदा हमारे करते हैं। आप श्री जैन आगमों का विवेचन बड़े ही
बीच अन्धकारमय समुद्र में देदिप्यमान प्रकाश स्तंभ की सुन्दर ढंग से छोटे-छोटे दृष्टांतों के माध्यम से प्रस्तुत कर श्रोताओं का दिल जीत लेते हैं। सम्पूर्ण चेन्नई महानगर
तरह समाज का मार्ग दर्शन करते रहें एवं अपने ओजस्वी
प्रवचन के माध्यम से मनुष्य मात्र के मन से घृणा, ईर्ष्या, आपश्री के तेजस्वी-ओजस्वी प्रवचनों को श्रवण कर कृतार्थ
द्वेष, लोभ एवं मोह माया के अन्धकार के नष्ट करते रहें। अनुभव कर रहा है। पूज्य गुरुदेव को श्रमण संघ का एक कर्णधार, आधार स्तम्भ, ज्योतिर्मान नक्षत्र एवं प्रकाशमान ___ इन्हीं शुभ एवं मंगल कामनाओं के साथ अंत में सूर्य कह दूं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा। केवल दो पंक्तियाँ लिखकर अपनी लेखनी को विराम ___ पूज्यश्री सुमन मुनि जी म.सा. साहित्यकार एवं लेखक
दूंगा।भी हैं। आप श्री की ही प्रबल प्रेरणा से आपके ५६ वें
मन, शतश:-शतशः प्रणाम! जन्म दिवस पर एवं माम्बलम के जैन स्थानक के उद्घाटन दीक्षा जयन्ति का वर्ष, अभिनन्दन करते हैं सहर्ष!! के अवसर पर "भगवान महावीर स्वाध्याय पीठ" की
0 एम. उत्तमचन्द गोठी (सिविल इंजि.) स्थापना हुई। इस संस्था से अभी तक करीब १२ पुस्तकें
मंत्री, श्री एस एस जैन संघ प्रकाशित हो चुकी हैं जिन्हें पूरे भारत में अमूल्य वितरित
टी. नगर माम्बलम किया जाता है। इस स्वाध्याय पीठ का श्रेय पूज्य गुरुदेव को ही जाता है।
| प्राकृत भाषा प्रचारक | सम्पूर्ण माम्बलम श्री संघ के लिए यह गौरव एवं गरिमा का विषय है कि आपश्री का द्वितीय वर्षावास पंडितरत्न मुनि श्री सुमन कुमार जी म. की दीक्षाहमारे श्रीसंघ को प्राप्त हुआ एवं पूज्यश्री का ‘दीक्षा-स्वर्ण- स्वर्ण-जयन्ति के पावन प्रसंग पर श्री सुमन मुनि दीक्षाजयन्ति-समारोह' जो कि आसोज शुक्ला त्रयोदशी दिनांक स्वर्ण-जयन्ति-अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित होने जा रहा है, २२ अक्तूबर १६६६ को सुनियोजित करते हुए हर्ष का | जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई।
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