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समीचीन धर्मशास्त्र
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स्थूल और सूक्ष्म पापों तथा उनके पर्याय - नामोंका अनुसंधान, कारणमें कार्यके उपचारसे पाप-काररणोंको 'पाप' संज्ञा ८ श्रहिंसाऽणुव्रत- लक्षण
६०
, उसका
'संकल्पात्' पदका महत्व, प्राण'शुद्धस्वेच्छा',अगले व्रतलक्षणोंमें उसकी अनुवृत्ति ६० हिंसाऽणुव्रत के प्रतिचार ६२ अतिचारोंके ग्रन्थोक्त पर्यायनाम ६२ |
ह ३
सत्यारगुव्रत- लक्षरण 'स्थूल' शब्दका विवेचन
बोलने बुलवाने में लिखनालिखाना भी शामिल
सत्याव्रत के अतिचार 'परिवाद' और 'शून्य' नामके प्रतिचारोंकी तत्त्वार्थसूत्रसे तुलना और टीकाकार प्रभाचन्द्रकी व्याख्यापर विचार ६५
६६
अचौर्यापुव्रत-लक्षण 'परस्वं' 'अविसृष्टं' तथा 'हरति ' पदों का विवेचन और चोरीके स्थूल त्यागका स्पष्टीकरण ६६ अचौर्याव्रत के प्रतिचार ६८ 'सदृशसम्मिश्र ' और ' विलोप'
नामके प्रतीचारोंकी तत्वार्थसूत्रसे तुलना और विशेषता ६८
६४
६४
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ब्रह्मचर्याशुव्रत-लक्षण
Σε
व्रतके दो नामोंका स्पष्टीकरण ६६ ब्रह्मचर्यातके अतिचार १०० प्रतिचारोंके स्पष्टीकरण में 'अन्य' 'मकरण ' ' इत्वरिका' शब्दोंके अभिप्रायका व्यक्तीकरण १०० अपरिग्रहारपुव्रत- लक्षण धनधान्यादिपरिग्रहमें दस प्रकार के बाह्यपरिग्रहोंका संग्रह १०१ अपरिग्रहात्रतके अतिचार १०३ 'अति' शब्दका वाच्यार्थ
१०१
१०३
१०३
अणुव्रत पालन- फल 'अवधि:' और 'अष्टगुणाः ' पदोंका स्पष्टीकरण
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श्ररिंणमा - महिमादिगुण स्वरूप १०४ अहिंसादि - पालन में प्रसिद्ध व्यक्ति १०५ अष्ट मूलगुण १०६ मूलगुरणोंकी दृष्टि, उनका विषय, दूसरे भ्रष्टमूलगुरगोंके साथ तुलना तथा उनकी दृष्टि २०६
चतुर्थ अध्ययन अणुव्रतोंके नाम और इस संज्ञाकी सार्थकता दिखत लक्षण
'आमृति' और 'बहिर्न यास्यामि'
पदोंकी दृष्टि दिखतकी मर्यादाएँ
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