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प्राचीन भारतीय अभिलेख
1.
लं
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प्रियदर्शी राजा ने मागध संघ का अभिवादन करके अबाधता (निर्विघ्नता)
और सुखविहार के बारे में कहा। हे भदन्तो आपको ज्ञात हो कि बुद्ध, धर्म और संघ में मेरी कितनी गहरी श्रद्धा
और विश्वास है। जो कुछ भी भदन्तो, भगवान् बुद्ध ने कहा सब सुभाषित (अच्छा कहा) है। परन्तु भदन्तो जिसे समझता हूं कि सद्धर्म चिरस्थायी होगा उसे यहां लिखता हूं। हे भदन्त, ये धर्म पर्याय हैं-विनय समुत्कर्ष (विनय की महत्ता), आर्यवंश, अनागत भय, मुनिगाथा, मौनेय (मुनियों के) सूत्र, उपतिष्य का प्रश्न, राहुलावाद (राहुल का उपदेश) भगवान् बुद्ध ने जिसे झूठ बोलने के विषय में कहा। हे भदन्तो चाहता हूं कि धर्मपर्यायों कोक्योंकि बहुत से भिक्षु और भिक्षुणियां बारम्बार सुनें और धारण करें। इसी प्रकार उपासक और उपासिकाएं भी। हे भदन्तगण, यह (लेख) मैं इसलिए लिखवाता हूं कि लोग मेरा अभिप्राय जानें, समझें।
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