________________
श्रमण संघ की दो महान् विभूतियाँ
. साध्वी श्री कलमप्रभा 'शास्त्री'
(आगमरसिका श्री सोहन कंवर जी म.सा. की सुशिष्या)
__ वीर भूमि भारत की पावन पुष्य धरा पर अनेकानेक मनीषियों ने जन्म लिया। जिन्होंने अपने पवित्र चरित्र, तेजस्वी व्यक्तित्व और ज्ञानमय प्रकाश द्वारा जन-जन के जीवन को मार्गदर्शन प्रदान किया।
। वर्तमान में जहाँ एक ओर समूचे विश्व में आतंकवाद, साम्प्रदायिकता, जातिवाद विषमता, क्रूरता, अंधविश्वास व संघर्ष का बोलबाला है, वहीं दूसरी ओर हमारे जिन शासन में महान् आराधिका साध्वी समाज एक अहम् भूमिका निभा रहा है। जिनकी संयम यात्रा का लक्ष्य जीवदया, धर्मरक्षा, शान्ति, सद्भावना स्व व पर कल्याण है।
आध्यात्मिक जगत में नारी वर्ग ने अनेक तेजस्वी दिव्य कीर्तिमान स्थापित किये है। नारी वर्ग ने अपनी ज्ञान-दर्शन चारित्र व तप की शक्ति को प्रकट कर पुरुष वर्ग को एक चुनौती सी दी है कि वह उसे उबला समझने की भूल न करें।
___ हालांकि इस विराट विश्व की धरा पर अनेकानेक आत्मा जन्म लेती है। लेकिन वर्तमान में किसे समय है कि दूसरों के बारे में सोचे ? लेकिन वे आत्माएँ निःसन्देह स्मरणीय बन जाती है जो इस धरा पर जन्म लेकर कल्याणकारी कार्यों में अपने-आपकों समर्पित कर देती है। ऐसा ही समर्पित जीवन था श्रद्धेया कानकुंवर जी म.सा का। जिन्होंने पहले स्वकल्याण तत्पश्चात् पर कल्याण के मार्ग को अपनाया।
आपश्री का स्वभाव अत्यन्त सरल था।.क्षमा, विनय, सरलता, सादगी, दयालुता आदि विविध गणों से ससज्जित आपका श्रमणी जीवन गलाब की तरह सवासित, नवनीत की भाँति मुद मिश्री के समान मीठा व चन्द्र के समान शीतल था।
___ आप बाल युवा-वृद्ध जैन व जैनेतर सभी के श्रद्धा केन्द्र थे। वस्तुतः आप नारी समाज व समग्र जिन शासन के अनमोल रत्न थे। हालाँकि आप अब हमारे बीच में नहीं है। लेकिन आपने अपने सतत् प्रयासों के द्वारा जिन शासन की गरिमा में जो चार चाँद लगाये, उससे आपको सदैव याद किया जाता रहेगा। चूँकि महापुरुषों का अभिनन्दन अन्य साधकों के लिये प्रेरणा प्रदान करता है, उनमें साधना पथ पर आगे बढ़ने की तीव्र आंकाक्षा पैदा करता है। अत: मैं इसी भावना से प्रेरित होकर इस अवसर पर अपने श्रद्धासुमन आपके चरण सरोजों में अर्पित करती हूँ।
(३०)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org