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गया। तत्काल डाक्टरों को बुलाया गया। हम सभी साध्वियां गुरुणी मैया की सेवा में सदैव तत्पर थी। श्री संघ के सदस्यों ने भी तन मन और धन से गुरुणी मैया की सेवा-चिकत्सा की। किंतु कहा गया है कि टूटी की बूटी नही है। काफी उपचार करवाया गया किंतु कोई लाभ नहीं हुआ और ४ अगस्त १९९१ को गुरुणी मैया हम सबको रोता बिलखता छोड़कर महाप्रयाण कर गये। प्राण पखेरु उड़ गये, शेष रह गई पार्थिव देह और स्मृतियां। गुरुणी मैया के देह त्याग के पश्चात् की समस्त औपचारिकताएं भी पूरी की गई।
___यहां उल्लेखनीय बात यह है कि अस्वस्थावस्था में गुरुणी मैया ने अपने संयम में शिथिलता नहीं आने दी। अंतिम समय तक माला फेरते रहे। आपमें सहनशक्ति अद्वितीय थी।
महासती श्री चंपाकुवंरजी म.सा. के वियोग को तो अभी हम भुला भी नहीं पाई थी कि गुरुणी मैया का साया भी उठ गया। इस स्थिति में हमें ऐसा लग रहा है कि हमारी नैया बीच भंवर में फंस गई है। गुरुदेव की कृपा से सब कुछ ठीक होगा, यही एक विश्वास है।
स्वभाव :- गुरुणी मैया का स्वभाव सरल एवं सहज था। वे करुणा की साक्षातमूर्ति थी। वे किसी को दुःखी नहीं देख सकती थीं। दया, क्षमा, विनय, सेवा, जैसे गुण उनमें कूट कूट कर भरे थे। संयम के प्रति जागृति सदा बनी रहती थी। अपनी शिष्याओं और प्रशिष्याओं को भी संयम में दृढ़ रहने की सदैव प्रेरणा देती रहती थी। अपनी शिष्याओ और प्रशिष्याओं के प्रति उनका व्यवहार मातृवत था।
पारिवारिक वैशिष्ट्य :- गुरुणी मैया के परिवार में भी धार्मिक जागृति थी। आपके संसार पक्षीय ज्येष्ठ अर्थात आपके पति के ज्येष्ठ भ्राता ने श्री जवाहरलालजी म.सा. के सान्निध्य में दीक्षाव्रत अंगीकार किया था। उन्होंने दृढ़ता से संयम का पालन किया था और जप तप में सदैव रत रहते थे। वे पहले गोटा का व्यापार करते थे। व्यापार में उनकी प्रामणिकता प्रसिद्ध थी। उनके अंतिम समय में उन्हें निमोनिया हो गया था। द्वितीय शिष्या महासती श्री बसंत कुवंरजी म.सा. आपके भंडारी परिवार की ही हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि भंडारी परिवार में धर्म ध्यान के प्रति विशेष रुचि है।
शिष्याएं :- आपकी शिष्याओं का संक्षिप्त जीवन परिचय निम्नानुसार दिया जा रहा है। १. महासती श्री चंम्पकुवंरजी म. :
जन्म :- वि.सं. १९८१ मार्गशीर्ष शुक्ल प्रतिपदा। जन्म स्थान :- कुचेरा जिला नागौर (राजस्थान)। माता :- श्रीमती कृष्णाबाई सुराना।
पिता :- स्व. श्रीमान फूसालालजी सुराना, व्यवसायी कटंगी बालाघाट (मध्य प्रदेश)।
.. स्वसुराल पक्ष :- कायेला परिवार, बालाघाट (मध्य प्रदेश)। दीक्षा :- पति वियोग के बाद वि.सं. २००५ माघ शुक्ला दशमी। दीक्षा स्थान :- कुचेरा जिला नागौर (राज.)।
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