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बालाघाट (म.प्र.)
२०४० बोलराम (म.प्र.)
२०४१ सिकन्द्राबाद (आ.प्र.)
२०४२ सिंधनूर (कर्नाटक)
२०४३ साहुकार पेठ मद्रास
२०४४ से २०४८
(अस्वस्थता के कारण) . वि.सं. २०४८ के वर्षावास के आठ दिन ही व्यतीत हुए थे कि क्रूरकाल ने आपको अपना ग्रास बना लिया।
स्व. युवाचार्यश्री मिश्रीमलजी म. “मधुकर' की आज्ञानुवर्ती महासतियों के अन्य संघाड़े। ये महासतियांजी देश के विभिन्न भागों में विचरण करते हुए जैन धर्म की अच्छी प्रभा-वना कर रही है।
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१ महासती श्री गवरांजी म.सा. ठाणा २ २ महासती श्री उमरावकुंवरजी म.सा. 'अर्चना' ठाणा ११ ३ महासती श्री उगमकुवंरजी म.सा. आदि ठाणा ४ महासती श्री सोहनकुवंरजी म.सा. ठाणा ५ ५ महासती श्री मनोहरकुवंरजी म.सा. ठाणा ७
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