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वि.सं. २०२७ में महासती श्री नन्दाजी के पास संतोष कुंवर जी म. की दीक्षा भी इसी धरती पर सम्पन्न हुई।
महासती श्री उमराव कुंवर जी म.सा. अर्चना की सुशिष्या श्री प्रतिभा जी (पुष्पाजी) भी कुचेरा के हैं। आपकी दीक्षा जोधपुर महामंदिर में श्री अमरचंद सा. छाजेड़ पादु निवासी ने दिलवाई।
___इस प्रकार अनेक मुनिराजों एवं महासतियों का जन्म दीक्षा व स्वर्गवास इस पावन धरती पर हुआ। इतिहास के पृष्ठों को उलटते हुए जब यह जानकारी मिलती है तो गौरव का अनुभव होना स्वाभाविक है। यह बहुत सम्भव है कि ऊपर वर्णित संत-सतियों के अतिरिक्त और भी भव्य आत्माओं का सम्बन्ध कुचेरा से किसी न किसी रूप में रहा होगा। किन्तु जानकारी के अभाव में उनका उल्लेख नहीं किया जा सका। इस सम्बन्ध में और आगे अनुसंधान की आवश्यता हैं।
इस प्रकार अनेक संयमात्माओं की प्रव्रज्या स्थली होने के साथ साथ इस धरती ने अनेक श्रावक रत्न भी दिये। जिनमें प्रमुख उल्लेखनीय नाम है-पद्मश्री सेठ श्री मोहनमल जी सा. चोरडिया, श्री प्रेमराज जी सा. बोहरा श्री जबरचंदजी गेलड़ा आदि। इनमें समाज सेवी और चिंतक दोनों प्रकार के समाज रत्न हैं।
__ वर्तमान समय में भी अनेक श्रीमंतों से यह धरती सुशोभित है। प्रसिद्ध समाज सेवी श्री बलदेवराज जी मिर्धा भी इसी नगरी के है। आपने इस समूचे क्षेत्र में जाट जाति के उत्थान का शंख बजाया। आपके ही परिवार में श्री राम निवास मिर्धा व श्री नाथूराम मिर्धा केन्द्रीय मंत्री के रूप में अपनी सेवायें दे चुके हैं।
यहां एक जोरावर जैन प्राचीन ग्रंथों का भण्डार भी है। यह भण्डार मुनि श्री जोरावर मल जैन पुस्तकालय के नाम से प्रसिद्ध है। इसमेंर संतों द्वारा लिखित प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथ व अनेक मुद्रित ग्रंथ संग्रहीत हैं।
यहां एक धार्मिक छात्रावास भी है, जो श्री गुलाबचंद जवरीमल सुराणा के नाम से वर्षों से जैन समाज की सेवा कर रहा हैं। अनेक वर्षों तक श्री जसवंत राज जी खींवसरा ने यहां के छात्रावास में रहकर संत-सतियों को पढ़ाने की सेवा की।
यहां पर श्री- जिनेश्वर जैन औषधालय, श्री इन्द्रचंदजी गेलड़ा, द्वारा स्थापित किया गया था जो आज भी जनता की सेवा कर रहा हैं।
श्री संतों द्वारा स्कूल, अस्पताल आदि के अनेक भवनों का निर्माण करवाने के साथ ही अनेक जनहित के कार्य किये गए हैं।
यहां प्रस्तुत लेख में कुचेरा में स्थानकवासी जैन परम्परा की दृष्टि से कुछ प्रकाश डालने का प्रयास किया गया हैं। यदि इस सम्बन्ध में विस्तृत रूप से शोध परक लेखन किया जावे तो और भी बहुमूल्य जानकारी उपलब्ध हो सकती है। विश्वास है कि जिज्ञासु बंधु इस दिशा में अवश्य ही विचार कर इस कार्य को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे।
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