Book Title: Mahasati Dwaya Smruti Granth
Author(s): Chandraprabhashreeji, Tejsinh Gaud
Publisher: Smruti Prakashan Samiti Madras

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Page 578
________________ आपके छोटे महासती श्री बसन्त कुंवर जी भी कुचेरा के ही हैं। आपकी दीक्षा वि.सं. २०३४ में कुचेरा में हुई। महासती श्री कानकुंवरजी एवं महासती श्री चम्पाकुंवर जी म. के स्वर्गवास के पश्चात वर्तमान में सिंघाड़े की बागडोर आप ही सम्हाले हुए हैं। ___ महासती श्री कंचन कुंवर जी भी कुचेरा के हैं। आप इस सिंघाड़े के देदीप्यमान साध्वी रत्न हैं। आपने संयम मार्ग पर दृढ़ता से चलकर एक आदर्श उपस्थित किया है। श्री चम्पाकुंवर जी के बाद इस सिंघाड़े में इनकी व्याख्यान शैली मधुर है। महासती श्री कानकुंवर जी म. ने अपना जो मकान संघ को समर्पित किया था, आज वह “काना जी के स्थानक के नाम से कुचेरा के मध्य गर्व से स्थित है। इसके पुनर्निमाण का श्रेय पद्मश्री सेठ श्री मोहनमल जी चोरडिया की धर्मपत्नी श्रीमती नैनी कंवरबाई हैं। ___ महासती श्री कानकुंवर जी म.सा. के सुदूर दक्षिण प्रदेश में चले जाने पर महासती श्री झणकार कुंवर जी म.सा. का वरदहस्त इस क्षेत्र को मिला। महासती श्री झणकार कुंवर जी म. आत्मार्थी, सरलहृदया, संयम के प्रति समर्पित सती थी। आपके विचरण से इस धरती पर पुनः नव चेतना उभरी व वि.सं. २०३२ की विजयादशमी के दिन कुचेरा में ही श्री आशा जी व श्री चंचल जी दोनों बहनों की दीक्षा आपके श्री चरणों में हुई। इससे पूर्व श्री जयमाला जी जो इन दोनों बहनों की बड़ी बहन है। आसोप में दीक्षा हो चुकी थी व कालान्तर में आपकी सबसे छोटी बहन श्री चन्द्रप्रभाजी सोजत में श्री मरुधर केसरी जी म. के सानिध्य में दीक्षित हुई। इस प्रकार संसार पथ की इन चार बहनों में गुरुवा श्री झणकार कुंवर जी म. की अन्तेवासिनी शिष्या बनकर एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। ___ महासती श्री झणकार कुंवर जी म. की संयम ज्योत्सना में अभिमुख हो कुचेरा के ही आबड़ परिवार से श्री मनीषा जी ने वि.सं. २०४३ में प्रव्रज्या ग्रहण की व आपकी ही सुपुत्री श्री सविता जी ने भी मां के चरणारविदों का अनुसरण करते हुए वि.सं. २०४६ में कुचेरा में ही संयम स्वीकार किया। इस प्रकार दोनों ने आदर्श मां और आदर्श बेटी का उदाहरण प्रस्तुत किया। ___महासती श्री झणकार कुंवर जी म. ने कुचेरा में ही-वि.सं. २०४५ दि. १८-११-१९८८ को अपनी नश्वर देह का त्याग किया। युवाचार्य श्री मधुकर मुनिजी म. के सांसारिक पथ के माता जी महासती श्री तुलछां जी म. कई वर्षों तक ठाणापति रहने के पश्चात कुचेरा में ही वि.सं. २०१३-१४ के आसपास स्वर्ग सिधारे। आपकी दीक्षा युवाचार्य श्री के साथ ही भिनाय में हुई थी। महासती श्री जमना जी का स्वर्गवास भी कुचेरा में ही हुआ। श्री प्रेमराज जी बोहरा की बहन श्री हुलसां जी की दीक्षा भी हुई। इसी नगरी में वि.सं. २००६ में महासती श्री सोहन कुंवर जी म.सा. की दीक्षा महासती श्री वगतावर कुंवरनी म. के चरण कमलों में आगे चलकर वि.सं. २०४८ में श्री मणिप्रभाजी की दीक्षा भी आपके श्री चरणों में कुचेरा में ही (२५५) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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