Book Title: Mahasati Dwaya Smruti Granth
Author(s): Chandraprabhashreeji, Tejsinh Gaud
Publisher: Smruti Prakashan Samiti Madras

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Page 576
________________ कुचेरा और जैन धर्म । श्री जतनराज मेहता, मेड़ता । कुचेरा धर्मप्रिय व वैभव सम्पन्न श्रेष्ठ वर्ग की नगरी रही हैं। यह नगरी मड़ता - बीकानेर मार्ग पर स्थित है और नागौर जिले में हैं। मरुघरा के परम प्रतापी आचार्य श्री मूधरजी म. के यशस्वी शष्यरत्न आचार्य श्री जयमलजी म.सा, की परम्परा के सरल हृदय संत स्वामी जी श्री हजारीमलजी म., स्वामी श्री बृजलालजी म. एवं विद्वदवर्य युवाचार्य श्री मिश्रीमलजी म. 'मधुकर' आदि मुनियों का वरद हस्त इस नगरी पर रहा हैं । अपने जीवन काल में मुनि श्री हजारीमलजी म.सा. ने चौदह चातुर्मास यहां किये जिससे पता जलता हैं कि कुचेरा पर स्वाजी की असीम कृपा थी । स्वामी जी के स्वर्गवास के पश्चात आप ही के लघु गुरु भ्राता श्री बृजलाल जी म.सा. ने भी दो चातुर्मास किये, इस प्रकार परम्परा के सोलह चातुर्मास कुचेरा में हुए । इसी नगरी में वि.सं. २०११ में स्वामी श्री हजारीमल जी म. सा. के साथ उपाचार्य श्री गणेशीलाल जी म. सा. का संयुक्त ऐतिहासिक चातुर्मास हुआ। वि.सं. २०१३ में विख्यात संत कवि श्री अमरचंद जी म.सा. का चातुर्मास हुआ। पू. श्री जवाहरलाल जी म. सा., उपाध्याय श्री प्यारचंदजी म.सा. महासती श्री सुमति कुंवर जी म.सा. आदि भी यहां पधारे। महासती श्री रतन कुंवर जी म. महासती श्री वल्लभ कुंवर जी म.का. वि. स. २०१० में चातुर्मास हुआ। स्वामी श्री हजारीमल जी म. की आज्ञानुवर्तिनी कश्मीर प्रचारिका, अध्यात्म योगिनी महासती श्री उमराव कुंवर जी म.सा. का भी यहां अनेक बार पदार्पण हुआ। इस प्रकार इस नगरी पर अनेक मनीषी सन्तों का वरदहस्त रहा। लगभग एक शताब्दी पूर्व आचार्य श्री जयमल जी म. सा. की परम्परा के सन्त सतियों का एक विशाल सम्मलेन भी इसी धरती पर हुआ, जिसमें पूज्य श्री भीकमचंद जी म. सा. के सुशिष्य पूज्य श्री कानमल जी स्वामी को आचार्य पद से विभूषित था । इसी समय स्वामीजी श्री नथमल जी म. अपने समय के धुंरधर विद्वान संत हुए। आप व्याख्यान वाचस्पति के रूप में विख्यात थे। आपके ही श्री चरणों में आशुकवि श्रुताचार्य श्री चौथमल जी म. की दिक्षा हुईं। आप भी कुचेरा के निकटवर्ती ग्राम पीरोजपुरा के थे। आपके भी छः चातुर्मास कुचेरा में हुए । इस क्षेत्र पर आपकी असीम कृपा रही। आपके पास ही श्री धनराज जी म. की दीक्षा भी कुचेरा में हुई। आप जीवन पर्यन्त स्वामी श्री चौथमलजी म. सा. के साथ रहे। आपका जन्म स्थान भी कुचेरा ही था। आप भण्डारी कुलोत्पन्न थे। Jain Education International (२५३) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.

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