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दी गई -
प्रमत्त योगात् प्राणव्यपरोपणं हिंसा प्रमाद के योग से यथासम्भव द्रव्यप्राण या भावप्राण का वियोग करना ही हिंसा है। प्रमाद के अन्तर्गत पाँच इन्द्रियाँ, चार कषाय, राग-द्वेष और निद्रा का समावेश है। इन्हीं के कारण प्राण (द्रव्य और भावमय) का वियोग होता है। द्रव्यप्राण में पाँच इन्द्रिय, तीन बल, आयु और श्वासोच्छवास का तथा भावप्राण में ज्ञान और दर्शन का समावेश है। प्रमाद एक प्रकार से स्वरूप बोध से असावधानी है। यह प्रमाद ही है जिसके कारण हम असत्य भाषण, चौर्य, मैथुन, परिग्रह और हिंसा करते हैं। विज्ञान से प्राकृतिक नियमों को जानकर जो प्रकृति-जय की ओर हम बढ़ रहे हैं वह अज्ञान के कारण ही है। .
मैं ऐसा मानता हूँ कि सम्प्रदाय साधना के स्तर पर भेद करके चलता है पर अध्यात्म स्तर पर भेद सम्भव नहीं है। तात्विक सत्य दो नहीं हो सकते। अध्यात्मविद् योगीन्दु ने 'योगसार' में इसी तात्विक सत्य का साक्षात्कार करके कहा था.....
णिम्मलु णिक्कलु सुद्ध जिषु विण्हु बुद्ध सिवु सेतु।
सो परमप्पा जिण-भणउ एहउ जाणि णिमंतु॥ अर्थात् परमात्मा के ही विभिन्न नाम साम्प्रदायिक लोग लिया करते हैं -वे उन्हें जिन, ब्रह्म, शान्त, शिव, बुद्ध आदि संज्ञाएं देते हैं। तत्वतः वे एक हैं इसलिए भारतीय चिन्तन में सम्प्रदाय भेद है तात्विक भेद नहीं है। सम्प्रदाय की दृष्टि से ब्राह्मणों, शैवों, शाक्तों और बौद्धों में विभिन्न धाराएं हैं फिर भी वे एक-एक खेमे में जैसे माने जाते हैं वैसे ही ये परम्पर साम्प्रदायिक दृष्टि से भिन्न-भिन्न होकर भारतीय चिन्तन की दृष्टि से एक हैं। कर्मबन्धन को सभी प्रमाद दशा मानते हैं और उससे स्वतंत्र सभी होना चाहते ., हैं। इसीलिए मुनि विद्यानन्द शासन को सम्प्रदाय-निरपेक्ष तो रखना चाहते हैं पर धर्म-निरपेक्ष नहीं। अपने-अपने धर्म में स्थित रहकर यष्टि और समष्टि अपनी सत्ता की रक्षा करते हैं। औष्ण्य में (धर्म है अग्नि का औष्णा) रहकर ही अग्नि अपनी सत्ता में स्थित रहता है। मानवता में रहकर ही मानव अपनी सत्ता की रक्षा कर सकता है और मानवता ‘पर-रक्षा' में है। यदि हम प्रमादहीन होकर मानवता-में- स्वरूप में -प्रतिष्ठित रहें तो पारिस्थितिक संकट से उबर सकते हैं कारण, तब हम आत्मेतर की रागमूलक हिंसा नहीं करेंगे। सर्वज्ञ होकर सन्तुलन बनाए रखने में योग देंगे। जो असर्वज्ञ विश्वव्यवस्था को जानता ही नहीं वह सन्तुलन कैसे बनाएगा? यदि अहिंसामय तप में प्रतिष्ठित होगा तब उस दिशा में यात्रा अवश्य करेगा।
-२ स्टेट बैंक कालोनी देवास रोड़, उज्जैन (म.प्र)
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