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४. पति क्रिया के मंत्र - "सज्जाति दात् भावीभव, सद्गृहिदातृभागीभव, मुनीन्द्रदातृभागी भव, सुरेन्द्रदातृभागीभव, परमराज्य दातृभागीभव, आर्हन्त्यदातृभागीभव, परम निर्वाण दातृ . भागीभव।" ..
५. जन्म संस्कार की क्रिया के मंत्र - योग्य आशीर्वाद आदि प्रदान करने के पश्चात् विभिन्न क्रिया पर भिन्न-भिन्न मंत्र पढ़े जाते हैं जो कल्याणदायी होते हैं -
नाभिनाल काटते समय - “घातिजयो भव" उबटन लगाते समय • “हे जात, श्री देव्यः ते जाति क्रियां कुर्वन्तु" स्नान कराते समय - “त्वं मन्दराभिषेका) भव" सिर पर अक्षत क्षेपण करते समय - "चिरं जीव्या:" आदि
६. नाम कर्म क्रिया के मंत्र - "दिव्याष्टसहस्र नाम भागीभव, विजयाष्ट सहस्र नाम. भागीभव, परमाष्ट सहस्रनाम भागीभाव"। इसके अतिरिक्त -
७. ऋषि मण्डल मंत्र {९ (ब)} ८. अग्नि मंडलमंत्र (९) अर्हन्मंडल मंत्र (१०) कर्मदहन मंत्र (११) गणधरवलयमंत्र (१२) चिन्तामाणि मंत्र (१३) चौबीसी मंडल मंत्र (१४) जलाधिवासन मंत्र (१५) दशलाक्षाणिक मंत्र (१६) बोधि समाधि मंत्र या समाधि मरण मंत्र (१७) मृत्युञ्जय मंत्र (१८) मोक्षमार्ग मंत्र (१९) रलत्रय मंत्र (२०) रत्नत्रय विधानमंत्र (२१) शान्ति मंत्र (२२) सारस्वत मंत्र (२३) सरस्वती मंत्र (२४) णमोकार महामंत्र
णमोकार महामंत्र : जैन साहित्य में णमोकार म.मंत्र को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। मूल बात है कि यह महामंत्र, किसी व्यक्ति विशेष की पूजा अर्चना का मंत्र नहीं है। यहाँ अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु की वंदना की गई है। 'अरिहंत' वे जिन्होंने अपने चार घातिया कर्म को काट लिया है, उन्हें क्षय कर लिया है। 'सिद्ध' वे जिन्होंने चार घातिया और चार अधातिया कर्मों (ज्ञानावरण,
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