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इससे स्पष्ट है कि प्राचीन काल में सुदामा की पत्नी, महाकवि कालीदास की पत्नी तथा तुलसीदासजी की पत्नी रत्नावली आदि ऐसी ऐसी नारियाँ हो गई हैं जिन्होंने अपने पतियों के जीवन को बदल कर उन्हें महत्ता के शिखर पर पहुँचाया।
पर धीरे-धीरे मध्यकाल में परिस्थितियाँ कुछ बदल गईं। स्त्रियों की स्वतंत्रता कम हो गई और उनके प्रति पुरुषों की विचारधारा भी विपरीत दिशा में बहने लगी। कुछ नए आदर्श बिना सिर पैर के बनाए गए, उनके लिए कहा गया
काम क्रोध लोभादिमय, प्रबल मोह कै धारि । तिह मंह अति दारुन दुखद माया रूपी नारी ॥
अर्थात् काम, क्रोध, लोभ, मद व मोह आदि जो मनुष्य को दुःख देने वाले हैं, उनसे भी अधिक दारुण दुःख देने वाली मायामयी नारी है।
युवावस्था
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कहा गया कि स्त्रियों को कभी स्वतन्त्र नहीं रहने देना चाहिए। उसे कौमारावस्था में पिता के में पति के तथा वृद्धावस्था में पुत्र के आधीन रहना चाहिए। मनुस्मृति में कहा है - पिता रक्षति कौमारे, भर्ता रक्षति यौवने ।
रक्षन्ति स्थविरे पुत्रा न स्त्री स्वातन्त्र्यमर्हति ॥
इस विधान के अनुसार नारियों की शारीरिक, मानसिक तथा आत्मिक सभी प्रकार की उन्नति को रोक कर उनका स्थान घर तक ही सीमित कर दिया गया। फिर तो गृह साम्राज्ञी जैसे आदरयुक्त शब्द की जगह पैर की जूती कहकर उन्हें हीन साबित किया गया। बाल विवाह की प्रथा चालू कर दी गई। दो, चार, छः आठ वर्ष की कन्याओं के विवाह किये जाने लगे। जबकि यह उम्र उनके शिक्षा प्राप्त करने की होती है। फलस्वरूप दस-दस बारह बारह वर्ष की उम्र वाली विधवाओं की भरमार गई और उनका जीवन बड़ा दयनीय होने लगा ।
जिस तरह से घास-फूस से आग दब नहीं सकती और कई गुना वेग से धधक उठती है, उसी तरह नारी जाति को दबाने की, उसके तेज को कुचलने की जितनी कोशिश की गई उतने ही वेग से उनका शौर्य समय समय पर प्रज्वलित हुआ । रानी दुर्गावती, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई आदि के उदाहरण इतिहास में अमर रहेंगे। राजपूत ललनाओं के त्याग व वीरत्व के भी अनेक अनेक ज्वलंत उदाहरण हैं, जिन्होंने अपने शौर्य की कीर्तिपताका पुनः लहरा दी। अपने हाथों से पति को कवच पहनाकर वे उन्हें युद्ध में भेज देती थीं और साथ ही स्पष्ट शब्दों में चेतावनी भी दे देती थीं
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कंत लखीजे दोहि कुल, नथी फिरंती छांह ।
मुड़िया मिलसी गेंदवो, मिले न धरी बांह ॥
प्रियतम! देखो दोनों कुलों (मेरे और अपने) का ध्यान रखना तथा अपनी छाया को मत देखना । अगर तुम युद्ध से भागकर आए तो तुम्हें मस्तक के नीचे रखने के लिये तकिया मिलेगा। पत्नी की बांह नहीं मिल सकेगी।
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